‘मैडम व्यस्त हैं' बोलकर नजमा हेपतुल्ला को एक घंटे फोन पर कराया इंतजार, बर्लिन से किया था सोनिया गांधी को फोन
Najma Heptulla : मणिपुर की पूर् राज्यपाल नजमा हेपतुल्ला ने कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी के बारे में चौंकाने वाला खुलासा किया है। अपनी आत्मकथा में 1999 की एक घटना का जिक्र करते हुए हेपतुल्ला ने कहा है कि कांग्रेस नेता से बात करने के लिए उन्हें एक घंटे तक फोन पर इंतजार कराया गया।
2014 की मोदी सरकार में मंत्री थीं नजमा।
Najma Heptulla : मणिपुर की पूर् राज्यपाल नजमा हेपतुल्ला ने कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी के बारे में चौंकाने वाला खुलासा किया है। अपनी आत्मकथा में 1999 की एक घटना का जिक्र करते हुए हेपतुल्ला ने कहा है कि कांग्रेस नेता से बात करने के लिए उन्हें एक घंटे तक फोन पर इंतजार कराया गया। इसके बाद भी वह फोन पर नहीं आई जबकि तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी फोन करने पर तत्काल उपलब्ध हो गए। दरअसल, 1999 में अंतर संसदीय यूनियन (आईपीयू) का नेता चुने जाने के बाद नजमा ने बर्लिन से दोनों नेताओं को फोन किया था। इस घटना का जिक्र उन्होंने अपनी आत्मकथा 'इन परस्युट ऑफ डेमोक्रेसी : बियोंड पार्टी लाइंस' में किया है।
2004 में भाजपा में शामिल हो गईं
हेपतुल्ला ने बर्लिन से कांग्रेस की तत्कालीन अध्यक्ष सोनिया गांधी को यह समाचार देने के लिए फोन किया था, लेकिन एक कर्मचारी ने उनका कॉल यह कह कर एक घंटे तक ‘होल्ड’ पर रखा कि 'मैडम व्यस्त हैं।' गांधी के साथ कथित मतभेदों के बाद हेपतुल्ला कांग्रेस छोड़कर 2004 में भाजपा में शामिल हो गईं। हेपतुल्ला ने कहा कि आईपीयू का अध्यक्ष बनना मेरे लिए 'एक ऐतिहासिक क्षण और बहुत ही सम्मान की बात थी, जो भारतीय संसद से वैश्विक संसदीय मंच तक पहुंचने की मेरी यात्रा का शिखर था।'
जबकि वाजपेयी जी ने तुरंत बात की-नजमा
आत्मकथा में कहा गया है कि सबसे पहले उन्होंने बर्लिन से तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को फोन किया, जिन्होंने तुरंत उनसे बात की।
हेपतुल्ला ने लिखा, 'जब उन्होंने यह समाचार सुना तो वह बहुत खुश हुए, एक तो इसलिए कि यह भारत के लिए सम्मान की बात थी और दूसरा इसलिए कि यह सम्मान एक भारतीय मुस्लिम महिला को मिला था। उन्होंने कहा कि आप वापस आइए, हम जश्न मनाएंगे।' हेपतुल्ला ने लिखा कि हालांकि, जब उन्होंने ‘कांग्रेस की तत्कालीन अध्यक्ष एवं अपनी नेता सोनिया गांधी को फोन किया तो उनके एक कर्मचारी ने कहा कि ‘मैडम व्यस्त हैं।’जब उन्होंने (हेपतुल्ला ने) कहा कि वह बर्लिन यानी विदेश से बात कर रही हैं तो कर्मचारी ने कहा, ‘कृपया लाइन पर रहें।’ मैंने एक घंटे तक प्रतीक्षा की, लेकिन सोनिया (गांधी) ने मुझसे बात नहीं की।' हेपतुल्ला ने कहा कि उन्हें बहुत निराशा हुई।
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मोदी सरकार में बनीं अल्पसंख्यक कार्य मंत्री
मणिपुर की पूर्व राज्यपाल हेपतुल्ला ने लिखा, 'उस कॉल के बाद मैंने उनसे कुछ नहीं कहा। आईपीयू अध्यक्ष पद के लिए अपना नाम आगे बढ़ाए जाने से पहले, मैंने उनसे अनुमति ली थी और उस समय उन्होंने मुझे शुभकामना भी दी थी।' हेपतुल्ला को 2014 में केंद्र की नरेन्द्र मोदी सरकार में अल्पसंख्यक कार्य मंत्री बनाया गया था। उन्होंने कहा कि आईपीयू अध्यक्ष बनने के बाद वाजपेयी सरकार ने उनके पद का दर्जा राज्य मंत्री से बढ़ाकर कैबिनेट मंत्री के बराबर कर दिया था। रूपा प्रकाशन द्वारा प्रकाशित पुस्तक में कहा गया है, 'अटलजी ने आईपीयू अध्यक्ष की उन देशों की यात्रा के लिए बजट में एक करोड़ रुपये आवंटित किए थे, जिसका भुगतान आईपीयू परिषद द्वारा नहीं किया जाता था। वसुंधरा राजे ने आईपीयू अध्यक्ष के रूप में मेरे चुने जाने का जश्न मनाने के लिए मुझे और अन्य सांसदों को आमंत्रित किया था।’ हेपतुल्ला ने लिखा, 'अगले वर्ष, जब मैंने सोनिया गांधी को न्यूयॉर्क में पीठासीन अधिकारियों के सम्मेलन में भाग लेने के लिए आमंत्रित किया, तो उन्होंने ऐन मौके पर उसमें भाग लेने से मना कर दिया।'
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नजमा ने कई पुस्तकें लिखी हैं
अपने राजनीतिक करियर के अलावा, हेपतुल्ला ने कई पुस्तकें भी लिखी हैं और वह लोकतंत्र, सामाजिक न्याय तथा महिला अधिकारों की पैरोकार रही हैं। उन्होंने कहा कि 1998 में जब गांधी ने कांग्रेस की कमान संभाली तो पदाधिकारियों और नेताओं के बीच कई तरह के लोग उभर आए।
उन्होंने लिखा, '10 जनपथ (सोनिया गांधी का आवास) के साथ यही समस्या थी। जूनियर पदाधिकारियों की वजह से सीधे तौर पर संपर्क कट गया था। वे पार्टी के कार्यकर्ता नहीं थे, बल्कि वहां काम करने वाले क्लर्क और दूसरे कर्मचारी थे। उन्होंने नेता तक पहुंचने के सभी रास्ते बंद कर दिए, जिससे संगठनात्मक तंत्र, नैतिकता प्रभावित हुई और पार्टी सदस्यों पर असर पड़ा।'
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