मध्य प्रदेश चुनाव: किसे मिलेगा बाबा बागेश्वर का आशीर्वाद? शिवराज या कमलनाथ, दोनों हैं शरण में, समझिए विस्तार से

मध्य प्रदेश में इसी साल विधानसभा चुनाव होने हैं। इसी बीच चुनाव को देखते हुए बीजेपी-कांग्रेस बागेश्वबाबा को साधने में जुटी हुई है। दरअसल बागेश्वर बाबा इन दिनों काफी चर्चा में हैं। बागेश्वर धाम सरकार की बढ़ती लोकप्रियता बीजेपी-कांग्रेस किसके लिए फायदेमंद है ये तो आने वाले समय में पता चलेगा! हालांकि बाबा का आशीर्वाद किसे मिलेगा। ये अभी पूरी तरह तय नहीं है।

क्या मध्य प्रदेश में बाबा बागेश्वर बनाएंगे सरकार? ये सवाल हम इसलिए पूछ रहे हैं क्योंकि वहां बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही पार्टियों में होड़ लगी है कि बाबा का आशीर्वाद पहले किसे मिलेगा। बाबा हिंदू राष्ट्र के एजेंडे पर क्लियर हैं और राजनीतिक पार्टियां बाबा के करोड़ों हिंदू भक्तों में Interested हैं। बाबा के भक्तों को वोट में बदलने के लिए हर कोई दरबार में हाजिरी लगा रहा है तो इस बार के विधानसभा चुनाव में बाबा के दरबार से किस पार्टी की पर्ची निकलेगी। विस्तार से समझिए, क्या भक्त, क्या नेता, बाबा को सुनने के लिए हर कोई बेताब है। हर कोई बाबा के दरबार में हाजिरी लगाने को बेकरार है। हर कोई बाबा की पर्ची से समाधान चाहता है। क्योंकि बाबा हिंदू राष्ट्र के ध्वजवाहक बन गए हैं। बाबा के पास लाखों करोड़ों भक्तों का समर्थन तो नेताओं को बाबा के आशीर्वाद में वोट बैंक दिखता है।

बाबा का कॉन्सेप्ट क्लियर है, वो है हिंदू राष्ट्र, इस बार मंदसौर में लाखों की भीड़ के सामने बाबा बागेश्वर ने एक बार फिर हिंदू राष्ट्र की हुंकार भरी। बाबा के विरोधी भी अब उनके साथ खड़े होने के मजूबर हैं क्योंकि मध्य प्रदेश में चुनाव होने वाले हैं और बाबा का आशीर्वाद सरकार बना सकता है। इसका अहसास बीजेपी से लेकर कांग्रेस तक को है।

मध्य प्रदेश में कुल 230 विधानसभा सीटें हैं। मध्य प्रदेश के बुंदेलखंड वाले इलाके में 5 जिले हैं। और वहां बुंदेलखंड क्षेत्र की विधानसभा सीटों की संख्या 26 है। बाबा बागेश्वर का आश्रम छतरपुर जिले में है जो बुंदेलखंड में ही पड़ता है। और इन 26 सीटों पर बागेश्वर धाम का अच्छा खासा प्रभाव माना जाता है। ही वजह है कि बीजेपी और कांग्रेस बागेश्वर धाम के प्रभाव वाली इन 26 सीटों पर अपना पूरा फोकस कर रही हैं इन सीटों के अलावा राज्य की अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित सीटों पर भी दोनों पार्टियों की नजर गड़ी हुई है।

मध्य प्रदेश की 230 सीटों में 82 सीटें आरक्षित हैं। इनमें 47 सीटें अनुसूचित जनजाति के लिए रिजर्व हैं। जबकि 35 सीटें अनुसूचित जाति के लिए रिजर्व हैं। अनुसूचित जनजाति की ज्यादातर सीटें शहडोल, डिंडोरी, मंडला, अलीराजपु, और झाबुआ जैसे आदिवासी बहुल इलाकों में हैं। जबकि अनुसूचित जाति की सीटें भिंड, मुरैना, टीकमगढ़, रीवा और रायसेन में हैं।

इन आदिवासी इलाकों से बाबा बागेश्वर अब तक कई लोगों की घरवापसी करवा चुके है। ऐसे में आदिवासी समुदाय और अनुसूचित जाति की इन सीटों पर भी बाबा का प्रभाव माना जाता है। पॉलिटिकल पार्टियों की नजर इन 82 सीटों पर भी जमी हुई है। इसके लिए कुछ नेता दरबार में हाजिरी लगा रहे हैं। तो कुछ पिछले दरवाजे से बाबा को साधने की कोशिश में जुटे हैं। ना सिर्फ मध्य प्रदेश बल्कि दिल्ली से भी कई बड़े नेता बाबा बागेश्वर के धाम पहुंच चुके हैं।

बीजेपी कभी अपने हिंदुत्व वाले एजेंडे से पीछे नहीं हटी। इसलिए उसके नेता बाबा के साथ खड़े नजर आते हैं। एमपी के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से लेकर कई मंत्री और विधायक बाबा के दरबार में हाजिरी लगा चुके हैं लेकिन अब दिक्कत कांग्रेस के सामने है। पहले कांग्रेस बाबा का विरोध करती थी। चमत्कार को पाखंड का नाम देती थी। बाबा की पर्ची को फर्जी बताती थी लेकिन अब बाबा के बढ़ते प्रभाव की वजह से अब कमलनाथ भी नया हिंदुत्व अपनाने की कोशिश में जुट गए। इसके लिए कांग्रेस ने बकायदा एक धार्मिक कैलेंडर तैयार किया है। उस कैलेंडर में क्या कुछ है आप भी देखिये।

कांग्रेस का 'धार्मिक कैलेंडर'

  • राज्य की सभी 230 विधानसभा सीटों पर कांग्रेस धर्म रक्षा यात्रा निकालेगी
  • धर्म संवाद कार्यक्रमों के जरिए धर्माचार्यों को अपने पक्ष में करने की रणनीति भी बनाई गई है
  • पिछले 6 महीने से हर जिले में पार्टी की तरफ से कथाओं का आयोजन हो रहा है
  • मंदिरों के पुजारियों को लामबंद करने मंदिर पुजारी प्रकोष्ठ बनाया जा चुका है
  • 2018 के चुनाव में कांग्रेस पार्टी ने राम वन गमन पथ को अपने घोषणा पत्र में शामिल किया था और इस बार भी उसका जोर इस मुद्दे पर रहने की उम्मीद है
तो आखिर ऐसा क्या हुआ कि चुनाव से पहले कांग्रेस को भी हिंदुत्व की राह पर आना पड़ा। असल में इसके पीछे मकसद है। मध्य प्रदेश के बहुसंख्यक हिंदू वोटरों को लुभाया जा सके। दरअसल मध्य प्रदेश की आबादी करीब 11 करोड़ है। वहां कुल 5.40 करोड़ मतदाता

इनमें करीब 4.5 करोड़ हिंदू वोटर हैं। जबकि मुसलमान वोटरों की तादाद 50 लाख है। यानी जिसके खाते में हिंदू वोट जाएंगे वो सत्ता पर राज करेगा। यही बात बीजेपी और कांग्रेस जानती है इसीलिए वो बाबा को साधने में जुटे हैं हालाँकि बाबा पहले भी हिंदू राष्ट्र की बात कह चुके हैं। लेकिन इस बार उनके पास हिंदू राष्ट्र का फूलप्रूफ प्लान तैयार है।

बाबा की इस हुंकार का मतलब साफ है। सनातन के प्रसार के लिए उन्होंने जो कदम बढ़ा दिए। उन्हें अब पीछे खींचना नामुमकिन है। चाहे उनके विरोधी कितनी भी कोशिश क्यों ना कर लें। बाबा हिंदू हित की बात करते रहेंगे। सनातन के उत्थान की बात करते रहेगे और अपने विरोधियों को खुला चैलेंज भी देंगे। बाबा को भले ही डर ना हो लेकिन मध्य प्रदेश चुनाव में ताल ठोकने वाले नेताओं को जरूर डर है। डर है कहीं बाबा का आशीर्वाद नहीं मिला तो फिर क्या होगा। डर है कहीं बाबा की भक्तों का हुजूम दायें बायें कर गया तो कुर्सी हाथ पर आते आते रह जाएगी। सबसे ज्यादा डर कांग्रेस को सता रहा है और इस डर की सबसे बड़ी वजह है।

ये तस्वीरें मंदसौर में हुई श्री हनुमंत कथा के दूसरे दिन की हैं। जब बाबा अपने दरबार की ओर बढ़े तो हिंदू भक्तों के अलावा वहां मुस्लिम समुदाय के लोगों की भीड़ भी उमड़ पड़ी हाथों में फूल मालाएं लेकर बाबा के स्वागत के लिए बड़ी तादाद में मुस्लिम लोग सड़कों के किनारे खड़े नजर आए। एक नहीं, दो नहीं सैकड़ों मुस्लिम भक्त बाबा की एक झलक पाने को बेताब दिखे। इन तस्वीरों से बाबा के विरोधियों के सीने पर सांप लोट गए। क्योंकि उनके विरोधियों ने ऐसा नैरेटिव बनाने की कोशिश की कि बाबा मुस्लिम विरोधी हैं। अब दूसरी तस्वीरें देखिये ये तस्वीरें बाबा के विरोधियों को और भी परेशान कर सकती हैं ये मंदसौर में बाबा के पंडाल की तस्वीरें हैं। लाखों हिंदू भक्तों को बीच कई मुस्लिम भक्त भी बाबा की प्रवचन सुनने के लिए बैठे हैं।

अब तक बाबा के विरोधी उन पर ये ठप्पा लगाने की कोशिश कर चुके हैं कि बाबा बागेश्वर मुस्लिमों के हित की बात नहीं करते। इस बात को बाबा गलत साबित कर चुके हैं अब मुस्लिम समुदाय के लोग बाबा के बारे में क्या सोचते हैं। ये सुनना भी आपके लिए जरूरी है।मं दसौर में मुस्लिम समाज के लोगों ने बाबा की ताकत को कई गुना बढ़ा दिया विरोधियों को चारों खाने चित्त कर दिया। जो कांग्रेस मुसलमानों को अपना वोट समझती थी वो भी बाबा के भक्तों में मुसलमानों की भीड़ देखकर हैरान है।

  • क्योंकि 2018 में बीजेपी को 15 प्रतिशत मुस्लिम वोट मिले थे
  • जबकि कांग्रेस का खाते में 80 फीसदी मुस्लिम वोट गए थे
  • वहीं 5 प्रतिशत मुस्लिम वोट अन्य पार्टियों के खाते में गए थे

बाबा के भक्तों में पॉलिटिकल पार्टियों को वोट वैंक दिख रहा है। इसे वो अपने खाते में दर्ज करवाना चाहती हैं। फिलहाल इस मामले में बीजेपी, कांग्रेस से दो कदम आगे दिखती है। अप्रैल में परशुराम जयंति के मौके पर शिवराज सिंह चौहान बाबा बागेश्वर के साथ एक मंच पर नजर आए। इन तस्वीरों से मध्य प्रदेश के राजनीतिक गलियारों में हलचल तेज हो गई। इसके बाद ही कमलनाथ ने भी अपनी स्ट्रैटजी चैंज करते हुए। हिंदुत्व को फॉर्मूले को अपनाने की कोशिश की लेकिन बीजेपी ने इस पर भी कांग्रेस का आड़े हाथ ले लिया।

जिस तरह बाबा का हिंदू राष्ट्र का कॉन्सेप्ट क्लियर है। उसी तरह हिंदू राष्ट्र की दिशा में उनके सत्संग के कार्यक्रमों की लिस्ट भी तैयार है। अभी बाबा की मंदसौर में तीन दिन की कथा खत्म हुई है।

  • 13-14 जून तक कर्नाटक के बेंगलुरु में कथा करेंगे बाबा बागेश्वर
  • फिर 20 से 22 जून तक मध्य प्रदेश के भोपाल में बाबा का दरबार लगेगा
  • इसके बाद 26 से 28 जून तक बाबा बागेश्वर मध्य प्रदेश के खिचलीपुर में रहेंगे
  • और 6 से 8 जुलाई तक देश की राजधानी दिल्ली में होगा बाबा का डेरा
  • इसके बाद 10 से 16 जुलाई तक दिल्ली के पास ग्रेटर नोएडा में बाबा बागेश्वर का दरबार लगेगा
  • और 29 सितंबर से 5 अक्टूबर तक बिहार के गया में रहेंगे बाबा बागेश्वर

यानी अगले तीन महीने का प्लान तैयार है। अब बाबा चाहे बेंगलुरु में रहें या दिल्ली में वो हिंदु धर्म ध्वजा को थामे आगे बढ़ते रहेंगे।

मध्य प्रदेश की राजनीतिक पार्टियां जानती हैं। कि यहां उसी की जीत होगी। जो हिंदू हित की बात करेगा और आज के दौर में मध्य प्रदेश में हिंदू हित की बात करने वालों में जो सबसे बड़ा नाम उभर कर सामने आया है वो है धीरेंद्र शास्त्री यानी बाबा बागेश्वर का। अब सत्ताधारी बीजेपी हो या विपक्ष में बैठी कांग्रेस दोनों ही बाबा को साध कर जीत का स्वाद चखना चाहते हैं हालांकि बाबा का आशीर्वाद किसे मिलेगा। ये अभी पूरी तरह तय नहीं है।

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