मद्रास HC का तमिलनाडु पुलिस को निर्देश, कहा- 6 नवंबर को RSS को रूट मार्च निकालने की दें अनुमति
RSS: 22 सितंबर को मद्रास हाई कोर्ट के एकल न्यायाधीश ने पुलिस को राज्यभर में आरएसएस के कार्यक्रमों की अनुमति देने का निर्देश दिया। दक्षिणपंथी संगठन ने राज्य के गृह सचिव फणींद्र रेड्डी, डीजीपी सी सिलेंद्र बाबू, स्थानीय एसपी और नगर पुलिस निरीक्षक को कानूनी नोटिस जारी कर पूछा कि अदालत के आदेश की अवहेलना करने पर उनके खिलाफ अवमानना की कार्रवाई क्यों शुरू नहीं की जानी चाहिए।
मद्रास हाई कोर्ट।
मुख्य बातें
- तमिलनाडु पुलिस को मद्रास हाई कोर्ट का निर्देश
- 6 नवंबर को RSS को रूट मार्च निकालने की दें अनुमति- मद्रास हाई कोर्ट
- आदेश का उल्लंघन करने पर अधिकारियों को अवमानना का करना पड़ेगा सामना
RSS: मद्रास हाई कोर्ट (Madras High Court) शुक्रवार को तमिलनाडु पुलिस को निर्देश दिया कि वह आरएसएस को छह नवंबर को रूट मार्च आयोजित करने की अनुमति दे। न्यायमूर्ति जीके इलांथिरैया 2 अक्टूबर को रूट मार्च की अनुमति देने से इनकार करने के लिए पुलिस के खिलाफ आरएसएस के तिरुवल्लूर के संयुक्त सचिव आर कार्तिकेयन की ओर से कोर्ट की अवमानना याचिका पर सुनवाई कर रहे थे।
तमिलनाडु पुलिस को मद्रास हाई कोर्ट का निर्देश
साथ ही हाई कोर्ट ने ये भी स्पष्ट किया है कि आदेश का उल्लंघन करने पर अधिकारियों को अवमानना का सामना करना पड़ेगा। तमिलनाडु सरकार ने इससे पहले कानून और व्यवस्था के मुद्दों का हवाला देते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को 2 अक्टूबर को 'रूट मार्च' आयोजित करने की अनुमति देने से इनकार कर दिया था। मद्रास हाई कोर्ट की ओर से अपने पक्ष में आदेश के बावजूद आरएसएस ने गृह सचिव सहित राज्य सरकार के शीर्ष अधिकारियों को तिरुवल्लुर पुलिस द्वारा मार्च आयोजित करने की अनुमति के लिए उसकी याचिका को खारिज करने पर नोटिस जारी किया।
आदेश का उल्लंघन करने पर अधिकारियों को अवमानना का करना पड़ेगा सामना
22 सितंबर को मद्रास हाई कोर्ट के एकल न्यायाधीश ने पुलिस को राज्यभर में आरएसएस के कार्यक्रमों की अनुमति देने का निर्देश दिया। दक्षिणपंथी संगठन ने राज्य के गृह सचिव फणींद्र रेड्डी, डीजीपी सी सिलेंद्र बाबू, स्थानीय एसपी और नगर पुलिस निरीक्षक को कानूनी नोटिस जारी कर पूछा कि अदालत के आदेश की अवहेलना करने पर उनके खिलाफ अवमानना की कार्रवाई क्यों शुरू नहीं की जानी चाहिए। अपने कानूनी नोटिस में आरएसएस के वकील बी राबू मनोहर ने कहा कि न्यायमूर्ति जी के इलांथिरैयन के 22 सितंबर के आदेश के मद्देनजर चारों के पास इस आयोजन के लिए उच्च न्यायालय द्वारा लगाई गई शर्तों के अलावा अनुमति देने से इनकार करने या कोई नई शर्त लगाने का कोई अधिकार था।
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टाइम्स नाउ नवभारत author
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