8 राज्य, 50 से ज्यादा मुकदमें और कई खूनी कारनामे! कहानी मुख्तार अंसारी की, जिसने अपने ही पूर्वजों की अच्छाई पर पोत दी कालिख
Mafia Mukhtar Ansari Biography: अंसारी परिवार में आज भले ही मुख्तार अंसारी सबसे चर्चित चेहरा है लेकिन वह जिस खानदान का चश्मो चिराग है उसने हिंदुस्तान का एक नामी परिवार था। जंग में पाकिस्तान के छक्के छुड़ाकर शहीद होने वाले महावीर चक्र विजेता शहीद ब्रिगेडियर उस्मान अंसारी मुख्तार के नाना थे।
मुख्तार अंसारी को गैंगेस्टर एक्ट में हुई सजा
Report- Munish Devgan: मुख्तार का मतलब होता है वो खास शख्स जिसे ख़ुदा ने किसी विशेष काम करने के लिए बनाया हो। लेकिन मुख़्तार अंसारी बना तो पूर्वांचल का सबसे कुख्तयात गैंगस्टर और माफिया।
8 राज्यों में जुर्म का कारोबार
6 फुट 2 इंच की हाइट वाले मुख्तार का कद अपराध की दुनिया में कहीं ऊंचा है। मुख्तार की पहचान पांच बार के विधायक के तौर पर नहीं बल्कि पूर्वांचल के सबसे बड़े बाहुबली माफिया के तौर पर होती है। लगभग 8 राज्यों में जिसके जुर्म का कारोबार फैला हुआ है। 50 से अधिक मुकदमें हैं। जेल से माफियागिरी चलाने का जो मॉडल मुख्तार ने विकसित किया उसकी काट अब तक किसी के पास नहीं थी। जिस जेल में मुख्तार बंद होता था वहीं उसका क्राइम हेडक्वार्टर बन जाता था।
खानदान का गौरवशाली है इतिहास
अंसारी परिवार में आज भले ही मुख्तार अंसारी सबसे चर्चित चेहरा है लेकिन वह जिस खानदान का चश्मो चिराग है उसने हिंदुस्तान का एक नामी परिवार था। जंग में पाकिस्तान के छक्के छुड़ाकर शहीद होने वाले महावीर चक्र विजेता शहीद ब्रिगेडियर उस्मान अंसारी मुख्तार के नाना थे। वहीं मुख्तार के दादा डॉ. एम ए अंसारी, आजादी की लड़ाई में महात्मा गांधी के साथी थे, जो कांग्रेस के अध्यक्ष रह चुके हैं। देश के पूर्व उप राष्ट्रपति हामिद अंसारी रिश्ते में मुख्तार के चचा लगते हैं। लेकिन मुख्तार अंसारी ने अपने कारनामों से खानदान के गौरवशाली इतिहास पर कालिख पोत दी।
पूर्वांचल में आतंक
मुख्तार अंसारी से पहले उसके बड़े भाई अफज़ाल अंसारी और शबगतुल्ला अंसारी सियासत में आ चुके थे। 80 के दशक में पूर्वांचल माफियाराज की प्रयोगभूमि बन चुका था। अंसारी परिवार ने सियासत और माफियागिरी दोनों का रास्ता चुना। 1985 में मुख्तार के बड़े भाई अफजाल अंसारी मोहम्मदाबाद विधानसभा से चुनाव जीते। मुख्तार अंसारी इस दौरान स्कूल में थे। उसने गाजीपुर इंटर कॉलेज में पढ़ने के दौरान ही साधू सिंह का गिरोह ज्वाइन कर लिया। ये पूर्वांचल में माफियाराज के दिन थे। लेकिन मुख्तार किसी का गुर्गा बनने नहीं आया था। इसी दौरान मुख्तार की अदावत ब्रजेश सिंह से हुई जो दूसरे गैंग का गुर्गा था। कॉलेज के दिनों में शुरू हुई इस दुश्मनी को पूर्वांचल के खूंखार गैंगवार में तब्दील होना था। जल्द ही मुख्तार और ब्रजेश सिंह के अपने गैंग बन चुके थे। मुख्तार अंसारी ने सरकारी ठेकों को दबंगई से हथियाने का फॉर्मूला निकाला। मुख्तार के बड़े भाई अफजाल अंसारी मोहम्मदाबाद सीट से 1985 से लगातार पांच बार विधायक रहे। 90 के दशक में मुख्तार अंसारी की पहचान बड़े भाई अफजाल की छवि से ज्यादा बड़ी हो गई। मुख्तार ने बाहुबली की छवि बनाई तो साथ ही वो रॉबिनहुड की इमेज भी कायम करने लगा। अपराध की दुनिया में डूबे हुए मुख्तार को मालूम था कि सियासत का सहारा ही जुर्म के उसके धंधों को संरक्षण दे सकता है। परिवार की सियासी विरासत भी थी और मुख्तार की आपराधिक छवि भी। वह दौर राजनीति के अपराधिकरण के नंगे नाच का दौर था। यूपी में ही कई माफिया सियासत में आकर माननीय हो रहे थे।
जरायम की दुनिया में मुख्तार बना बड़ा नाम
1996 में मऊ से मुख्तार अंसारी ने बसपा की टिकट पर चुनाव लड़ा और जीता। इसके बाद लगातार पांच बार मुख्तार अंसारी वहां से चुनाव लड़ता और जीतता रहा। मुख्तार ने पार्टियां बदलीं लेकिन चुनाव के नतीजे नहीं बदले। मुख्तार का गुजारा विधायक निधि के फंड से तो होना नहीं था। उसके लिए तो गुंडा टैक्स, रंगदारी टैक्स, ठेका टैक्स जैसे कई आय के जरिए थे। जरायम की दुनिया में मुख्तार एक बड़ा नाम हो चुका था। इतना बड़ा कि अब अंसारी परिवार का गौरवशाली इतिहास मुख्तार के कारनामों से ढक गया।
कृष्णानंद राय की हत्या
मुख्तार अंसारी और ब्रजेश सिंह की अदावत का नया मुकाम था विधायक कृष्णानंद राय की हत्या का मामला। दरअसल 2002 में गाजीपुर के मोहम्मदाबाद सीट से मुख्तार के बड़े भाई अफजाल अंसारी चुनाव हार गए। यह सीट अंसारी परिवार के पास 1985 से ही थी। वहीं कृष्णानंद राय की चुनाव में मुख्तार के दुश्मन ब्रजेश सिंह ने काफी मदद की थी। पारिवारिक सीट पर हार और दुश्मन के उम्मीदवार की जीत से मुख्तार गुस्से में पागल हो गया। कृष्णानंद राय विधायक के तौर पर अपना कार्यकाल भी पूरा नहीं कर पाए। 2005 में उनके काफिले पर मुख्तार के गुर्गों ने 500 राउंड से अधिक गोलियां चलाईं। विधायक कृष्णानंद राय समेत सात लोग जो उस गाड़ी में सवार थे मौके पर ही मारे गए। मुख्तार अंसारी के अपराधों की लिस्ट बहुत लंबी है। 2005 में एक महीने तक चले मऊ दंगों में मुख्तार पर दंगा भड़काने के आरोप लगे। ओपन जीप में बैठकर दंगे के दौरान मुख्तार की तस्वीरें और वीडियो मीडिया में सामने आईं। इसी दौरान तब के गोरखपुर से सांसद योगी आदित्यनाथ मऊ दौरे पर गए। योगी के काफिले पर हमला हुआ, गोलियां चलीं। योगी इस हमले में बाल-बाल बच गए . कहा जाता है कि यहीं से मुख्तार और योगी आदित्यनाथ के बीच अदावत की असली शुरूआत हुई.
20 साल से जेल में बंद
मुख्तार का जेल से पुराना नाता था। लगभग 60 साल की उम्र है मुख्तार की जिसमें 20 साल से अधिक समय वह कई मामलों में जेल में बिता चुका है। रंगदारी के लिए व्यापारी नंद किशोर रुंगटा के अपहरण और हत्या का मामला हो, कृष्णानंद राय मर्डर केस हो या जिस जेल में मुख्तार बंद था उसके जेलर को ही जान से मारने की धमकी देने का मामला हो। मुख्तार अंसारी को सजा होती रही, वो जेल जाता रहा लेकिन उसके जुर्म का कारोबार फलता-फूलता रहा। मुख्तार ने जेल से ही अपने अपराधों को अंजाम दिया। उसने जेल से गैंग चलाने का पूरा नेटवर्क स्थापित कर दिया।
योगी सरकार ने कसा शिकंजा
योगी आदित्यनाथ सरकार आने के बाद माफिया पर शिकंजा कसने की तैयारी हुई। मुख्तार खतरे को भांपते हुए पंजाब के रोपड़ जेल चला गया। योगी सरकार ने 26 बार प्रोडक्शन वारंट के तहत मुख्तार को पंजाब से यूपी लाने की कोशिश की लेकिन पंजाब की कांग्रेस सरकार ने हर बार अड़ंगा लगाया। कहा जाता है कि दिल्ली से एक बड़े नेता ने मुख्तार का जुगाड़ पंजाब की कांग्रेस सरकार से करा दिया था जिसके चलते मुख्तार को रोपड़ जेल में वीवीआईपी सुविधाएं दी जा रही थीं।मुख्तार को यूपी लाने के लिए योगी सरकार सुप्रीम कोर्ट गई। आखिरकार सर्वोच्च अदालत के आदेश के बाद मुख्तार को यूपी के बांदा जेल लाया गया। मुख्तार के खौफ का आलम ये था कि बांदा जेल में उसके शिफ्ट होने के खौफ से जेल सुपरीटेंडेंट ही तैनाती से भागते रहे। अरुण कुमार सिंह मुख्तार के बांदा जेल में शिफ्टिंग के दौरान जेल सुपरीटेंडेंट थे। मुख्तार के बांदा जेल आने के कुछ दिनों बाद ही अरुण कुमार सिंह मेडिकल लीव पर चले गए और कभी नहीं लौटे। उनके बाद दो और सुपरीटेंडेंट्स को बांदा में पोस्टिंग दी गई लेकिन उन्होंने ज्वाइन ही नहीं किया। 11 नवंबर 2021 को बरेली जेल के सुपरीटेंडेंट विजय विक्रम सिंह की पोस्टिंग बांदा की गई लेकिन उन्होंने ज्वाइन ही नहीं किया। योगी सरकार ने उन्हें सस्पेंड कर दिया।
16 मामलों में सुनवाई जारी
मुख्तार अंसारी 50 से अधिक मामले दर्ज हैं। 16 मामलों की सुनवाई चल रही है। अलग-अलग मामलों में मुख्तार को सजा भी मिली है। इसमें से ही एक मामला है जेल सुपरीटेंडेंट को जान से मारने की धमकी देने का। अब मुख्तार के परिवार भी योगी सरकार ने शिकंजा कसा है। मुख्तार के बेटे अब्बास, बहू निकहत को भी जेल की हवा खानी पड़ी तो बीवी पर भी शिकंजा कस चुका है. जेल से जुर्म संचालित करने के पुराने अनुभव मुख्यतार के काम नहीं आ रहे हैं। क्योंकि योगी सरकार अब आर या पार के मूड में है। अतीक और उसके गैंग का हश्र देखकर लंबी कद काठी के मुख्तार की हवाईंया उड़ी हुई हैं। व्हीलेचेयर पर बैठा लाचार सा दिखता ये दुर्दांत अपराधी यूपी के सबसे ताकतवर माफिया हुआ करता था ये यकीन करना मुश्किल है। लेकिन मुख्तार का गैंग अब भी एक्टिव है। सबके ज़ेहन में यहीं सवाल है कि अतीक का तो अंत हो गया अब तेरा क्या होगा मुख्तार?
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