महाशिवरात्रि पर संगम तट पर आखिरी स्नान जारी, प्रयागराज में उमड़ा श्रद्धालुओं का रेला, अंतिम पड़ाव पर पहुंचा महाकुंभ ​

महाकुंभ का अंतिम शुभ स्नान होने के कारण बड़ी संख्या में श्रद्धालु आधी रात के करीब से ही संगम के तट पर एकत्र होने लगे थे और कुछ श्रद्धालु 'ब्रह्म मुहूर्त' में डुबकी लगाने के लिए धैर्यपूर्वक प्रतीक्षा कर रहे थे, जबकि कई श्रद्धालुओं ने निर्धारित समय से काफी पहले ही स्नान अनुष्ठान कर लिया था।

Mahakumbh

महाकुंभ में भक्तों का उमड़ा रेला

Maha Kumbh Final Snan: महाशिवरात्रि पर महाकुंभ में आखिरी स्नान के लिए आज प्रयागराज में श्रद्धालुओं का रेला उमड़ पड़ा है। बड़ी संख्या में लोग प्रयागराज पहुंचे हैं और ब्रह्म मुहूर्त से ही स्नान का सिलसिला शुरू हो गया है। 'हर हर महादेव' के जयकारों के बीच देशभर के तीर्थयात्रियों की भीड़ ने बुधवार को महाशिवरात्रि के अवसर पर त्रिवेणी संगम में पवित्र डुबकी लगाई। 45 दिवसीय महाकुंभ अपने समापन की ओर अग्रसर है। 12 वर्षों में एक बार होने वाला महाकुंभ 13 जनवरी (पौष पूर्णिमा) को शुरू हुआ और इस दौरान नागा साधुओं के भव्य जुलूस और तीन 'अमृत स्नान' हुए। इस विशाल धार्मिक समागम में अब तक रिकॉर्ड 64 करोड़ से अधिक तीर्थयात्री शामिल हुए हैं।

महाकुंभ का अंतिम शुभ स्नान

महाकुंभ का अंतिम शुभ स्नान होने के कारण बड़ी संख्या में श्रद्धालु आधी रात के करीब से ही संगम के तट पर एकत्र होने लगे थे और कुछ श्रद्धालु 'ब्रह्म मुहूर्त' में डुबकी लगाने के लिए धैर्यपूर्वक प्रतीक्षा कर रहे थे, जबकि कई श्रद्धालुओं ने निर्धारित समय से काफी पहले ही स्नान अनुष्ठान कर लिया था।

तीर्थयात्रियों के संगम स्थल पर या उसके आस-पास के विभिन्न घाटों पर पवित्र स्नान करने के दौरान सुरक्षा कर्मियों कड़ी निगरानी है और किसी भी स्थान पर लंबे समय तक भीड़ नहीं लगने दी। तीर्थयात्री पश्चिम बंगाल, कर्नाटक, बिहार, दिल्ली, राजस्थान, मध्य प्रदेश व देश के कोने-कोने से आए हैं। तीर्थयात्रियों का एक समूह नेपाल से भी आया था, जो महाकुंभ के समापन के दिन महाराशिवरात्रि पर पवित्र स्नान करने आया था।

लगे 'हर हर महादेव' और 'जय महाकाल' के नारे

कई लोगों ने 'हर हर महादेव' और 'जय महाकाल' का नारा लगाया, जिससे यहां धार्मिक उत्साह और बढ़ गया। महाशिवरात्रि भगवान शिव और देवी पार्वती के दिव्य मिलन का प्रतीक है और कुंभ मेले के संदर्भ में इसका विशेष महत्व है। हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान शिव ने समुद्र मंथन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी, जिसके परिणामस्वरूप अमृत कुंभ का उद्भव हुआ, जो कुंभ मेले का सार है।

अंतिम पड़ाव पर पहुंचा महाकुंभ

प्रयागराज में महाकुंभ-2025 अपने अंतिम पड़ाव पर पहुंच गया है, जहां करोड़ों श्रद्धालुओं की आस्था, अखाड़ों की दिव्यता और संतों के आशीर्वाद ने इसे ऐतिहासिक बना दिया। बुधवार को महाशिवरात्रि के पावन अवसर पर अंतिम स्नान पर्व के साथ महाकुंभ संपन्न हो जाएगा। 13 जनवरी से शुरू महाकुंभ में 64 करोड़ से ज्यादा श्रद्धालुओं ने पवित्र त्रिवेणी संगम में आस्था की डुबकी लगाई। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रयागराज महाकुंभ-2025 के प्रमुख स्नान पर्व महाशिवरात्रि के पावन अवसर पर प्रदेशवासियों एवं महाकुंभ में स्नान के लिए पधारे पूज्य संत-महात्माओं एवं श्रद्धालुओं को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं दी। उन्होंने कहा कि महाशिवरात्रि का पावन पर्व लोक कल्याण के लिए प्रतिबद्ध होने की प्रेरणा देता है। देवों के देव महादेव जनमानस में सर्वमान्य रूप से पूजे जाते हैं। पर्व व त्योहार हमारी परंपरा और राष्ट्रीयता को सुदृढ़ करने के प्रेरणास्पद अवसर हैं। भारत के विभिन्न क्षेत्रों में स्थित ज्योतिर्लिंग राष्ट्रीय एकता के प्रतीक हैं।

64 करोड़ लोगों ने लगाई डुबकी

उत्तर प्रदेश सरकार के अनुसार, मंगलवार को संगम और मेला क्षेत्र के अन्य घाटों पर कुल 1.33 करोड़ श्रद्धालुओं ने डुबकी लगाई, जिससे महाकुंभ 2025 के दौरान कुल श्रद्धालुओं की संख्या 64 करोड़ से अधिक हो गई। मेले में आने वाले श्रद्धालुओं की कुल संख्या भारत और चीन को छोड़कर दुनिया के सभी देशों की आबादी से अधिक है। महाकुंभ में छह विशेष स्नान तिथियां मनाई गई हैं - 13 जनवरी को पौष पूर्णिमा, 14 जनवरी को मकर संक्रांति, 29 जनवरी को मौनी अमावस्या, 3 फरवरी को बसंत पंचमी, 12 फरवरी को माघी पूर्णिमा और 26 फरवरी को महाशिवरात्रि - जिसमें तीन 'अमृत स्नान' शामिल हैं।

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अमित कुमार मंडल author

करीब 18 वर्षों से पत्रकारिता के पेशे से जुड़ा हुआ हूं। इस दौरान प्रिंट, टेलीविजन और डिजिटल का अनुभव हासिल किया। कई मीडिया संस्थानों में मिले अनुभव ने ...और देखें

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