महाकाल की नगरी Ujjain का मान बढ़ाएगा Shri Mahakal Lok: मंदिर परिसर में मूर्तिकला के साथ ये चीजें हैं खास

Ujjain Mahakal Lok Mandir Inauguration: महाकालेश्वर मंदिर भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंग में से एक है, जहां देश के विभिन्न इलाकों से लोग सालों भर दर्शन एवं पूजा-अर्चना करने आते हैं। दो राजसी प्रवेश द्वार- नंदी द्वार और पिनाकी द्वार - थोड़ी-थोड़ी दूरी पर कॉरिडोर के शुरुआती बिंदु के पास बनाए गए हैं, जो प्राचीन मंदिर के प्रवेश द्वार तक जाते हैं और रास्ते भर सौंदर्य के दृश्य पेश करते हैं।

महाकाल की नगरी Ujjain का मान बढ़ाएगा Shri Mahakal Lok: मंदिर परिसर में मूर्तिकला के साथ ये चीजें हैं खास

Ujjain Mahakal Lok Mandir Inauguration: मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) में इंदौर (Indore) से सटे उज्जैन (Ujjain) में बना श्री महाकाल लोक (Shri Mahakal Lok) या महाकाल कॉरिडोर (Mahakal Corridor) न केवल बाबा महाकाल (Mahakal) के मंदिर की शोभा बढ़ाएगा, बल्कि समूचे उज्जैन और सूबे का नाम करेगा। भगवान भोले के भक्तों के साथ यह इतिहास प्रेमियों, पर्यटकों और विदशियों के बीच भी आकर्षण का केंद्र बनेगा। ऐसा इसलिए, क्योंकि इस महाकाल लोक में कई ऐसी चीजें हैं, जो कि इसे भव्य, दिव्य, अलौकिक और बेहद खास बनाती हैं। आइए जानते हैं:

दो भव्य प्रवेश द्वार, बलुआ पत्थरों से बने जटिल नक्काशीदार 108 अलंकृत स्तंभों की एक आलीशान स्तम्भावली, फव्वारों और शिव पुराण की कहानियों को दर्शाने वाले 50 से अधिक भित्ति-चित्रों की एक सीरीज उज्जैन में नवनिर्मित 'महाकाल लोक' की शोभा बढ़ाएंगे। 856 करोड़ रुपए की परियोजना के तहत 900 मीटर से अधिक लंबा कॉरिडोर है, जो कि भारत में अब तक निर्मित ऐसे सबसे बड़े गलियारों में से एक है।

यह कॉरिडोर पुरानी रुद्रसागर झील के पास है, जिसे प्राचीन महाकालेश्वर मंदिर के आसपास पुनर्विकास परियोजना के हिस्से के रूप में भी पुनर्जीवित किया गया है। महाकालेश्वर मंदिर भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंग में से एक है, जहां देश के विभिन्न इलाकों से लोग सालों भर दर्शन एवं पूजा-अर्चना करने आते हैं। दो राजसी प्रवेश द्वार- नंदी द्वार और पिनाकी द्वार - थोड़ी-थोड़ी दूरी पर कॉरिडोर के शुरुआती बिंदु के पास बनाए गए हैं, जो प्राचीन मंदिर के प्रवेश द्वार तक जाते हैं और रास्ते भर सौंदर्य के दृश्य पेश करते हैं।

परियोजना की शुरुआत से जुड़े सीनियर अफसर ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि राजस्थान में बंसी पहाड़पुर क्षेत्र से प्राप्त बलुआ पत्थरों का उपयोग उन संरचनाओं के निर्माण के लिए किया गया है जो इस कॉरिडोर की शोभा बढ़ाते हैं। राजस्थान, गुजरात और उड़ीसा के कलाकारों एवं शिल्पकारों ने मुख्य रूप से पत्थरों को तराशकर और उन्हें अलंकृत कर सौंदर्य स्तंभों और पैनल में तब्दील किया है।

मध्य प्रदेश सरकार के सूत्रों ने कहा कि 2017 में शुरू हुई इस महत्वाकांक्षी परियोजना का उद्देश्य प्राचीन मंदिर वास्तुकला के उपयोग के माध्यम से "ऐतिहासिक शहर उज्जैन के प्राचीन गौरव पर जोर देना और इसे वापस लाना है।" कॉरिडोर में आने वाले लोगों को तमाम अत्याधुनिक सुविधाएं भी मुहैया कराई जाएंगी। सूत्रों के मुताबिक, नियमित अंतराल पर त्रिशूल-शैली की डिजाइन पर सजावटी तत्वों के साथ 108 स्तंभ, सीसीटीवी कैमरे और सार्वजनिक संबोधन प्रणाली को सामंजस्यपूर्ण रूप से शामिल किया गया है।

उज्जैन स्मार्ट सिटी परियोजना के मुख्य कार्यकारी अधिकारी आशीष कुमार पाठक ने कहा कि उज्जैन एक प्राचीन और पवित्र शहर है तथा पुराने हिंदू ग्रंथों में महाकालेश्वर मंदिर के आसपास महाकाल वन की मौजूदगी का वर्णन है। उन्होंने कहा, "यह परियोजना उस प्राचीनता को दोबारा पुनर्जीवित नहीं कर सकती जो सदियों पहले थी, लेकिन हमने कॉरिडोर में स्तंभों और अन्य संरचनाओं के निर्माण में उपयोग की जाने वाली पुरानी, सौंदर्य वास्तुकला के माध्यम से उस गौरव को फिर से वापस लाने का प्रयास किया है।"

कालिदास के अभिज्ञान शकुंतलम में वर्णित बागवानी प्रजातियों के पौधों को कॉरिडोर में लगाया गया है। उन्होंने ‘पीटीआई’ से कहा, "इसलिए, धार्मिक महत्व वाली लगभग 40-45 ऐसी प्रजातियों का उपयोग किया गया है, जिनमें रुद्राक्ष, बकुल, कदम, बेलपत्र, सप्तपर्णी शामिल हैं।" उज्जैन, पुरानी क्षिप्रा नदी के तट पर स्थित, एक प्राचीन शहर है जिसे पहले उज्जैनी और अवंतिका के नाम से भी जाना जाता था और यह शहर राजा विक्रमादित्य की कथा से जुड़ा हुआ है।

इस बीच, उज्जैन स्मार्ट सिटी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी आशीष कुमार पाठक ने पीटीआई को बताया कि हर साल करीब 1.5 करोड़ लोग मंदिर में दर्शन करने पहुंचते हैं। उन्होंने कहा, ‘‘और, महाकाल लोक के उद्घाटन के बाद इस सालाना संख्या के दोगुना होकर करीब तीन करोड़ होने की उम्मीद है।’’

उज्जैन में हर 12 साल में होने वाले सिंहस्थ कुंभ के दौरान महाकालेश्वर मंदिर में भारी संख्या में श्रद्धालु जुटते हैं। उज्जैन में पिछली बार 2016 में कुंभ का आयोजित हुआ था। पाठक ने कहा, ‘‘ वर्ष 2016 में सिंहस्थ कुंभ मेला के दौरान एक महीने में सात करोड़ लोगों ने उज्जैन की यात्रा की थी। हमे उम्मीद है कि अगले कुंभ मेला में यह संख्या 10 करोड़ तक पहुंच सकती है।’’

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अभिषेक गुप्ता author

छोटे शहर से, पर सपने बड़े-बड़े. किस्सागो ऐसे जो कहने-बताने और सुनाने को बेताब. कंटेंट क्रिएशन के साथ नजर से खबर पकड़ने में पारंगत और "मीडिया की मंडी" ...और देखें

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