महाराष्ट्र चुनाव: उद्धव ठाकरे सीएम पद का चेहरा पहले घोषित करने के पक्षधर, पवार का सरकार बदलने पर जोर
महाराष्ट्र की 288 सदस्यीय विधानसभा के चुनाव अक्टूबर या नवंबर में होने की संभावना है। उद्धव ठाकरे ने सीएम पद का उम्मीदवार घोषित करने पर बल दिया तो शरद पवार ने कहा कि अगर राज्य की स्थिति में सुधार करना है तो महाराष्ट्र में सरकार बदलने के लिए एक सूत्रीय एजेंडा अपनाना चाहिए।
महाराष्ट्र चुनाव की रणनीति
Maharashtra Elections: महाराष्ट्र में आगामी चुनाव को लेकर महा विकास आघाडी (MVA) में रणनीति बनाने पर बैठकों का दौर जारी है। मुख्यमंत्री पद का चेहरा घोषित करने से लेकर जीत की रणनीति बनाने के मु्द्दे पर मंथन किया जा रहा है। शिवसेना (UBT) प्रमुख उद्धव ठाकरे ने इस बात पर जोर दिया कि आगामी विधानसभा चुनाव में सबसे अधिक सीट जीतने वाली पार्टी के मुख्यमंत्री पद पर दावे से संबंधित फार्मूले को अपनाने के बजाय महा विकास आघाडी चुनाव से पहले ही मुख्यमंत्री पद का चेहरा घोषित करे। उद्धव ठाकरे ने कहा कि वह एमवीए की ओर से घोषित ऐसे किसी भी उम्मीदवार का वह समर्थन करेंगे।
शरद पवार ने बनाई दूरी
महा विकास आघाडी के सहयोगी दल राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरदचंद्र पवार) के प्रमुख शरद पवार ने इस विवादास्पद मुद्दे पर बात नहीं की। लेकिन शरद पवार ने राज्य की स्थिति में सुधार और सरकार बदलने के लिए एकल-बिंदु वाले एजेंडे की आवश्यकता पर जोर दिया। कांग्रेस ने भी भाजपा के नेतृत्व वाले महायुति गठबंधन को महाराष्ट्र की सत्ता से हटाने पर ध्यान केंद्रित करने की वकालत की। कांग्रेस की राज्य इकाई के प्रमुख नाना पटोले ने कहा कि इंडिया गठबंधन के नेता तय करेंगे कि मुख्यमंत्री कौन होगा। एमवीए पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए ठाकरे ने कहा कि अगर लोकसभा चुनाव लोकतंत्र और संविधान की रक्षा के लिए हुए हैं तो विधानसभा चुनाव महाराष्ट्र के स्वाभिमान को बचाने की लड़ाई है।
महाराष्ट्र की 288 सदस्यीय विधानसभा के चुनाव अक्टूबर या नवंबर में होने की संभावना है। पवार ने इस बात की आवश्यकता पर जोर दिया है कि अगर राज्य की स्थिति में सुधार करना है तो महाराष्ट्र में सरकार बदलने के लिए एक सूत्रीय एजेंडा अपनाना चाहिए। महाराष्ट्र में अक्टूबर या नवंबर में विधानसभा चुनाव होने की संभावना है। एमवीए में शिवसेना (यूबीटी), शरद पवार के नेतृत्व वाली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी और कांग्रेस शामिल हैं।
उद्धव का मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित करने पर जोर
उद्धव ने जोर देकर कहा कि मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार का फैसला पहले किया जाना चाहिए न कि चुनाव में सबसे अधिक सीट जीतने वाली पार्टी के तर्क वाले आधार पर। उन्होंने कहा कि भारतीय जनता पार्टी के साथ गठबंधन के दौरान उनका अनुभव यह रहा कि जिसके पास संख्या होगी उसे मुख्यमंत्री का पद मिलेगा। उन्होंने इस नीति को नुकसानदेह करार दिया क्योंकि इससे एक दल, अपने गठबंधन में बढ़त बनाए रखने के लिए दूसरे दल के उम्मीदवार को हराने की कोशिश करेगा। ठाकरे ने कहा कि पहले (मुख्यमंत्री का चेहरा) फैसला करें और फिर आगे बढ़ें लेकिन इस नीति (जिनके पास सबसे ज्यादा सीट होंगी उसे मुख्यमंत्री पद मिलेगा) के अनुसार न चलें। पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा, उद्धव ठाकरे कांग्रेस और राकांपा (सपा) द्वारा एमवीए के मुख्यमंत्री चेहरे के रूप में घोषित किसी भी उम्मीदवार का समर्थन करेगा। मैं अपने लिए नहीं लड़ रहा हूं बल्कि महाराष्ट्र के अधिकारों के लिए लड़ रहा हूं। ठाकरे ने एमवीए कार्यकर्ताओं से निजी स्वार्थों से ऊपर उठने और महाराष्ट्र के गौरव और हित की रक्षा के लिए लड़ने के लिए कहा। उन्होंने उनसे राज्य में विपक्षी गठबंधन का दूत बनने का भी आग्रह किया।
वक्फ बोर्ड विधेयक को लेकर पीएम मोदी पर निशाना
स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर प्रधानमंत्री मोदी द्वारा अपने संबोधन में देश में धर्मनिरपेक्ष नागरिक संहिता की वकालत किए जाने पर ठाकरे ने सवाल किया कि क्या उन्होंने हिंदुत्व छोड़ दिया है? मोदी ने कहा था, देश का एक बहुत बड़ा वर्ग मानता है कि जिस नागरिक संहिता को लेकर हम लोग जी रहे हैं, वह सचमुच में साम्प्रदायिक और भेदभाव करने वाली संहिता है। मैं चाहता हूं कि इस पर देश में गंभीर चर्चा हो और हर कोई अपने विचार लेकर आए। ठाकरे ने प्रधानमंत्री पर निशाना साधते हुए पूछा, क्या आपने हिंदुत्व छोड़ दिया है? आपने चंद्रबाबू नायडू और नीतीश कुमार के साथ गठबंधन किया जो हिंदुत्व में विश्वास नहीं करते हैं। उन्होंने वक्फ (संशोधन) विधेयक को लेकर भी प्रधानमंत्री पर निशाना साधा और पूछा कि जब भाजपा के पास पूर्ण बहुमत था तब इसे पारित क्यों नहीं किया गया।
क्या हमारे बीच झगड़ा कराने के लिए वक्फ विधेयक लाए हैं?
उन्होंने कहा, क्या आप हमारे बीच झगड़ा कराने के लिए वक्फ विधेयक लाए हैं? और यदि आपको इसे लाना ही था तो आपने बहुमत होने पर ऐसा क्यों नहीं किया? मेरे संसद सदस्य वहां नहीं थे क्योंकि वे मेरे साथ थे। अगर इस पर चर्चा होनी होती तो हमारे सांसद इसमें हिस्सा लेते। ठाकरे की पार्टी को इस बात के लिए आलोचना का सामना करना पड़ा था कि पिछले सप्ताह लोकसभा में चर्चा के लिए आए इस विधेयक पर उसने अपने विचार नहीं रखे। विधेयक को बाद में जांच के लिए एक संसदीय समिति के पास भेज दिया गया। उन्होंने अयोध्या में भूमि सौदों की संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) से जांच कराने की मांग करते हुए कहा कि जिस तरह आप हमारे हिंदू मंदिरों से जमीन लेकर अपने ठेकेदार मित्रों को दे रहे हैं, उसी तरह वक्फ बोर्ड की जमीन चुराकर अपने उद्योगपति दोस्तों को देने जा रहे हैं... तो हम कोई गड़बड़ी नहीं होने देंगे।
बीजेपी ने कहा, आखिरकार सच्चाई सामने आई गई
वहीं, महाराष्ट्र भाजपा ने कहा कि आखिरकार सच्चाई सामने आ गई क्योंकि ठाकरे ने आखिरकार स्वीकार कर लिया कि तत्कालीन शिवसेना और भाजपा के बीच यह तय हुआ था कि जिसके पास अधिक विधायक होंगे, उसे मुख्यमंत्री पद मिलेगा। ये फॉर्मूला वर्ष 2019 में तय हुआ था। राज्य भाजपा ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा कि ठाकरे की टिप्पणी यह भी साबित करती है कि उन्होंने मुख्यमंत्री पद के लिए हिंदुत्व और तत्कालीन शिवसेना-भाजपा गठबंधन को धोखा दिया। बैठक में राकांपा (शरदचंद्र पवार) नेता और लोकसभा सदस्य सुप्रिया सुले ने ‘लाडकी बहिन’ योजना को लेकर महायुति सरकार पर निशाना साधते हुए आरोप लगाया कि वह बहनों के प्यार की कीमत तय करने का पाप कर रही है। उन्होंने कहा कि सरकार में शामिल नेताओं को लोकसभा चुनाव के बाद ही अपनी बहनों की याद आई।
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