महाराष्ट्र जैसी बिहार में भी दिखेगी 'झांकी'? समझिए, क्यों सुशासन बाबू का सूबा बन सकता है सियासी उठापटक का अखाड़ा

Bihar Politics: सुशील कुमार मोदी के मुताबिक, बिहार में भी महाराष्ट्र जैसे हालात बन सकते हैं। नीतीश कुमार ने इसे भांपते हुए विधायकों को अलग-अलग कर संवाद साधना शुरू कर दिया है।

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बिहार के सीएम नीतीश कुमार और डिप्टी-सीएम तेजस्वी यादव। (फाइल)

तस्वीर साभार : टाइम्स नाउ ब्यूरो
Bihar Politics: महाराष्ट्र के बाद बिहार भी सियासी उठापटक का अखाड़ा बन सकता है। ऐसा इसलिए क्योंकि वहां भी बगावत और टूट की आशंका है और ऐसा केंद्रीय मंत्री रामदास अठावले, बीजेपी नेता और सूबे के पूर्व डिप्टी सीएम सुशील कुमार मोदी और लोक जनशक्ति पार्टी (राम विलास) के नेता चिराग पासवान को लगता है।
वैसे, ये सारे नेता जो कुछ भी कहें, मगर इन्होंने कोई नई बात नहीं की है। दरअसल, करीब एक बरस पहले शिंदे के शिवसेना तोड़ने के तुरंत बाद ही बिहार में तख्तापलट की चर्चा शुरू हो गई थी। कुछ माह बाद अपनी जेडीयू में इस तरह के किसी भी विभाजन को विफल करने के लिए बिहार के मुख्यमंत्री कुमार ने एक बार फिर अपने साथी भाजपा को छोड़ दिया था और तब राज्य के राजनीतिक विपक्ष यानी राष्ट्रीय जनता दल (राजद), कांग्रेस और वाम दलों आदि के साथ मिलकर सरकार बनाई थी।
चूंकि, महाराष्ट्र में शिवसेना जैसे जेडीयू बरसों से बिहार में भाजपा की सहयोगी रही है और इसके कई सांसद और विधायक, 2019 के राष्ट्रीय चुनावों या 2020 के राज्य चुनावों के दौरान मोदी लहर पर सवार होकर जीतते दिखे। सियासी गलियारों में ऐसा कहा जाता है कि इनमें से कई नेता अप्रैल-मई से पहले अपने राजनीतिक भविष्य को लेकर चिंतित हैं। देश जब अपनी नई सरकार चुनने के लिए मतदान करेगा और एक साल बाद जब बिहार में चुनाव होंगे तब कई लोग यह तर्क देंगे कि पीएम मोदी भारतीय चुनावों में सबसे बड़े वोट कैचर बने और ये नेता इसके प्रति सचेत हो सकते हैं।
पर्याप्त संख्या में अगर जेडीयू विधायक टूटते हैं तो बीजेपी बिहार में सरकार बनाने की स्थिति में हो सकती है। ऐसे में बिहार में महाराष्ट्र जैसा तख्तापलट या यहां तक कि इसकी चर्चा भाजपा को भारत के राजनीतिक विपक्ष को पूर्व से पश्चिम तक मरम्मत से परे खंडित होने का पर्दाफाश करने में मदद करेगी। इस बीच, दिल्ली में कांग्रेस और आम आदमी पार्टी (आप) वैसे भी एक दूसरे से भिड़ी हैं।
हालांकि, यह सुनने में भले ही कितना भी अजीब क्यों न लगे पर ऐसी खबरें हैं कि नीतीश कुमार खुद बीजेपी में जा सकते हैं। उन पर अपने सहयोगी राजद की ओर से राष्ट्रीय राजनीति पर ध्यान केंद्रित करने और बिहार को अपने डिप्टी तेजस्वी यादव को सौंपने का दबाव है। वैसे, बीजेपी के सुशील मोदी साफ कर चुके हैं कि अगर वह उसके दर पर नाक भी रगड़ेंगे फिर भी वह उसे नहीं स्वीकार करेगी।
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अभिषेक गुप्ता author

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