शरद पवार के पास वापस चले जाएंगे छगन भुजबल? मंत्री पद नहीं मिलने से हैं नाराज; समझिए सियासत
Maharashtra Politics: क्या छगन भुजबल अब अजित पवार का साथ छोड़कर वापस शरद पवार के पास चले जाएंगे? ये सवाल इसलिए है, क्योंकि फडणवीस सरकार में मंत्री पद न मिलने से वो इन दिनों नाराज चल रहे हैं। इसी बीच महाराष्ट्र के ओबीसी नेताओं ने नाराज भुजबल से मुलाकात की है। आपको सियासत समझाने हैं।
शरद पवार और छगन भुजबल।
Chhagan Bhujbal Plan for Politics: देवेंद्र फडणवीस की सरकार में मंत्री पद ना मिलने से इन दिनों एनसीपी के दिग्गज नेता छगन भुजबल नाराज चल रहे हैं। महाराष्ट्र के विभिन्न हिस्सों से अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) संगठनों के प्रतिनिधियों ने रविवार को राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के नेता छगन भुजबल से मुलाकात की। भुजबल, महाराष्ट्र में नई महायुति सरकार में शामिल नहीं किए जाने से नाराज हैं।
तो क्या शरद पवार के पास चले जाएंगे छगन भुजबल?
राजनीति में सबसे बड़ा खेल कुर्सी का है, कुर्सी के लिए कोई भी नेता कुछ भी करता है। लेकिन जब आपकी कुर्सी छिन जाती है, तो नाराजगी लाजमी है। इन दिनों छगन भुजबल भी नाराज चल रहे हैं, इस नाराजगी की वजह है उन्हें मंत्री पद न मिलना। ऐसे में क्यों वो अजित पवार का साथ छोड़ने के बारे में सोच रहे हैं? और इसके बाद वो वापस अपने पुराने ठिकाने यानी शरद पवार के पास चले जाएंगे। इसके बारे में फिलहाल कुछ भी कह पाना आसान नहीं है, अभी वेट एंड वॉच का गेम चल रहा है। इसी बीच भुजबल की गतिविधियों से ये समझ आ रहा है कि कुर्सी ना मिलने से वो कुछ ज्यादा ही नाराज हैं।
नासिक जिले के येवला विधानसभा सीट का प्रतिनिधित्व करने वाले पूर्व मंत्री शनिवार को नागपुर में संपन्न हुए राज्य विधानमंडल के शीतकालीन सत्र में शामिल नहीं हुए। महायुति के 39 विधायकों के मंत्री पद की शपथ लेने के एक दिन बाद, सत्र के पहले दिन वह नासिक के लिए रवाना हुए। भुजबल ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा कि राज्य के विभिन्न हिस्सों से ओबीसी नेताओं ने मुंबई में एक बैठक की और फिर शहर में उनसे मुलाकात की।
क्या फिर पलटी मारने के बारे में सोच रहे हैं भुजबल?
राकांपा के वरिष्ठ नेता ने कहा, “वे (ओबीसी प्रतिनिधि) मुझे मंत्रिमंडल से बाहर किए जाने पर हैरान थे। उन्होंने कहा कि मैं जो भी रुख अपनाऊंगा, वे उसका समर्थन करेंगे।” भुजबल ने कहा कि अन्य पिछड़ा वर्ग के प्रतिनिधियों को लगता है कि ओबीसी आरक्षण खतरे में आ गया है और उन्होंने इसे बचाने के लिए एकजुट होकर लड़ने की जरूरत पर जोर दिया। ओबीसी नेता भुजबल, कार्यकर्ता मनोज जरांगे की अन्य पिछड़ा वर्ग (कुनबी) श्रेणी में मराठा समुदाय के लिए आरक्षण की मांग का विरोध कर रहे हैं।
भविष्य की रणनीति के बारे में पूछे जाने पर भुजबल ने कहा, “महाराष्ट्र की आबादी में सात करोड़ की आबादी ओबीसी की है, जो करीब 54 प्रतिशत है। क्या कुछ बैठकों में फैसला लेना आसान है? ” भुजबल ने इससे पहले कहा था कि वह जल्दबाजी में कोई फैसला नहीं लेंगे। पूर्व खाद्य आपूर्ति राज्य मंत्री ने कहा, “प्रफुल्ल पटेल (राकांपा के कार्यकारी अध्यक्ष) और (राज्य इकाई के अध्यक्ष) सुनील (तटकरे) ने यह सुनिश्चित करने की बहुत कोशिश की कि मुझे (मंत्रिमंडल में) शामिल किया जाए। यहां तक कि मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने भी आखिरी समय तक मुझे शामिल करने पर जोर दिया। लेकिन मुझे शामिल नहीं किया गया।” भुजबल ने अपनी पार्टी के प्रमुख अजित पवार का नाम लिए बगैर कहा कि अन्य दलों के नेताओं पर आरोप लगाना व्यर्थ है क्योंकि हर नेता अपनी पार्टी के लिए जिम्मेदार है।
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