Maharashtra Politics: शरद पवार की बेटी के पास थे दो विकल्प, सुप्रिया सुले ने खुद बताई ये बड़ी बात
Supriya Sule On Her Political Option: शरद पवार की बेटी सुप्रिया सुले ने अपने सियासी सफर से जुड़ी एक बड़ा दावा किया है। उन्होंने कहा है कि सत्ता और अमित शाह के साथ जाने के बजाय पिता के साथ संघर्ष का रास्ता चुना। लोकसभा चुनाव से पहले उनके इस बयान के कई सारे मायने निकल रहे हैं।
एक तरफ सत्ता, दूसरी ओर संघर्ष- सुप्रिया सुले।
Maharashtra Politics: सियासत को शह और मात का खेल कहा जाता है, और जब बात महाराष्ट्र की राजनीति की हो तो कब किसके पांव तले जमीन खिसकने वाले ही इसका अंदाजा लगा पाना भी बिल्कुल उसी चुनौती की तरह है, जैसे रेत में एक सुई की तलाश करना होता है। जैसे-जैसे लोकसभा चुनाव नजदीक आ रहे हैं सियासी सरगर्मी बढ़ने का सिलसिला जारी है। इसी बीच बारामती से सांसद और शरद पवार की बेटी सुप्रिया सुले का बड़ा बयान सामने आया है। उन्होंने ये बताया है कि उनके सामने भी दो विकल्प मौजूद थे। आखिर वो कौन-कौन विकल्प से थे और उनके इस बयान के मायने क्या हैं, आपको समझाते हैं।
एक तरफ अमित शाह, दूसरी ओर पापा शरद पवार
सुप्रिया सुले ने कहा है कि उन्होंने सत्ता और अमित शाह के साथ जाने के बजाय पिता के साथ संघर्ष का रास्ता चुना। दरअसल, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) की कार्यकारी अध्यक्ष सुले ने एक सार्वजनिक बैठक में कहा है कि 'मेरे पास दो विकल्प थे- सत्ता और संघर्ष। संघर्ष के पक्ष में मेरे पिता थे और सत्ता के पक्ष में (केंद्रीय गृहमंत्री और वरिष्ठ भाजपा नेता) अमित शाह थे। मुझे सत्ता और संघर्ष के बीच चयन करना था। मैंने संघर्ष का चयन किया।'
लोकसभा चुनाव से पहले क्या हैं इस बयान के मायने?
अमित शाह और सत्ता का जिक्र करके सुप्रिया सुले शायद ये बताना चाह रही हैं कि उनके पास भी उनके चचेरे भाई की तरह विकल्प मौजूद थे कि भाजपा के साथ चली जाएं, मगर उन्होंने ऐसा नहीं किया। उन्होंने इशारों-इशारों में अपने भाई अजित पवार पर तंज कसा है। साथ ही उन्होंने लोकसभा चुनाव से पहले ये दावा करने की कोशिश की है कि वो अडिग है।
सुप्रिया सुले के चलते ही अजित पवार ने किया बगावत?
महाराष्ट्र की सियासत में कब आपका अपना ही दुश्मन बन जाए, इसका अंदाजा लगा पाना भी बेहद मुश्किल है। शरद पवार के साथ सियासत के गुर सीखने वाले उनके भतीजे अजित पवार ने अपने चाचा को ऐसा गच्चा दिया था कि वो चारो खाने चित हो गए। कहा जाता है कि अजित अपने चाचा के साथ रहते हुए इस बात से नाराज थे कि पार्टी में उनसे अधिक तवज्जो उनके चाचा की बेटी सुप्रिया को दी जा रही थी।
अजित पवार पर सुप्रिया सुले ने ये कहकर कसा तंज
इस साल दो जुलाई को राकांपा में विभाजन का हवाला देते हुए सुप्रिया सुले ने कहा, 'उस व्यक्ति को मत भूलिए जिसने आपको जन्म दिया है। किसी न किसी को तो सच कहना ही होगा। अगर हम सब डर गए तो देश में कोई लोकतंत्र नहीं रहेगा। आज हमारे साथ तोड़फोड़ की गई। कल आपका भी यही हश्र होगा।' अजित पवार और आठ विधायक एकनाथ शिंदे सरकार में शामिल हो गए, जबकि सुले और कई अन्य ने पार्टी संस्थापक शरद पवार के साथ रहना स्वीकार किया।
सुले ने कहा कि उन्होंने अपने परिवार को सूचित कर दिया है कि वह अगले 10 महीने तक बारामती में रहेंगी और मुंबई नहीं आएंगी। उन्होंने कहा, 'मैंने अपने पति और बच्चों से कहा कि मैं अक्टूबर तक बारामती में रहूंगी। मैंने उनसे कहा कि मैं मुंबई नहीं आऊंगी और उनसे अपना ध्यान रखने के लिए कहा है।'
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