Sunil Tatkare हैं अजित पवार के विश्वासपात्रः साइंस पढ़ बने सड़क ठेकेदार, फिर पॉलिटिक्स से कर बैठे प्यार

Who is Sunil Tatkare: वैसे, सुनील पूर्व में खुद स्वीकार चुके हैं कि उनका राष्ट्रीय राजनीति में खासा रुझान नहीं था। वह बोले थे कि उनका दिल महाराष्ट्र की सियासत में लगता है। उन्हें दिल्ली की राजनीति अधिक रास नहीं आती है।

सुनील तटकरे। (क्रिएटिवः अभिषेक गुप्ता)

Who is Sunil Tatkare: महाराष्ट्र में बड़े सियासी उठापटक के बाद लोकसभा सदस्य सुनील तटकरे का कद और पद बढ़ गया। सोमवार (तीन जुलाई, 2023) की शाम को राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) की महाराष्ट्र इकाई का प्रमुख नियुक्त कर दिया गया। तटकरे ने जयंत पाटिल की जगह ली है और यह ऐलान प्रफुल्ल पटेल ने किया। हालांकि, इससे पहले एनसीपी ने तटकरे को ‘पार्टी विरोधी’ गतिविधियों के चलते निष्कासित कर दिया था। दोनों ने महाराष्ट्र के उप-मुख्यमंत्री अजित पवार का बगावत में साथ दिया था। आइए, जानते हैं सुनील तटकरे के बारे में:

68 साल के तटकरे अजित के लंबे समय से विश्वासपात्र रहे हैं। पार्टी में वह सबसे मजबूत जनाधार वाले अन्य पिछड़ा जाति (ओबीसी) के नेताओं में गिने जाते हैं। वैसे, उन्होंने हमेशा से सूबे की सियासत के उतार-चढ़ाव में शामिल रहना पसंद किया है, पर दल ने उन्हें 2014 में रायगढ़ से लोकसभा चुनाव लड़वाया था। ऐसा तब हुआ था, जब वह शिवसेना के मौजूदा सांसद अनंत गीते से हार गए थे। इस बीच, उनकी विधानसभा सीट उनके भतीजे अवधूत के पास चली गई थी। पांच साल बाद तटकरे ने फिर से आम चुनाव लड़ा, मगर इस बार वह गीते को हराने में कामयाब रहे।

Who is Sunil Tatkare

सुनील पूर्व में खुद स्वीकार चुके हैं कि उनका राष्ट्रीय राजनीति में खासा रुझान नहीं था। वह बोले थे कि उनका दिल महाराष्ट्र की सियासत में लगता है। उन्हें दिल्ली की राजनीति अधिक रास नहीं आती है। बारामती से सांसद और शरद पवार की बेटी सुप्रिया सुले के पीछे बैठ चुके तटकरे की छवि (चेहरे पर मुस्कान के साथ लोकसभा की कार्यवाही को ध्यान से देखना) ने उन्हें "मुस्कुराते बुद्धा" (Smiling Buddha) का टैग दिलाया था। यहां तक कि जिन लोगों का उनसे राजनीतिक मतभेद है, उनका भी कहना है कि वह विनम्रता से अपनी बात रखते हैं और अहंकारी नहीं हैं।

तटकरे ने महाराष्ट्र में पुणे के फर्ग्यूसन कॉलेज से साइंस की डिग्री हासिल की थी और साल 1980 के दशक में चुनावी राजनीति में उतरने से पहले एक सरकारी सड़क ठेकेदार के रूप में काम किया था। 1995 में उन्होंने कांग्रेस के टिकट पर रायगढ़ के श्रीवर्धन निर्वाचन क्षेत्र से विधानसभा चुनाव लड़ा और पहली बार विधायक बने। फिर उन्होंने 2014 तक निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया, जब पार्टी ने उन्हें संसदीय चुनावों में तैनात किया था।

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