निष्कासन के बाद अब आगे क्या...महुआ मोइत्रा जा सकती हैं सुप्रीम कोर्ट? समझिए, क्या हो सकते हैं कानूनी विकल्प
Mahua Moitra Latest News: ‘पैसे लेकर सवाल पूछने’ के मामले में शुक्रवार (आठ दिसंबर, 2023) को लोकसभा सचिवालय की ओर से अधिसूचना जारी की गई और टीएमसी की सांसद महुआ मोइत्रा को संसद के निचले सदन से निष्कासित करने का ऐलान किया गया। अधिसूचना उन्हें निष्कासित किए जाने के कुछ घंटों बाद जारी हुई।
तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) की नेत्री महुआ मोइत्रा। (फाइल)
Mahua Moitra Latest News: ‘पैसे लेकर सवाल पूछने’ से जुड़े केस में तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) की सांसद महुआ मोइत्रा को लोकसभा की आचार समिति की रिपोर्ट के आधार पर ‘अनैतिक और अशोभनीय आचरण’ के लिए सदन की सदस्यता से निष्कासित किया जा चुका है। शुक्रवार (आठ दिसंबर, 2023) को संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने मोइत्रा के निष्कासन का प्रस्ताव पेश किया, जिसे सदन ने ध्वनिमत से मंजूरी दी थी। निष्कासन के बाद अब आगे क्या...कानूनी तौर पर उनके पास क्या कुछ विकल्प हैं, आइए जानते हैं:
वैसे, टीएमसी की तेज-तर्रार नेत्री के पास निष्कासन को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने का विकल्प है। लोकसभा के पूर्व महासचिव पी डी टी आचार्य ने इस बारे में अंग्रेजी अखबार दि इंडियन एक्सप्रेस को बताया- आमतौर पर सदन की कार्यवाही को प्रक्रियात्मक अनियमितता के आधार पर चुनौती नहीं दी जा सकती है। संविधान का अनुच्छेद 122 स्पष्ट है। इस कार्यवाही को अदालत की चुनौती से प्रतिरक्षा प्रदान करता है।
‘अनैतिक और अशोभनीय' आचरण के लिए महुआ मोइत्रा लोकसभा से निष्कासित
अनुच्छेद 122 के अनुसार, "प्रक्रिया की किसी भी कथित अनियमितता के आधार पर संसद में किसी भी कार्यवाही की वैधता पर सवाल नहीं उठाया जाएगा।" हालांकि, आचार्य ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने साल 2007 के राजा राम पाल केस में कहा था कि “वे प्रतिबंध केवल प्रक्रियात्मक अनियमितताओं के लिए हैं। ऐसे और मामले भी हो सकते हैं, जहां न्यायिक समीक्षा जरूरी हो सकती है।"
आचार्य ने कहा कि सदन के पास किसी सदस्य को निष्कासित करने की शक्ति है, पर कोर्ट इस बात की जांच कर सकता है कि उस समय कोई विशेष विशेषाधिकार मौजूद था या नहीं। वह बोले, "अगर यह विशेषाधिकार का उल्लंघन है तो सदन के पास किसी सदस्य को निष्कासित करने की शक्ति है। पर कोर्ट यह देख सकता है कि उस समय वह विशेषाधिकार मौजूद था या नहीं।"
आचार्य कहते हैं कि विशेषाधिकार समिति और आचार समिति की कार्यप्रणाली अन्य संसदीय समितियों से अलग है। वह आगे बोले- संविधान के अनुच्छेद 20 के तहत किसी व्यक्ति को तब तक दंडित नहीं किया जा सकता जब तक कि उस समय मौजूद कानून के अनुसार कोई अपराध न किया गया हो। मोइत्रा पर मुख्य आरोप यह है कि उन्होंने संसद का लॉगिन-पासवर्ड किसी और के साथ शेयर किया, पर लोकसभा के नियम उस पर चुप हैं। यह नहीं कहता कि यह नियम का उल्लंघन है।
बकौल आचार्य, “अगर इस विषय पर कोई नियम या कानून नहीं है, तो आप कानून का उल्लंघन करने वाले व्यक्ति के खिलाफ कैसे कार्रवाई कर सकते हैं? इस विशेष मामले में यह एक बुनियादी समस्या है।'' हालांकि, उन्होंने यह भी बताया, "प्रश्न पूछने के लिए एक व्यवसायी से (कथित तौर पर) पैसे स्वीकार करना विशेषाधिकार का उल्लंघन था और इसकी विशेषाधिकार समिति की ओर से जांच की जानी चाहिए थी।"
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