Mainpuri Chunav: मैनपुरी में क्या होगा? समझिए अखिलेश यादव ने पत्नी को क्यों दी पिता की विरासत; 4 जून को होगा फैसला
Mainpuri Election: डिंपल यादव के इस सीट से सांसद चुने जाने से पहले मुलायम सिंह यादव के अलावा लालू के दामाद तेज प्रताप सिंह यादव, अखिलेश के चचेरे भाई धर्मेंद्र यादव भी सांसद रहे। चूकि डिंपल को 2019 के लोकसभा चुनाव में कन्नौज सीट से हार झेलनी पड़ी थी, उन्हें सपा की सबसे सुरक्षित सीट मैनपुरी से मैदान में उतार दिया गया।
डिंपल यादव का क्या होगा?
Lok Sabha Chunav 2024: मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद समाजवादी पार्टी में सबसे बड़ी असमंजस ये थी कि मैनपुरी लोकसभा सीट से किसे उपचुनाव लड़ाया जाए। साल 2022 की बात है, जब उत्तर प्रदेश की मैनपुरी, रामपुर और आजमगढ़ सीट के लिए उपचुनाव कराए गए। दरअसल, अखिलेश ने विधानसभा चुनाव के बाद आजमगढ़ सीट छोड़ दी थी। रामपुर के सांसद आजम खान को सजा हो गई, जिसके चलते उनकी सदस्यता रद्द हो गई थी। मुलायम के निधन के बाद मैनपुरी में उपचुनाव हो रहे थे। अखिलेश ने रामपुर से मोहम्मद आसिम रजा को टिकट दिया, आजमगढ़ से अपने चचेरे भाई धर्मेंद्र यादव को उतारा और सपा की सबसे सेफ सीट से अपनी पत्नी डिंपल यादव को उम्मीदवार बनाया।
अखिलेश ने पत्नी को दे दी पिता की विरासत
मुलायम के निधन के बाद इस बात को लेकर चर्चा हो रही थी कि किसे मैनपुरी से चुनाव लड़ाया जाए। राजनीतिक हलचलों के बीच अखिलेश ने अपनी पत्नी के नाम का ऐलान कर दिया। डिंपल के इस सीट से सांसद चुने जाने से पहले मुलायम के अलावा लालू के दामाद तेज प्रताप सिंह यादव, अखिलेश के चचेरे भाई धर्मेंद्र यादव भी सांसद रहे। चूकि डिंपल को 2019 के लोकसभा चुनाव में कन्नौज लोकसभा सीट से हार झेलनी पड़ी थी, इस वजह से उनके लिए उनके पति ने सपा की सबसे सुरक्षित सीट मानी जाने वाली मैनपुरी से मैदान में उतार दिया।
डिंपल के सामने क्या है सबसे बड़ी चुनौती?
वैसे तो 2014 के चुनाव में डिंपल यादव ने कन्नौज से जीत हासिल कर ली थी, लेकिन 5 सालों में कन्नौज की जनता शायद उनसे रूठ गई। कभी सपा का गढ़ रहे कन्नौज में 2019 में पार्टी को हार झेलनी पड़ी। सवाल ये है कि कहीं मैनपुरी की जनता भी तो डिंपल से दो सालों में रूठ नहीं गई है न, इसका फैसला तो कुछ घंटो में हो जाएगा। डिंपल के सामने सबसे बड़ी चुनौती अपने ससुर मुलायम सिंह यादव की विरासत को बचाने की है।
मैनपुरी को सपा का सबसे मजबूत किला माना जाता है। 1996 के बाद से इसमें सेंधमारी कर पाने में कोई भी सियासी पार्टी कामयाब नहीं हो सकी है। मुलायम की मौत के बाद डिंपल इस सीट से चुनी गईं। लेकिन इस बार चुनावी समीकरण थोड़ा अलग है। डिंपल के सामने सबसे बड़ी चुनौती ये होगी कि वो इस सीट को जीत सकें, समाजवादी पार्टी का गढ़ बचा सकें, क्योंकि सपा को यदि यहां से हार नसीब हुई तो जगहंसाई होनी तय है।
क्या कहते हैं विधानसभा के समीकरण?
विधानसभा | विधायक का नाम | पार्टी |
मैनपुरी | जयवीर सिंह | भारतीय जनता पार्टी |
भोंगांव | राम नरेश अग्निहोत्री | भारतीय जनता पार्टी |
किशनी (एससी) | ब्रजेश कथेरिया | समाजवादी पार्टी |
करहल | अखिलेश यादव | समाजवादी पार्टी |
जसवंतनगर | शिवपाल सिंह यादव | समाजवादी पार्टी |
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