मोदी सरकार के रथ प्रभारी वाले आदेश पर खड़गे का वार, कहा- नौकरशाही का राजनीतिकरण, नड्डा ने दिया जवाब

कांग्रेस अध्यक्ष ने नौ अक्टूबर, 2023 के रक्षा मंत्रालय के एक अन्य आदेश का भी हवाला दिया, जिसमें वार्षिक छुट्टी पर गए जवानों को सैनिक राजदूत बनाते हुए सरकारी योजनाओं के प्रचार-प्रसार में समय बिताने का निर्देश दिया गया है।

kharge vs nadda

खड़गे के पत्र पर नड्डा का पलटवार

मोदी सरकार के एक आदेश पर कांग्रेस भड़की दिख रही है। कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने इस मामले को लेकर पीएम मोदी को खत भी लिख दिया है। जिस पर अब भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने पलटवार किया है।

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पीएम मोदी को लिखा खत

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने रविवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिखकर आरोप लगाया कि अधिकारियों को सरकार की पिछले नौ वर्षों की उपलब्धियों का प्रचार करने का हालिया आदेश नौकरशाही का राजनीतिकरण है। उन्होंने कहा कि इसे वापस लिया जाना चाहिए। अपने पत्र में खड़गे ने 18 अक्टूबर को जारी सरकारी आदेश पर आपत्ति जताई और दावा किया कि आदेश में संयुक्त सचिव, निदेशक और उपसचिव जैसे उच्च रैंक के वरिष्ठ अधिकारियों को देश के सभी 765 जिलों में रथ प्रभारी के रूप में तैनात किया जाना है, जो भारत सरकार की पिछले नौ वर्षों की उपलब्धियों का प्रचार करेंगे।

बताया नियमों का उल्लंघन

कांग्रेस अध्यक्ष ने नौ अक्टूबर, 2023 के रक्षा मंत्रालय के एक अन्य आदेश का भी हवाला दिया, जिसमें वार्षिक छुट्टी पर गए जवानों को सैनिक राजदूत बनाते हुए सरकारी योजनाओं के प्रचार-प्रसार में समय बिताने का निर्देश दिया गया है। खड़गे ने आरोप लगाया कि वरिष्ठ अधिकारियों को मौजूदा सरकार की प्रचार गतिविधि में लगाया जा रहा है। उन्होंने दावा किया- "यह केंद्रीय सिविल सेवा (आचरण) नियम, 1964 का स्पष्ट उल्लंघन है, जो निर्देश देता है कि कोई भी सरकारी कर्मचारी किसी भी राजनीतिक गतिविधि में भाग नहीं लेगा।"

नड्डा का पलटवार

भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष जे पी नड्डा ने रविवार को कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि उसके लिए सार्वजनिक सेवा मुहैया कराना एक अलग अवधारणा हो सकती है, क्योंकि उसकी एकमात्र दिलचस्पी गरीबों को गरीबी में रखने में है। भाजपा अध्यक्ष ने कहा- "अगर (नरेन्द्र) मोदी सरकार सभी योजनाओं की संतृप्ति सुनिश्चित करना चाहती है और यह सुनिश्चित करना चाहती है कि सभी लाभार्थियों तक पहुंचे, तो किसी को भी समस्या नहीं हो सकती, जिसके मन में गरीबों का हित हो। लेकिन, कांग्रेस की दिलचस्पी केवल गरीबों को गरीबी में रखने में है और इसलिए वे संतृप्ति अभियान का विरोध कर रहे हैं।"

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