Mallikarjun Kharge:कांग्रेस के नए अध्यक्ष मल्लिकार्जुन ,मां को खोया दंगों में, हिंसा के चलते छोड़ा था घर
Mallikarjun Kharge profile: कांग्रेस को मिला दूसरा दलित अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के रूप में मिल गया है, बताते हैं खड़गे का आरंभिक जीवन बेहद कष्टों में बीता है और वो संघर्षों में तपे नेता हैं।
खड़गे को गांधी परिवार का बेहद खास माना जाता है
खड़गे लगभग तीन बार कर्नाटक के सीएम बनने वाले थे लेकिन ऐसा हो ना सका
कांग्रेस पार्टी के नए अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे (Mallikarjun Kharge ) का जन्म कर्नाटक में 21 जुलाई, 1942 को एक दलित परिवार में हुआ था, खड़गे ने राजनीति की शुरूआत की और वो कई दफा सांसद और विधायक चुने गए। गौर हो कि मल्लिकार्जुन खड़गे के रूप में कांग्रेस को अपना नया अध्यक्ष मिल गया है। अध्यक्ष पद के लिए हुए चुनाव में कांग्रेस के अनुभवी नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने शशि थरूर को हराकार कांग्रेस की शीर्ष कुर्सी पर कब्जा जमा लिया है। खड़गे अब दूसरे ऐसे दलित नेता हैं, तो इस पोस्ट तक पहुंचे हैं।
21 जुलाई, 1942 को बीदर में जन्मे खड़गे 1969 में कांग्रेस में शामिल हुए थे खड़गे 1969 में 27 साल की उम्र में कलबुर्गी टाउन कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष बने वो कर्नाटक राज्य में कांग्रेस के प्रमुख दलित चेहरा थे। खड़गे को गांधी परिवार का बेहद खास माना जाता है।
खड़गे कुछ मौकों पर मुख्यमंत्री बनते-बनते रह गए थे, बताते हैं कि ऐसे मौके थे कि वो सीएम बन सकते थे, लेकिन ऐसा ना हा सका, जिसके बाद इसके बाद उन्होंने राजधानी दिल्ली का रूख कर लिया और यहां की राजनीति का हिस्सा बने।
मल्लकार्जुन ने अपनी मां को इन दंगों में खोया! मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक साल 1947 में मैसूर राज्य जो अब कर्नाटक है, वहां के वरवट्टी गांव में भारत के बंटबारे के समय हिंदू-मुस्लिम दंगे हुए थे उसी दौरान मल्लकार्जुन ने अपनी मां को इन दंगों में खोया था वो दंगों की भेंट चढ़ गईं थीं। बाद में उनके पिता उन्हें वहां से हटाकर ले गए और उनकी शिक्षा-दीक्षा बेहद मुश्किल हालातों में हुई थी।
हर बार CM कुर्सी उनके साथ से छिटक गईखड़गे लगभग तीन बार कर्नाटक के मुख्यमंत्री बनने वाले थे, लेकिन हर बार ये कुर्सी उनके साथ से छिटक गई। खड़गे को पहली बार 1999 में कर्नाटक के मुख्यमंत्री पद का दावेदार माना गया था, लेकिन तब एसएम कृष्णा ने बाजी मार ली थी, इसके बाद खड़गे का नाम फिर चर्चा में तब आया जब 2004 में कांग्रेस ने जनता दल के समर्थन से कर्नाटक में सरकार बनाई। हालांकि, अंतिम समय में एन धरम सिंह को मुख्यमंत्री बना दिया गया। फिर 2013 में, जब कांग्रेस ने कर्नाटक को भाजपा से वापस छीन लिया, तो खड़गे का नाम फिर से चर्चा में आ गया मगर इस बार भी कांग्रेस नेतृत्व ने तब सिद्धारमैया को सीएम की कुर्सी दे दी।
खड़गे 1969 में कांग्रेस में शामिल हुए थे21 जुलाई, 1942 को बीदर में जन्मे खड़गे 1969 में कांग्रेस में शामिल हुए थे। एक वकील के रूप में श्रम कानूनों में महारत रखने वाले खड़गे 1969 में 27 साल की उम्र में कलबुर्गी टाउन कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष बने तब से, वह कर्नाटक की राजनीति के एक मजबूत स्तंभ रहे हैं। साथ ही राज्य में कांग्रेस के प्रमुख दलित चेहरा भी।
पहली बार 1972 में कर्नाटक राज्य विधानसभा चुनाव लड़ा
उन्होंने पहली बार 1972 में कर्नाटक राज्य विधानसभा चुनाव लड़ा और गुरमीतकल निर्वाचन क्षेत्र से जीत हासिल की। 1973 में, उन्हें चुंगी उन्मूलन समिति का अध्यक्ष नियुक्त किया गया था। 1974 में, उन्हें राज्य के स्वामित्व वाले चमड़ा विकास निगम का अध्यक्ष नियुक्त किया गया। 1978 में, वह दूसरी बार गुरमीतकल निर्वाचन क्षेत्र से विधायक चुने गए और देवराज उर्स मंत्रालय में ग्रामीण विकास और पंचायत राज राज्य मंत्री नियुक्त किए गए। 1980 में, वह गुंडू राव कैबिनेट में राजस्व मंत्री बने। 1983 में, वह तीसरी बार गुरमीतकल से कर्नाटक विधानसभा के लिए चुने गए।
गुरमीतकल से कर्नाटक विधानसभा के लिए पांचवीं बार चुने गए1989 में, वह गुरमीतकल से कर्नाटक विधानसभा के लिए पांचवीं बार चुने गए। 1994 में, वह गुरमीतकल से कर्नाटक विधानसभा के लिए छठी बार चुने गए और विधानसभा में विपक्ष के नेता बने। 1999 में, वह सातवीं बार कर्नाटक विधानसभा के लिए चुने गए। 2004 में, वह लगातार आठवीं बार कर्नाटक विधानसभा के लिए चुने गए। 2005 में, उन्हें कर्नाटक प्रदेश कांग्रेस कमेटी का अध्यक्ष नियुक्त किया गया। 2008 में, वह लगातार नौवीं बार चीतापुर से विधानसभा के लिए चुने गए। उन्हें 2008 में दूसरी बार विपक्ष का नेता नियुक्त किया गया था। 2009 में, खड़गे ने गुलबर्गा संसदीय क्षेत्र से आम चुनाव लड़ा और अपना लगातार दसवां चुनाव जीता। 2014 के आम चुनाव में खड़गे ने गुलबर्गा संसदीय सीट से चुनाव लड़ा और जीते। 2019 में उन्हें हार का सामना करना पड़ा।
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