राज्यसभा में चर्चा: खरगे ने केंद्र सरकार-आरएसएस को लिया निशाने पर, पीएम मोदी पर चुन-चुनकर छोड़े तीर
खरगे ने प्रधानमंत्री को निशाने पर लेते हुए कहा कि वह सिर्फ नारे न दें, कुछ काम भी करें। पिछले दस साल से विपक्ष प्रधानमंत्री जी को यही कह रहा है कि सिर्फ नारे मत दीजिए, कुछ काम भी कीजिए।
मल्लिकार्जुन खरगे
Mallikarjuna Kharge in Rajya Sabha: राष्ट्रपति के अभिभाषण पर चर्चा में शामिल हुए राज्यसभा में विपक्ष के नेता व कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने आज केंद्र सरकार को निशाने पर लिया। अभिभाषण पर चर्चा की शुरुआत में ही खरगे ने कहा कि राष्ट्रपति के अभिभाषण में गरीबों, दलितों, अल्पसंख्यकों का कोई जिक्र नहीं किया गया। वही खरगे ने राज्यसभा के सभापति से अपील की कि संसद भवन परिसर में महात्मा गांधी, बाबा साहेब आंबेडकर और अन्य नेताओं की प्रतिमाएं उनके मूल स्थानों पर दोबारा स्थापित कर दी जाए।
खरगे ने आरएसएस के जरिए किया सरकार पर हमला
अपने भाषण में खरगे ने चिंता जताते हुए कहा कि देश के सर्वोच्च संस्थाओं में सभी पदों पर आरएसएस के लोगों को बैठाया जा रहा है जो कि गलत है। उन्होंने कहा कि आरएसएस एक मनुवादी संस्था है। इसकी विचारधारा देश के लिए खतरनाक है। खरगे के इस बयान पर आपत्ति जताते हुए नेता सदन जेपी नड्डा ने कहा कि खरगे का बयान आपत्तिजनक है। उनके आरएसएस पर दिए बयान को स्पंज किया जाए।
पीएम मोदी पर निशाना
खरगे ने प्रधानमंत्री को निशाने पर लेते हुए कहा कि वह सिर्फ नारे न दें, कुछ काम भी करें। पिछले दस साल से विपक्ष प्रधानमंत्री जी को यही कह रहा है कि सिर्फ नारे मत दीजिए, कुछ काम भी कीजिए। प्रधानमंत्री जी ने नारे दिए थे- अच्छे दिन आएंगे, आत्मनिर्भर भारत, एक्ट ईस्ट पॉलिसी, बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ, सबका साथ-सबका विकास, 400 पार। ये नारे हैं और नारे देने में प्रधानमंत्री जी माहिर हैं। नरेंद्र मोदी सिर्फ नारे देकर और मीठी-मीठी बातें बोलकर लोगों को भ्रमित कर रहे हैं।
संविधान बचाने की मुहिम चलानी पड़ी
राज्यसभा में विपक्ष के नेता खरगे ने अपने भाषण में ये भी कहा कि ये सरकार संविधान बदलने की बात कह रही थी, इसलिए INDIA गठबंधन को संविधान बचाने की मुहिम चलानी पड़ी। जनता ने यह महसूस किया कि बाकी मु्द्दे आते-जाते रहेंगे, लेकिन जब संविधान बचेगा तभी लोकतंत्र रहेगा। इसलिए इस लड़ाई में आम नागरिकों ने विपक्ष का साथ दिया और संविधान को बचाने का काम किया। अभी भी देश में सामाजिक न्याय के विपरीत मानसिकता वाले लोग मौजूद हैं। यह लड़ाई तभी पूरी होगी जब ऐसी विचारधारा को उखाड़ कर फेंक दिया जाएगा। इस सत्र की खूबी यह है कि जनादेश के डर से सत्ता पक्ष भी संविधान की चर्चा कर रहा है, पर ऐसे लोग भी हैं जिन्हें संसद में 'जय संविधान' के नारे से आपत्ति है। उन्होंने कहा कि कभी घमंड मत करना, तकदीर बदलती रहती है, शीशा वही रहता है, तस्वीर बदलती रहती है। खरगे पीएम मोदी और बीजेपी के दिए गए 400 पार के नारे का जिक्र कर रहे थे।
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रंजीता झा author
13 साल के राजनीतिक पत्रकारिता के अनुभव में मैंने राज्य की राजधानियों से लेकर देश की राजधानी तक सियास...और देखें
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