फिर सुलग उठा मणिपुरः 72 घंटों के दौरान फायरिंग में आठ की मौत, चुराचांदपुर में आपातकालीन बंद
Manipur Latest News: मणिपुर पुलिस के मुताबिक, सुरक्षा बलों की ओर से कांगपोकपी, थौबल, चुराचांदपुर और इंफाल-पश्चिम जिलों के सीमांत और संवेदनशील इलाकों में तलाशी अभियान चलाया गया और इस दौरान पांच हथियार, 31 गोला-बारूद, 19 विस्फोटक, आईईडी सामग्री के तीन पैक बरामद किए गए।
तस्वीर का इस्तेमाल सिर्फ प्रस्तुतिकरण के लिए किया गया है। (फाइल)
तस्वीर साभार : टाइम्स नाउ ब्यूरो
Manipur Latest News: हिंसा की आग में बुरी तरह झुलसा नॉर्थ ईस्ट का सूबा मणिपुर फिर से सुलग उठा है। गुरुवार (31 अगस्त, 2023) तक के ताजा आंकड़ों के मुताबिक, वहां 72 घंटों में कुकी और मेइती समुदायों के बीच हुई फायरिंग में आठ लोगों की मौत हो गई। समाचार एजेंसी पीटीआई को इस बाबत अधिकारियों ने इसके अलावा यह भी बताया कि बिष्णुपुर और चुराचांदपुर जिलों में इस दौरान दो सुरक्षाकर्मियों सहित 18 अन्य घायल भी हुए।
अफसर ने गुरुवार को बताया था बिष्णुपुर के खोइरेंटक तलहटी और चुराचांदपुर के चिंगफेई और खौसाबुंग इलाकों में दोनों समूहों के बीच गोलीबारी फिलहाल जारी है। हिंसा 29 अगस्त को शुरू हुई, जब खोइरेंटक क्षेत्र में भारी गोलीबारी के बाद लगभग 30 वर्षीय एक ग्रामीण की मौत हो गई थी। उसी रोज बिष्णुपुर के नारायणसेना गांव के पास एक व्यक्ति की तरफ से देसी तमंचे का इस्तेमाल करते हुए गलती से गोली चल गई थी, जो उसके चेहरे पर लगी और उसकी मौत हो गई थी। बुधवार शाम को कुछ घंटों की शांति के बाद गोलीबारी की ताजा शुरुआत बृहस्पतिवार सुबह हुई।
इस बीच, इंडिजिनस ट्राइबल लीडर्स फोरम (आईटीएलएफ) ने चुराचांदपुर में तत्काल प्रभाव से आपातकालीन बंद का आह्वान किया है। आईटीएलएफ के एक बयान में कहा गया है कि पानी और चिकित्सा आपूर्ति सहित आवश्यक सेवाओं को बंद के दायरे से छूट दी गई है। आईटीएलएफ ने एक अलग बयान में दावा किया गया कि पीड़ितों में गायक एलएस मंगबोई लुंगडिम (50) भी शामिल हैं, जिन्होंने तीन मई को मणिपुर में जातीय हिंसा भड़कने के बाद ‘आई गम हिलौ हैम’ (क्या यह हमारी भूमि नहीं है?) गीत तैयार किया था और यह आदिवासी एकता का नारा बन गया था।
दरअसल, मणिपुर में अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने की मेइती समुदाय की मांग के विरोध में पर्वतीय जिलों में तीन मई को ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ के आयोजन के बाद राज्य में भड़की जातीय हिंसा में अब तक 160 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। राज्य की आबादी में मेइती समुदाय की हिस्सेदारी लगभग 53 प्रतिशत है और वे मुख्य रूप से इंफाल घाटी में रहते हैं। वहीं, नगा और कुकी जैसे आदिवासी समुदायों की आबादी 40 प्रतिशत है और उनमें से ज्यादातर पर्वतीय जिलों में रहते हैं।
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अभिषेक गुप्ता author
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