जिस आदेश के कारण 10 महीने से जल रहा मणिपुर, उसे हाईकोर्ट ने लिया वापस, जानें क्यों भड़की थी हिंसा?

Manipur News: हाईकोर्ट के फैसले के बाद मणिपुर में राज्य में बड़ी मात्रा में हिंसा भड़क उठी थी। इस संघर्ष में 200 से अधिक लोगों की जान लगी गई थी। अदालत ने कहा कि उक्त पैरा उच्चतम न्यायालय की संविधान पीठ द्वारा इस मामले में रखे गए रुख के विपरीत है।

मणिपुर हाईकोर्ट ने आदेश लिया वापस

Manipur News: मणिपुर उच्च न्यायालय ने मार्च, 2023 में दिए गए अपने फैसले में बड़ा संशोधन किया है। हाईकोर्ट ने गुरुवार को अपने फैसले के उस पैरा को हटाने का आदेश दिया है, जिसमें राज्य सरकार से मेइती समुदाय को अनुसूचित जनजाति (एसटी) की सूची में शामिल करने पर विचार करने को कहा गया था। बता दें, हाईकोर्ट के इसी फैसले को मणिपुर में हिंसा का कारण माना जाता है।

हाईकोर्ट के फैसले का कुकी समुदाय ने विरोध किया था, जिसके बाद पूर्वोत्तर राज्य में बड़ी मात्रा में हिंसा भड़क उठी थी। इस संघर्ष में 200 से अधिक लोगों की जान लगी गई थी। अदालत ने कहा कि उक्त पैरा उच्चतम न्यायालय की संविधान पीठ द्वारा इस मामले में रखे गए रुख के विपरीत है। न्यायमूर्ति गोलमेई गैफुलशिलु की एकल एक पीठ ने बुधवार को एक समीक्षा याचिका की सुनवाई के दौरान उक्त अंश को हटा दिया।

क्या कहा गया था फैसले में

बता दें, पिछले साल के निर्णय में राज्य सरकार को मेइती समुदाय को एसटी सूची में डालने पर शीघ्रता से विचार करने का निर्देश देने वाले विवादित पैराग्राफ को हटाने का अनुरोध किया गया था। पिछले साल के फैसले के पैरा में कहा गया था कि राज्य सरकार आदेश प्राप्त होने की तारीख से ‘मीतेई/मेइती समुदाय को अनुसूचित जनजाति सूची में शामिल करने के लिए याचिकाकर्ताओं के अनुरोध पर शीघ्रता से यह संभव हो तो चार सप्ताह की अवधि के भीतर विचार करेगी। न्यायमूर्ति गाइफुलशिलु ने 21 फरवरी के फैसले में अनुसूचित जनजाति सूची में संशोधन के लिए भारत सरकार की निर्धारित प्रक्रिया की ओर इशारा करते हुए उक्त निर्देश को हटाने की आवश्यकता पर जोर दिया। न्यायमूर्ति गाइफुलशिलू ने कहा, तदनुसार, पैरा संख्या 17(iii) में दिए गए निर्देश को हटाने की जरूरत है और 27 मार्च, 2023 के फैसले और आदेश के पैरा संख्या 17(iii) को हटाने के लिए तदनुसार आदेश दिया जाता है...।

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