Manipur Update: दो पत्रकार समेत 27 लोग लापता, जानें मणिपुर में अब कैसे हैं हालात
Manipur Violence Update: मणिपुर हिंसा से जुड़ी हर दिन नई जानकारी सामने आ रही है। इस बीच ये दावा किया गया है कि मणिपुर हिंसा के बाद 27 लोग लापता हैं, जिनमें दो पत्रकार शामिल हैं। वहीं मणिपुर वीडियो मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी गई है। इसके अलावा मणिपुर सरकार अगस्त में विधानसभा का विशेष सत्र आयोजित करेगी।
मणिपुर हिंसा के बाद 27 लोग लापता हैं।
Manipur Update News: मणिपुर हिंसा को लेकर लगातार नए अपडेट आ रहे हैं। जहां एक तरफ महिलाओं को निर्वस्त्र कर घुमाए जाने के वीडियो मामले की जांच अब सीबीआई को सौंप दी गई है, तो वहीं सूत्रों ने यह जानकारी दी कि हिंसा प्रभावित मणिपुर में दो पत्रकार, दो नाबालिग और दो महिलाओं सहित कम से कम 27 गैर-आदिवासी व्यक्ति लापता हैं।
मणिपुर हिंसा में दो पत्रकार लापता
मणिपुर में स्थानीय मीडिया के दो पत्रकार लापता है। जिनके नाम 47 वर्षीय एटम समरेंद्र सिंह और 48 वर्षीय युमखैबम किरणकुमार सिंह हैं। 27 लोगों में से कुछ मई से, कुछ जून से और बाकी जुलाई से लापता हैं और वे इंफाल पश्चिम, इंफाल पूर्व, टेंग्नौपाल, बिष्णुपुर, कांगपोकपी, थौबल और काकचिंग जिलों के रहने वाले हैं। कई थानों में गुमशुदगी के मामले दर्ज कराए गए हैं। लापता लोगों की उम्र 17 साल से 47 साल के बीच की बताई जा रही है।
अगस्त में विधानसभा का विशेष सत्र
मणिपुर सरकार ने घोषणा की है कि वह अगस्त के दूसरे या तीसरे सप्ताह में विधानसभा का विशेष सत्र बुलाएगी। सरकारी प्रवक्ता तथा सूचना एवं जनसंपर्क मंत्री सपाम राजन ने बताया कि सरकार इसके लिए प्रयास कर रही है। कई वर्गों से राज्य की वर्तमान स्थिति पर चर्चा के लिए विधानसभा का विशेष सत्र बुलाये जाने की मांग उठ रही है। राजन ने इन खबरों का भी खंडन किया कि राज्य सरकार ने भाजपा विधायक वुंगजागिन वाल्टे के इलाज की परवाह नहीं की। वह मई में जातीय संघर्ष शुरू होने के प्रारंभिक दिनों में हमले में घायल हो गये थे। राज्य में पिछले करीब तीन महीने में जातीय हिंसा में 160 से अधिक लोगों की जान चली गई, जबकि सैंकड़ों अन्य घायल हुए हैं।
सीबीआई को सौंपी गई मामले की जांच
केंद्र ने गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट को बताया कि उसने हिंसाग्रस्त मणिपुर में दो महिलाओं को निर्वस्त्र किए जाने संबंधी घटना की जांच केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) को सौंप दी है और कहा कि सरकार का रुख 'महिलाओं के खिलाफ किसी भी अपराध को बिल्कुल बर्दाश्त न करने का' है। गृह मंत्रालय ने अपने सचिव अजय कुमार भल्ला के जरिए दाखिल हलफनामे में शीर्ष न्यायालय से इस मामले की सुनवाई मणिपुर से बाहर स्थानांतरित करने का भी अनुरोध किया ताकि मुकदमे की सुनवाई समयबद्ध तरीके से पूरी हो सके। मणिपुर के कांगपोकपी जिले में चार मई को दो महिलाओं को भीड़ द्वारा निर्वस्त्र कर उन्हें घुमाए जाने की घटना का पता 19 जुलाई को सामने आए एक वीडियो के जरिए चला।
सुप्रीम कोर्ट ने घटना पर लिया था संज्ञान
सुप्रीम कोर्ट ने 20 जुलाई को घटना पर संज्ञान लिया था और कहा था कि वह वीडियो से 'बहुत व्यथित' है और हिंसा को अंजाम देने के हथियार के रूप में महिलाओं का इस्तेमाल 'किसी भी संवैधानिक लोकतंत्र में पूरी तरह अस्वीकार्य है।' चीफ जस्टिस डी.वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने केंद्र और मणिपुर सरकार को तत्काल उपचारात्मक, एहतियाती कदम उठाने और उन कदमों की जानकारी उसे देने का निर्देश दिया था। केंद्र ने अपना जवाब देते हुए कहा, 'मणिपुर सरकार ने 26 जुलाई 2023 को लिखे एक पत्र में कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग के सचिव से इस मामले की जांच सीबीआई को सौंपने की सिफारिश की थी जिसकी गृह मंत्रालय ने 27 जुलाई को लिखे पत्र द्वारा सचिव को अनुशंसा कर दी है। जांच सीबीआई को सौंपी जाएगी।'
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