Manipur Violence: अमित शाह से मिले सीएम एन बीरेन सिंह, बताए वर्तमान हालात, जानिए क्यों एक-दूसरे के खून के प्यासे हो गए लोग

Manipur Violence: मणिपुर में तीन जून के बाद हुई हिंसा के बाद से तनाव बरकरार हैं। हालांकि 13 जून के बाद से किसी की जान नहीं गई है। यहां भड़की हिंसा में करीब 120 लोगों की मौत हो गई है। राज्य के वर्तमान हालात बारे में जानकारी देने के लिए सीएम एन बीरेन सिंह ने गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की।

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मणिपुर के हालात को लेकर अमित शाह से मिले सीएम एन बीरेन सिंह

Manipur Violence: मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने दिल्ली में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से उनके आवास पर मुलाकात की। मणिपुर के सीएम एन बीरेन सिंह ने ट्वीट कर बताया कि आज नई दिल्ली में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की और मणिपुर में जमीनी स्तर पर उभरती स्थिति के बारे में जानकारी दी। अमित शाह की करीबी निगरानी में, पिछले सप्ताह से काफी हद तक राज्य और केंद्र सरकार हिंसा को नियंत्रित करने में सक्षम हैं। गौरतलब है कि 13 जून के बाद से हिंसा के कारण किसी के हताहत होने की कोई खबर नहीं है। यूनियन एचएम ने आश्वासन दिया कि केंद्र सरकार मणिपुर में शांति बनाए रखने के लिए हर संभव कदम उठाएगी। आगे उन्होंने यह सुनिश्चित करने के लिए मणिपुर के प्रत्येक हितधारक से सहयोग भी मांगा है कि राज्य में शांति बनी रहे। शनिवार को हुई सर्वदलीय बैठक में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पहले दिन से ही मणिपुर की स्थिति पर लगातार नजर रख रहे हैं और समस्या का समाधान निकालने के लिए पूरी संवेदनशीलता के साथ हमारा मार्गदर्शन कर रहे हैं। गृह मंत्री ने स्थिति को सामान्य करने और मणिपुर में विभिन्न समुदायों के बीच जल्द से जल्द शांति और विश्वास बहाल करने में मदद के लिए सभी राजनीतिक दलों से सहयोग का आग्रह किया।

इस वजह से जल उठा मणिपुर

गौर हो कि मणिपुर में अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा देने की मेइती समुदाय की मांग के विरोध में तीन मई को पर्वतीय जिलों में आदिवासी एकजुटता मार्च के आयोजन के बाद झड़पें शुरू हुई थीं। उसके बाद पूरा राज्य हिंसा की चपेट में आ गया। लोग एक दूसरे के खून के प्यासे हो गए। तब से पूरा मणिपुर अशांत है। मणिपुर की 53 प्रतिशत आबादी मेइती समुदाय की है और यह मुख्य रूप से इंफाल घाटी में रहती है। वहीं, नगा और कुकी जैसे आदिवासी समुदायों की आबादी 40 प्रतिशत है और यह मुख्यत: पर्वतीय जिलों में रहती है।

महिलाएं कर रही हैं मेइती उग्रवादी ग्रुप का नेतृत्व

उधर इंफाल ईस्ट के इथम गांव में महिलाओं के नेतृत्व वाली भीड़ और सुरक्षा बलों के बीच गतिरोध के बाद सेना ने नागरिकों की जान जोखिम में न डालने का परिपक्व फैसला लिया और बरामद किए गए हथियारों और गोला-बारूद के साथ वहां से हट गई। सुरक्षा बलों ने इथम गांव को शनिवार को घेर लिया था, जहां प्रतिबंधित उग्रवादी समूह कांगलेई योल कान-ना लुप (केवाईकेएल) के 10 से अधिक सदस्य छिपे हुए थे। इस कार्रवाई के बाद भीड़ और सैनिकों के बीच गतिरोध उत्पन्न हुआ था। अधिकारियों ने बताया कि केवाईकेएल एक मेइती उग्रवादी समूह है, जो 2015 में छह डोगरा इकाई पर घात लगाकर किए गए हमले सहित कई हमलों में शामिल रहा है। उन्होंने कहा कि इथम में गतिरोध शनिवार को पूरे दिन चलता रहा, हालांकि महिलाओं के नेतृत्व वाली उग्र भीड़ के खिलाफ बल के इस्तेमाल और उससे लोगों के हताहत होने की बात को ध्यान में रखते हुए अभियान के कमांडर द्वारा परिपक्व निर्णय लिए जाने के बाद यह सामप्त हो गया।

महिलाओं ने सेना की टुकड़ी को घेर लिया था

अधिकारियों के मुताबिक गांव में छिपे लोगों में स्वयंभू लेफ्टिनेंट कर्नल मोइरांगथेम तंबा उर्फ उत्तम भी शामिल था, जो एक वांछित उग्रवादी है और जिसे डोगरा हमले का मुख्य साजिशकर्ता माना जाता है। उन्होंने बताया कि इथम में महिलाओं के नेतृत्व में 1,500 लोगों की भीड़ ने सेना की टुकड़ी को घेर लिया था और उसे अभियान को अंजाम देने से रोका था। अधिकारियों ने कहा कि सुरक्षा बलों ने बार-बार आक्रामक भीड़ से उन्हें कानून के तहत कार्रवाई करने देने की अपील की, लेकिन इसका कोई असर नहीं हुआ। उन्होंने बताया कि इसके बाद सेना ने मणिपुर में व्याप्त अशांति के कारण जानमाल के अतिरिक्त नुकसान से बचने के लिए वहां से हटने का निर्णय किया। मणिपुर में मेइती और कुकी समुदाय के बीच मई की शुरुआत में भड़की जातीय हिंसा में करीब 120 से लोगों की मौत हो चुकी है।

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रामानुज सिंह author

रामानुज सिंह अगस्त 2017 से Timesnowhindi.com के साथ करियर को आगे बढ़ा रहे हैं। यहां वे असिस्टेंट एडिटर के तौर पर काम कर रहे हैं। वह बिजनेस टीम में ...और देखें

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