Manipur के 'मसले' पर अमित शाह का मंथनः मेइती-कुकी समूहों से हुई यह बात, CDS ने किया साफ- हिंसा का उग्रवाद से कनेक्शन नहीं

Manipur Violence Latest Update in Hindi: इस बीच, सीडीएस (प्रमुख रक्षा अध्यक्ष) जनरल अनिल चौहान ने मंगलवार को बताया कि नॉर्थ ईस्ट के सूबे मणिपुर में फिलहाल चुनौतियां खत्म नहीं हुई हैं। उम्मीद है कि कुछ समय में चीजें ठीक हो जाएंगी। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि वहां मौजूदा स्थिति का उग्रवाद से लेना-देना नहीं है।

Manipur Violence Latest Update in Hindi: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने हिंसाग्रस्त मणिपुर के नेताओं से इंफाल में संवाद साधा है। मंगलवार (30 मई, 2023) को दिन में उन्होंने कई मेइती, कुकी महिला समूहों और अहम शख्सियतों से बात की। शांति बहाली के लिए इन्होंने अपनी प्रतिबद्धता जताई। साथ ही यह आश्वासन दिया कि वे नॉर्थ ईस्ट के इस संकटग्रस्त सूबे में सामान्य स्थिति लाने की दिशा में काम करेंगे। मंत्री ने इसके अलावा इंफाल में पुलिस, केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (सीएपीएफ), सेना के सीनियर अफसरों के साथ राज्य में सुरक्षा स्थिति की समीक्षा की। उन्होंने इस बाबत बताया कि सरकार की सबसे पहली प्राथमिकता मणिपुर में शांति और समृद्धि है। सुरक्षा अधिकारियों को शांति भंग करने वाली किसी भी गतिविधि से कड़ाई से निपटने का निर्देश दिया गया है।

मृतकों के परिजन को 10-10 लाख का मुआवजा

आईटीएलएफ के सचिव मुआन टॉम्बिंग के मुताबिक, “हमने मणिपुर से पूर्ण अलगाव की मांग की है- राजनीतिक और भौगोलिक तौर पर। हमने राष्ट्रपति शासन की भी मांग की क्योंकि राज्य में कानून व्यवस्था पूरी तरह चरमरा चुकी है। शाह ने हमें बताया कि लंबे समय तक चली इस झड़प के कारणों का पता लगाने के लिए सीबीआई को विस्तृत जांच का जिम्मा सौंपा जाएगा। साथ ही न्यायिक जांच की भी घोषणा की जाएगी।” वैसे, इससे पहले दिन में केंद्र और मणिपुर सरकार ने राज्य में जातीय संघर्ष के दौरान मारे गए लोगों के परिजनों को 10-10 लाख रुपए का मुआवजा देने का ऐलान किया। दंगे में मारे गए व्यक्ति के परिवार के एक सदस्य को नौकरी भी दी जाएगी। अधिकारिक विज्ञप्ति के अनुसार, मुआवजे की राशि केंद्र और राज्य सरकार बराबर-बराबर वहन करेंगी।

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तस्वीर साभार : IANS

मणिपुर दौरे पर क्या है अमित शाह का प्लान?

समाचार एजेंसी पीटीआई-भाषा को इस बारे में सूत्रों ने बताया कि केंद्रीय मंत्री मणिपुर के चार दिवसीय दौरे पर हैं। वह इस दौरान न सिर्फ स्थानीय स्थिति का आकलन करेंगे बल्कि सामान्य स्थिति बहाल करने के लिए आगे के कदमों की योजना बनाने के लिए कई दौर की सुरक्षा बैठकें करेंगे। वैसे, तीन मई को मणिपुर में जातीय संघर्ष शुरू होने के बाद शाह पूर्वोत्तर राज्य के पहले दौरे पर हैं।

CDS ने कहा- ये दो जातीय समूहों के बीच हिंसा से जुड़ा मामला

उधर, प्रमुख रक्षा अध्यक्ष (सीडीएस) जनरल अनिल चौहान ने महाराष्ट्र के पुणे में पत्रकारों से मणिपुर के सवाल पर कहा, “वहां 2020 से पहले सेना, असम राइफल्स की तैनाती थी। चूंकि, उत्तरी सीमाओं से जुड़ी चुनौतियां कहीं अधिक थीं, इसलिए हमने सेना को हटा लिया। उग्रवाद से उपजी स्थिति सामान्य हो गई थी, इसलिए हमने ऐसा किया।” उन्होंने यह भी बताया कि मणिपुर की मौजूदा स्थिति का उग्रवाद से संबंधित नहीं है। यह दो जातीय समूहों के बीच हिंसा और कानून-व्यवस्था से संबंधित मामला है।

...तो नॉर्थ ईस्ट के सूबे में यूं भड़की हिंसा

दरअसल, मणिपुर लगभग एक महीने से जातीय हिंसा से प्रभावित है। राज्य में इस दौरान झड़पों में इजाफा देखा गया। सूबे में ‘जनजातीय एकता मार्च’ के बाद प्रदेश में पहली बार जातीय हिंसा भड़की थी। अनुसूचित जाति (एसटी) के दर्जे की मांग को लेकर मेइती समुदाय ने तीन मई को प्रदर्शन किया था, जिसके बाद ‘जनजातीय एकता मार्च’ का आयोजन हुआ। आरक्षित वन भूमि से कूकी ग्रामीणों को बेदखल करने को लेकर तनाव के चलते, पहले भी हिंसा हुई थी, जिसके कारण कई छोटे-छोटे आंदोलन हुए थे। कुछ हफ्तों की खामोशी के बाद रविवार को सुरक्षा बलों और उग्रवादियों के बीच गोलीबारी भी हुई। अधिकारियों ने इस बारे में बताया कि संघर्ष में मरने वालों की संख्या बढ़कर 80 हो चुकी है।
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