दिल्ली शराब घोटाला मामले में मनीष सिसोदिया को बड़ी राहत, सुप्रीम कोर्ट ने उनकी माग को दी मंजूरी

Delhi Liquor Scam Case: सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली शराब घोटाला मामले में पूर्व उपमुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के नेता मनीष सिसोदिया की अपील पर मंजूरी की मुहर लगा दी है। जस्टिस बी.आर. गवई की अध्यक्षता वाली पीठ ने सिसोदिया की याचिका पर सुनवाई की। जिसमें उन्होंने जमानत की शर्तों में बदलाव की मांग की थी।

Manish Sisodia

अदालत ने मनीष सिसोदिया को दी राहत।

Manish Sisodia gets Relief: आम आदमी पार्टी (आप) के वरिष्ठ नेता और दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया द्वारा दायर याचिका पर बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। अदालत ने उनकी उस अपील को स्वीकार कर लिया। जिसमें सिसोदिया ने जमानत की शर्त में ढील देने की मांग की थी, इसके तहत उन्हें हर छह महीने में जांच अधिकारी के सामने पेश होना होता है।

मनीष सिसोदिया को सुप्रीम कोर्ट से मिली राहत

सुप्रीम कोर्ट ने आबाकरी नीति मामले से जुड़े करप्शन और मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में जमानत की शर्तों में बदलाव की उनकी मांग को मंजूरी दे दी। जमानत की शर्तो के मुताबिक उन्हें हफ्ते में दो बार जांच एजेंसियों के दफ्तर में हाजिरी लगानी पड़ती थी। कोर्ट ने सिसोदिया के आग्रह पर इस शर्त को आज हटा लिया। हालांकि कोर्ट ने सिसोदिया को कहा है कि वो नियमित रूप से ट्रायल में शामिल हो।

जस्टिस बी.आर. गवई की अध्यक्षता वाली पीठ ने की सुनवाई

सर्वोच्च न्यायालय की वेबसाइट पर प्रकाशित वाद सूची के अनुसार, न्यायमूर्ति बी.आर. गवई की अध्यक्षता वाली पीठ ने सिसोदिया की याचिका पर सुनवाई की। इससे पहले सोमवार को न्यायमूर्ति के.वी. विश्वनाथन की पीठ ने वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी द्वारा उल्लेख किए जाने के बाद सिसोदिया द्वारा प्रस्तुत याचिका को सूचीबद्ध करने पर सहमति व्यक्त की थी। सिंघवी से कहा था, "एक दिन बाद (परसों)" सुनवाई होगी। इसमें सिसोदिया की याचिका पर तत्काल सुनवाई की मांग की गई थी। उन्होंने जमानत की शर्तों में छूट की मांग की है। जिसके तहत उन्हें हर सोमवार और गुरुवार को जांच अधिकारी के समक्ष हाजिरी देनी होती है।

मनीष सिसोदिया को इन शर्तों पर मिली थी जमानत

इस साल अगस्त में, सर्वोच्च न्यायालय ने वरिष्ठ आप नेता को यह कहते हुए जमानत दे दी थी कि कथित आबकारी नीति मामले में मुकदमे को तेजी से पूरा करने की उम्मीद में उन्हें असीमित समय तक सलाखों के पीछे नहीं रखा जा सकता। सिसोदिया की जमानत याचिका पर फैसला सुनाते हुए न्यायमूर्ति गवई की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा था: "मौजूदा मामले में, ईडी के साथ-साथ सीबीआई मामले में, 493 गवाहों के नाम दर्ज किए गए हैं और मामले में हजारों पन्नों के दस्तावेज और एक लाख से अधिक पन्नों के डिजिटाइज्ड दस्तावेज शामिल हैं।" "इस प्रकार यह स्पष्ट है कि निकट भविष्य में मुकदमे के समाप्त होने की दूर-दूर तक कोई संभावना नहीं है। हमारे विचार में, मुकदमे के शीघ्र पूरा होने की उम्मीद में अपीलकर्ता को असीमित समय तक सलाखों के पीछे रखना उसे संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत दिए गए स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार से वंचित करना है।"

न्यायमूर्ति विश्वनाथन की पीठ ने कहा था- लगभग 17 महीने तक जेल में रहने और मुकदमा शुरू न होने के कारण सिसोदिया को शीघ्र सुनवाई के अपने अधिकार से वंचित किया गया है। इस तर्क को खारिज करते हुए कि सिसोदिया को जमानत मिलने पर वे सबूतों से छेड़छाड़ कर सकते हैं, सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि अभियोजन पक्ष का मामला मुख्य रूप से दस्तावेजी सबूतों पर आधारित है, जिन्हें सीबीआई और ईडी ने पहले ही जब्त कर लिया है। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्रीय एजेंसियों की इस दलील को भी अस्वीकार कर दिया था जिसमें मांग थी कि सिसोदिया को दिल्ली के मुख्यमंत्री कार्यालय या दिल्ली सचिवालय में जाने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए।

देश और दुनिया की ताजा ख़बरें (Hindi News) पढ़ें हिंदी में और देखें छोटी बड़ी सभी न्यूज़ Times Now Navbharat Live TV पर। देश (India News) अपडेट और चुनाव (Elections) की ताजा समाचार के लिए जुड़े रहे Times Now Navbharat से।

आयुष सिन्हा author

मैं टाइम्स नाउ नवभारत (Timesnowhindi.com) से जुड़ा हुआ हूं। कलम और कागज से लगाव तो बचपन से ही था, जो धीरे-धीरे आदत और जरूरत बन गई। मुख्य धारा की पत्रक...और देखें

End of Article

© 2025 Bennett, Coleman & Company Limited