कतर में नौसेना के पूर्व अफसरों को यदि कुछ हुआ तो जिम्मेदार सरकार होगी, मनीष तिवारी ने MEA को घेरा

Manish Tewari on Qatar Issue: मनीष तिवारी ने कहा कि उन्होंने गत दिसंबर में इस मामले को संसद में उठाया था और तब विदेश मंत्री एस जयशंकर ने जवाब दिया था कि सरकार इस मामले में हर संभव कदम उठा रही है। कांग्रेस सांसद ने इस पूरे मामले में सरकार पर लापरवाही बरतने का आरोप लगाया।

Manish Tewari

कतर की एक अदालत ने भारतीय नौसेना के 8 पूर्व अधिकारियों को फांसी की सजा सुनाई है।

Manish Tewari: कतर में भारतीय नौसेना के 8 पूर्व अधिकारियों को फांसी की सजा सुनाए जाने के बाद कांग्रेस ने सरकार को घेरा है। कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने शुक्रवार को कहा कि 'कतर में नौसेना के पूर्व कर्मियों को अगर कुछ हुआ तो इसकी जिम्मेदारी सरकार की होगी।' तिवारी ने कहा कि उन्होंने गत दिसंबर में इस मामले को संसद में उठाया था और तब विदेश मंत्री एस जयशंकर ने जवाब दिया था कि सरकार इस मामले में हर संभव कदम उठा रही है। कांग्रेस सांसद ने इस पूरे मामले में सरकार पर लापरवाही बरतने का आरोप लगाया।

कतर के साथ शीर्ष स्तर पर मामले को उठाएं पीएम

उन्होंने कहा कि नौसेना के 8 पूर्व अधिकारियों पर कौन से आरोप लगे हैं, इसकी जानकारी सामने नहीं आई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को कतर के शीर्ष नेतृत्व के साथ इस मामले को प्राथमिकता के साथ उठाना चाहिए और भारतीय लोगों की घर वापसी होनी चाहिए। बता दें कि कतर की एक कोर्ट ने गुरुवार को भारतीय नौसेना के 8 पूर्व अधिकारियों को फांसी की सजा सुनाई। हालांकि, इन अधिकारियों पर लगे आरोपों के बारे में कुछ नहीं कहा गया है।

कुछ हुआ तो सरकार जिम्मेदार होगी-मनीष तिवारी

समाचार एजेंसी एएनआई के साथ बातचीत में तिवारी ने कहा, 'कतर में भारतीय नौसेना के पूर्व आठ सम्मानित अधिकारियों को फांसी की सजा दी गई है। इन कर्मियों पर कौन से आरोप लगे हैं, हमें इसकी जानकारी नहीं है। मैंने लोकसभा में पूछा था कि नौसेना के इन अधिकारियों पर कौन से चार्ज लगे हैं। इस पूरे मामले में एनडीए-भाजपा की सरकार और एस जयशंकर के विदेश मंत्रालय ने जो लापरवाही दिखाई है, वह हैरान करने वाली है। नौसेना के इन कर्मियों के साथ अगर कुछ होता है तो इसकी पूरी जिम्मेदारी सरकार की होगी।'

तिवारी ने पूछा-यह कैसी जी-20 की अध्यक्षता?

तिवारी ने कहा कि संसद में उन्होंने पूछा था कि नौसेना के इन पूर्व अधिकारियों पर कौन से चार्ज लगे हैं। उन पर आरोप क्या हैं? उन्हें अवैध तरीके से वहां क्यों रखा गया है? कहा जा रहा है कि कतर में ट्रायल के बाद उन्हें सजा दी गई है लेकिन इस बारे में इतनी गोपनीयता क्यों रखी गई? कांग्रेस नेता ने सवाल उठाया कि किसी को इस बारे में जानकारी क्यों नहीं हुई? सरकार पर तंज कसते हुए तिवारी ने कहा कि यह किस तरह की जी-20 की अध्यक्षता है कि इसके अंत में आपकी नौसेना के प्रतिष्ठित पूर्व अधिकारियों को फांसी की सजा सुना दी जा रही है? और उनके ऊपर लगे आरोपों की जानकारी किसी को नहीं है।

कतर ने आरोप सार्वजनिक नहीं किए

कतर की अदालत के फैसले पर भारत सरकार ने अपनी प्रतिक्रिया में कहा कि वह इस फैसले से बेहद ‘स्तब्ध’है और इस मामले में सभी कानूनी विकल्पों पर विचार कर रही है। ये सभी आठ भारतीय नागरिक अल दाहरा कंपनी के कर्मचारी हैं जिन्हें पिछले साल जासूसी के कथित मामले में हिरासत में ले लिया गया था। कतर के अधिकारियों की ओर से भारतीयों के खिलाफ लगाए गए आरोपों को सार्वजनिक नहीं किया गया है। अपनी प्रतिक्रिया में विदेश मंत्रालय (एमईए) ने कहा कि वह इस मामले को ‘बहुत महत्व’ दे रहा है और सभी कानूनी विकल्प तलाश रहा है।

नौसेना में 20 साल तक काम किया है

मामले से वाकिफ लोगों के अनुसार, पूर्व भारतीय नौसेना कर्मियों में कैप्टन सौरभ वशिष्ठ, कमांडर पूर्णेन्दु तिवारी, कैप्टन बीरेंद्र कुमार वर्मा, कमांडर सुगुनाकर पकाला, कमांडर संजीव गुप्ता, कमांडर अमित नागपाल और नाविक रागेश शामिल हैं। उन्होंने कहा कि सभी पूर्व नौसेना अधिकारियों का भारतीय नौसेना में 20 साल तक का ‘बेदाग कार्यकाल’ था और उन्होंने सैन्य बल में प्रशिक्षकों सहित महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया था।

अल दाहरा कंपनी से जुड़े थे अधिकारी

विदेश मंत्रालय ने कहा कि उसे शुरू में जानकारी मिली कि कतर की एक अदालत ने आज अल दाहरा कंपनी के आठ भारतीय कर्मचारियों से जुड़े मामले में फैसला सुनाया है। मंत्रालय ने कहा, ‘हम मौत की सजा सुनाए जाने के फैसले से बेहद स्तब्ध हैं और फैसले के विस्तृत ब्योरे की प्रतीक्षा कर रहे हैं। हम परिवार के सदस्यों और कानूनी टीम के संपर्क में हैं। हम सभी कानूनी विकल्पों पर विचार कर रहे हैं।’ विदेश मंत्रालय ने कहा कि वह भारतीयों को सभी राजनयिक परामर्श और कानूनी सहायता देना जारी रखेगा।

मामले पर बारीकी से नजर रख रहे हैं-विदेश मंत्रालय

मंत्रालय के एक बयान में कहा गया, ‘हम इस मामले को बहुत महत्व देते हैं और इस पर बारीकी से नजर रख रहे हैं। हम सभी तरह की राजनयिक और कानूनी सहायता देना जारी रखेंगे। हम फैसले को कतर के अधिकारियों के समक्ष उठाएंगे।’बयान में कहा गया है कि इस मामले में कार्यवाही की गोपनीय प्रकृति के कारण फिलहाल कोई और टिप्पणी करना उचित नहीं होगा। कतर में भारत के राजदूत ने राजनयिक पहुंच मिलने के बाद एक अक्टूबर को जेल में बंद इन भारतीयों से मुलाकात की थी। सूत्रों ने कहा कि अल दहरा सुरक्षा कंपनी के तहत, भारतीय पिछले कुछ वर्षों से कतर के नौसैनिकों को प्रशिक्षण दे रहे थे। उन्होंने कहा कि अल दहरा सुरक्षा कंपनी ने कतर के नौसैनिकों को प्रशिक्षण की सुविधा प्रदान करने के लिए कतरी अधिकारियों के साथ कुछ व्यवस्थाएं की थीं।

(एजेंसी इनपुट के साथ)

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