पाकिस्तान के साथ शांति स्थापित करने के लिए मनमोहन सिंह ने क्या कुछ किया? इस दिग्गज ने बताई वो कहानी
Manmohan Singh News: क्या आप जानते हैं भारत और पाकिस्तान के बीच रिश्ते सुधारने के लिए पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने क्या कुछ किया? पूर्व एनएसए पंकज सरन ने इससे जुड़ी अहम जानकारी साझा की है। उन्होंने बताया कि मनमोहन सिंह ने पाकिस्तान के साथ शांति स्थापित करने की ‘बहुत कोशिश' की।

नवाज शरीफ और मनमोहन सिंह।
Manmohan Singh on Pakistan: भारत और पाकिस्तान के बीच का संबंध देश की सभी सरकारों के लिए बड़ी चुनौती रही है। जवाहरलाल नेहरू, इंदिरा गांधी, अटल बिहारी वाजपेयी, मनमोहन सिंह या फिर नरेंद्र मोदी... इन सभी प्रधानमंत्रियों के कार्यकाल में पाकिस्तान का मुद्दा काफी चिंताजनक रहा है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि पाकिस्तान के साथ शांति स्थापित करने के लिए पूर्व पीएम मनमोहन सिंह ने क्या भूमिका निभाई? पूर्व उप राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) पंकज सरन ने इससे जुड़ी अहम जानकारी साझा की है।
पाकिस्तान के साथ शांति स्थापित करने के लिए की कोशिश
पंकज सरन ने कहा कि प्रधानमंत्री के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान मनमोहन सिंह ने पाकिस्तान के साथ शांति स्थापित करने की ‘बहुत कोशिश’ की, लेकिन इसमें सफलता नहीं मिली। सरन तब तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के करीबी सहयोगी थे। पूर्व वित्त मंत्री और दो बार प्रधानमंत्री रहे मनमोहन सिंह का बृहस्पतिवार को 92 वर्ष की उम्र में निधन हो गया। सरन ने बृहस्पतिवार को सिंह के निधन को बहुत दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए उन्हें एक बुद्धिजीवी और विश्व स्तर के अर्थशास्त्री के रूप में वर्णित किया साथ ही उन्हें विनम्रता का प्रतीक भी बताया।
मनमोहन सिंह को उम्मीद नहीं की थी कि वो प्रधानमंत्री बनेंगे
पूर्व उप राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) ने कहा, "वह आम सहमति बनाने वाले व्यक्ति थे, बहुत ही सरल व्यक्ति थे, उन्होंने कभी प्रधानमंत्री बनने की उम्मीद नहीं की थी, लेकिन उन्होंने 10 वर्षों तक सेवा की।" सरन रूस में भारत के राजदूत रह चुके हैं। उन्होंने भारत और विदेशों में विभिन्न पदों पर भी कार्य किया जिसमें बांग्लादेश में भारत के उच्चायुक्त का पद भी शामिल है। उन्हें 2018 में उप एनएसए नियुक्त किया गया था। सरन ने कहा है कि "वह (मनमोहन सिंह) हमेशा एक अच्छे श्रोता, बुद्धिजीवी, विश्व स्तर के अर्थशास्त्री और व्यापक रूप से सम्मानित व्यक्ति रहे हैं। वह 2008 में जी-20 शिखर सम्मेलन की शुरुआत में पहले (भारतीय) प्रधानमंत्री थे और उन्होंने वैश्विक नेताओं के बीच बहुत उच्च प्रतिष्ठा अर्जित की, जिनकी अर्थशास्त्र की समझ... कुल मिलाकर, मैं कहूंगा कि वह एक बहुत अच्छे व्यक्ति, वह निजी जीवन और सार्वजनिक जीवन, दोनों ही क्षेत्र में एक महान इंसान थे।’’
'बहुत कोशिश की, लेकिन इसमें सफलता हासिल नहीं हुई'
उन्होंने याद करते हुए कहा, ‘‘पड़ोसियों के बीच, उन्होंने पाकिस्तान के साथ शांति स्थापित करने की बहुत कोशिश की, लेकिन इसमें सफलता हासिल नहीं हुई। उन्होंने कोशिश की और वह बहुत निराश थे कि उनके प्रयास सफल नहीं हुए। वास्तव में, 2008 में जब वह प्रधानमंत्री थे, तब 26/11 के मुंबई हमलों ने उन्हें झकझोर कर रख दिया था।’’
'आतंकी हमले के बाद मनमोहन ने सैन्य कार्रवाई की बात कही थी'
ब्रिटेन के पूर्व प्रधानमंत्री डेविड कैमरन ने अपने संस्मरण में उल्लेख किया है कि जुलाई 2011 के मुंबई बम विस्फोटों के बाद मनमोहन सिंह ने उनसे कहा था कि यदि ऐसा कोई और हमला होता है तो भारत को पाकिस्तान के खिलाफ सैन्य कार्रवाई करनी होगी। मुंबई के विभिन्न स्थानों पर 13 जुलाई 2011 को तीन बम विस्फोट हुए थे। ये धमाके ओपेरा हाउस, जावेरी बाजार और दादर पश्चिम क्षेत्रों में शाम 6:54 बजे से 7:06 बजे के बीच हुए थे जिसमें 26 लोग मारे गए और 130 लोग घायल हो गए थे।
वर्ष 2019 में प्रकाशित अपनी पुस्तक 'फॉर द रिकॉर्ड' में कैमरन ने लिखा, "प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के साथ मेरे अच्छे संबंध थे। वह एक संत पुरुष थे, लेकिन भारत के सामने आने वाले खतरों के बारे में वह बेहद सख्त थे। बाद में एक यात्रा पर उन्होंने मुझसे कहा कि जुलाई 2011 में मुंबई में हुए आतंकवादी हमले जैसा एक और आतंकवादी हमला अगर हुआ तो भारत को पाकिस्तान के खिलाफ सैन्य कार्रवाई करनी होगी।" वर्ष 2013 में अमृतसर की यात्रा के दौरान जब वह और सिंह प्रधानमंत्री थे, तब कैमरन ने 1919 के जलियांवाला बाग हत्याकांड को ब्रिटिश इतिहास की एक बेहद शर्मनाक घटना बताया था। पूर्व वित्त मंत्री और दो बार प्रधानमंत्री रहे मनमोहन सिंह का बृहस्पतिवार को 92 वर्ष की उम्र में निधन हो गया।
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