मराठा आरक्षण: मनोज जरांगे फिर करेंगे आमरण अनशन? भाजपा ने अधिसूचना पर दिया जवाब

Maratha Reservation: मराठा आरक्षण का विवाद अभी थमा नहीं है। मनोज जरांगे ने अधिसूचना लागू न करने पर 10 फरवरी से आमरण अनशन की चेतावनी दी है। वहीं महाराष्ट्र भाजपा अध्यक्ष चंद्रशेखर बावनकुले का कहना है कि मसौदा अधिसूचना अंतिम नहीं, ओबीसी नेता आपत्तियां दर्ज करा सकते हैं। जानें सारा विवाद।

Manoj Jarange

मनोज जरांगे ने फिर से आमरण अनशन करने की चेतावनी दी।

Manoj Jarange: मराठा आरक्षण कार्यकर्ता मनोज जरांगे ने मराठाओं को कुनबी जाति के प्रमाणपत्र जारी करने को लेकर महाराष्ट्र सरकार की मसौदा अधिसूचना को बुधवार से लागू करने की मांग की और चेतावनी दी कि अगर उनकी मांग पूरी नहीं की जाती है तो वह 10 फरवरी से आमरण अनशन करेंगे।

विधानमंडल का एक विशेष सत्र बुलाने की मांग

पत्रकारों से बातचीत में जरांगे ने कहा कि मराठाओं को सरकारी नौकरियों तथा शिक्षा में आरक्षण के लाभ हासिल करने के लिए कुनबी जाति के प्रमाणपत्र दिए जाने के वास्ते अधिसूचना को कानून में बदलने के लिए राज्य विधानमंडल का एक विशेष सत्र बुलाया जाना चाहिए। महज चार दिन पहले ही महाराष्ट्र सरकार ने जरांगे के साथ बातचीत के बाद एक मसौदा अधिसूचना जारी की थी जिसमें कहा गया है कि जिस मराठा व्यक्ति के पास यह दर्शाने के लिए रिकॉर्ड हैं कि वह कुनबी समुदाय से जुड़ा है, उसके सगे-संबंधियों को भी कुनबी के तौर पर मान्यता दी जाएगी।

मराठाओं को कुनबी प्रमाणपत्र दिये जाने की मांग

कुनबी समुदाय अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) में आता है और जरांगे सभी मराठाओं को कुनबी प्रमाणपत्र दिये जाने की मांग कर रहे हैं। उन्होंने कहा, 'अधिसूचना तत्काल लागू की जाए। अधिसूचना के आधार पर एक कानून लाने के लिए विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया जाए। अगर कल (31 जनवरी) से क्रियान्वयन शुरू नहीं होता है तो मैं 10 फरवरी से आमरण अनशन करूंगा।'

भाजपा ने प्रमाण पत्र देने पर दी ये प्रतिक्रिया

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की महाराष्ट्र इकाई के अध्यक्ष चन्द्रशेखर बावनकुले ने मंगलवार को कहा कि मराठों को कुनबी जाति प्रमाण पत्र देने की मसौदा अधिसूचना अंतिम नहीं है और अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के नेता अपनी आपत्तियां दर्ज करा सकते हैं। मराठा आरक्षण कार्यकर्ता मनोज जारांगे के आंदोलन के बाद सरकार जो मसौदा लेकर आयी, उससे राज्य के मंत्री छगन भुजबल सहित अन्य ओबीसी नेताओं ने आशंका व्यक्त की है कि इससे ओबीसी श्रेणी में मराठों को पिछले दरवाजे से प्रवेश की सुविधा मिलेगी।

आपत्तियों और सुझावों को सुनने के बाद निर्णय

बावनकुले ने कहा, 'राज्य सरकार ने मसौदा अधिसूचना पर सुझाव और आपत्तियां मांगी हैं, इसलिए यह अधिसूचना अंतिम नहीं है। यदि ओबीसी नेताओं और अन्य लोगों को लगता है कि अन्याय होगा, तो वे अपनी आपत्तियां बता सकते हैं और अंतिम आपत्तियों और सुझावों को सुनने के बाद निर्णय लिया जाएगा।' उन्होंने कहा कि राज्य सरकार मराठा समुदाय को आरक्षण देने को लेकर सकारात्मक है और मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे द्वारा उठाए गए कदम उचित थे।

(भाषा)

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