भारत की राजनीति में कई भतीजे हुए हैं 'बागी'! शरद पवार से पहले टूट चुका है ठाकरे और यादव परिवार का घर
Maharashtra: पिछले विधानसभा चुनाव के तुरंत बाद, जब शिवसेना ने सीएम पद को लेकर बीजेपी का साथ छोड़ा तो अजित पवार बीजेपी के साथ जा मिले थे और डिप्टी सीएम बन गए थे। अजीत पवार के इस कदम से चाचा शरद पवार समेत पूरा राजनीतिक जगत हैरान रह गया था।
महाराष्ट्र (Maharashtra) की राजनीति में जिसका अंदेशा था वो तो हो गया। शरद पवार (Sharad Pawar) का घर एक बार फिर भतीजे अजित पवार (Ajit Pawar) ने तोड़ दिया और बीजेपी (BJP) से जाकर मिल गए। कुछ ही घंटों के अंदर अजित पवार नेता विपक्ष से डिप्टीअ सीएम बन गए। अजित पवार को लेकर पहले से ही आशंका थी कि वो बीजेपी के साथ जाएंगे, शायद उनके चाचा शरद पवार को भी इसकी भनक थी, यही कारण था कि उन्होंने एनसीपी में अपनी बेटी सुप्रिया सुले और प्रफुल्ल पटेल का कद बढ़ाया गया था। भारत की राजनीति में भतीजों के बागी होने का लंबा इतिहास रहा है। महाराष्ट्र में शरद पवार से पहले ठाकरे परिवार टूट चुका है। यूपी में समाजवादी पार्टी टूट चुकी है। इन तीनों पार्टियों में चाचा और भतीजे की ही लड़ाई थी।
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पहले भी 'बागी' हो चुके हैं अजित पवार
पिछले विधानसभा चुनाव के तुरंत बाद, जब शिवसेना ने सीएम पद को लेकर बीजेपी का साथ छोड़ा तो अजित पवार बीजेपी के साथ जा मिले थे और डिप्टी सीएम बन गए थे। अजित पवार के इस कदम से चाचा शरद पवार समेत पूरा राजनीतिक जगत हैरान रह गया था, लेकिन राजनीति के पुराने खिलाड़ी शरद पवार ने न केवल अपने भतीजे को वापस पार्टी में लाया बल्कि बीजेपी को सत्ता से हटाकर खुद सत्ता में भी आ गए। शिवसेना से उद्धव ठाकरे सीएम बने। सरकार तब गिर गई, जब शिवसेना टूटी। एकनाथ शिंदे बीजेपी के साथ जाकर सीएम बन गए। इसके बाद फिर से शरद पवार विपक्ष में आ गए, अजित पवार विपक्ष के नेता बन गए। इसके कुछ महीनों बाद ही अजित पवार के सुर बदलने लगे, सत्ता को लेकर दावा करने लगे। इसी बीच चाचा शरद पवार एनसीपी के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिए, अजित पवार को लगा कि उनके पास पार्टी की कमान आ जाएगी, लेकिन फिर चाचा ने मात दे दिया और कार्यकर्ताओं के विरोध के बाद इस्तीफा वापस ले लिया। इसके बाद शरद पवार ने अपनी बेटी और प्रफुल्ल पटेल का कद बढ़ा दिया। जिसके बाद अजित पवार ने सबके सामने तो खुशी जताई लेकिन अंदर ही अंदर बीजेपी के साथ खिचड़ी पकाने लगे और आज एनडीए में जाकर मिल गए।
राज ठाकरे की बगावत
महाराष्ट्र में पवार परिवार से पहले ठाकरे परिवार टूट चुका है। शिव सेना संस्थापक बाला साहेब ठाकरे के उत्तराधिकारी के रूप में भतीजे राज ठाकरे उभर रहे थे। उद्धव ठाकरे से ज्यादा महाराष्ट्र की राजनीति में राज ठाकरे का नाम था। लेकिन जब बाला साहेब ठाकरे ने अपना उत्तराधिकारी चुना तो भतीजे को छोड़कर बेटे को तजरीह दी और राज ठाकरे बागी बन बैठे। कुछ ही दिनों बाद अपनी अलग पार्टी बना ली और ठाकरे परिवार टूट गया।
सपा में बगावत
राजनीति में सबसे ज्यादा चर्चित चाचा-भतीजे की लड़ाई की कहानी यूपी की है। तब सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव जीवित थे। मुलायम सिंह के बेटे अखिलेश यादव सीएम थे और चाचा शिवपाल कद्दावर मंत्री। पार्टी पर भी शिवपाल यादव की पकड़ थी। यहां भी सत्ता की लड़ाई हुई, भतीजे अखिलेश, चाचा शिवपाल पर भारी पड़े और शिवपाल सपा से अलग होकर अपनी पार्टी बना लगी। हालांकि चुनाव में असफल रहे और वापस सपा में लौट आए।
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