ब्राजील में हो रहा जी-20 शिखर सम्मेलन कई मायनों में होगा खास, जानिए क्या-क्या मुद्दे उठेंगे

ब्राजील ने भूख और गरीबी के खिलाफ बहुपक्षीय समझौते का मसौदा तैयार किया जिसे 24 जुलाई 2024 को रियो डी जिनेरियो में जी 20 देशों और अन्य अंतरराष्ट्रीय संगठनों की बैठक में अपनाया गया। डिप्लोमैटिक जानकारों का मानना है कि शिखर सम्मेलन में इसे आम सहमति से स्वीकार कर लिया जाएगा।

ब्राजील में जी-20

G-20 summit Brazil: जी 20 शिखर सम्मेलन ब्राजील में 18 -19 नवंबर को होने जा रहा है। जी-20 शिखर सम्मेलन ब्राजील के शहर रियो डी जेनेरियो में होगा जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शिरकत करेंगे। जी-20 में 19 सदस्य देश, अफ्रीका और यूरोपीयन यूनियन के सदस्य देश हिस्सा लेंगे। अफ्रीकी देशों के जी-20 में शामिल होने के बाद ये पहली बैठक है। पिछले साल 2023 में भारत ने अपनी अध्यक्षता के दौरान वॉयस ऑफ ग्लोबल साउथ मंच बनाकर अफ्रीकी देशों को जी -20 में शामिल किया था। भारत द्वारा ब्राजील को अध्यक्षता सौंपी गई थी।

भारत ने अपना मोटो और थीम वसुधैव कुटुंबकम, एक धरती एक परिवार रखा था, जबकि ब्राजील ने 'न्यायपूर्ण विश्व और सतत ग्रह का निर्माण' रखा है। ब्राजील का उद्देश्य है कि उन न्यायपूर्ण समझौतों के लिए प्रतिबद्ध रहें जो वैश्विक आर्थिक और सामाजिक विकास को बढ़ावा देती है। ब्राजील के राष्ट्रपति लुईज इनेसियो लूला डी सिल्वा ने सितंबर 2023 में भारत से अध्यक्षता लेते हुए कहा था कि ब्राजील खाद्यान्न की कमी और पोषण असुरक्षा से निपटने के लिए प्रतिबद्ध है। संयुक्त राष्ट्र सतत विकास लक्ष्य 2030 को हासिल करने के लिए भूख और गरीबी के खिलाफ वैश्विक गठबंधन बनाने के लिए कटिबद्ध है। ब्राजील ने भूख और गरीबी के खिलाफ बहुपक्षीय समझौते का मसौदा तैयार किया जिसे 24 जुलाई 2024 को रियो डी जिनेरियो में जी 20 देशों और अन्य अंतरराष्ट्रीय संगठनों की बैठक में अपनाया गया। डिप्लोमैटिक जानकारों का मानना है कि शिखर सम्मेलन में इसे आम सहमति से स्वीकार कर लिया जाएगा।

जी-20 का इस बार का तीसरा महत्वपूर्ण लक्ष्य है जलवायु परिवर्तन के विरूद्ध वैश्विक लामबंदी के लिए टास्क फोर्स का गठन। क्योंकि जलवायु परिवर्तन पूरे विश्व के लिए चुनौती बन चुका है। ब्राजील अति अमीर देशों पर न्यूनतम कर लगाने के लिए ग्लोबल पहल करने की पैरवी भी कर रहा है। फ्रांस से ब्राजील को इस मुद्दे पर समर्थन मिला है। एक्सपर्ट्स का मानना है कि ये देखना जरूरी है कि विकसित देश इस पर किस हद तक राजी होंगे। भारत कि ओर से ग्लोबल साउथ देशों की चिंताओं और आकांक्षाओं को मंच देकर एक अनूठा कदम उठाया जा चुका है। जिन गरीब देशों की आवाज दुनिया के किसी मंच पर नहीं सुनी जाती, जिनकी किसी को चिंता नहीं है, उनको भारत ने अपनी अध्यक्षता के दौरान न केवल मंच देकर उनकी समस्याओं को दुनिया के सामने रखा बल्कि अफ्रीकी देशों को जी-20 में शामिल भी करवा लिया।

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