मोदी सरकार का बड़ा फैसला, मराठी, पाली, प्राकृत, असमिया और बंगाली को शास्त्रीय भाषाओं के रूप में मिली मंजूरी

मराठी, पाली, प्राकृत, असमिया और बंगाली जैसी भाषाओं को शास्त्रीय भाषा का दर्जा देने से इन भाषाओं, उनके सांस्कृतिक संरक्षण, शैक्षिक अनुसंधान और भाषाई विरासत की समग्र मान्यता को बढ़ावा मिलेगा।

मराठी, पाली, प्राकृत, असमिया और बंगाली को शास्त्रीय भाषाओं के रूप में मोदी सरकार ने दी स्वीकृति

मुख्य बातें
  • अब भारत में 11 शास्त्रीय भाषा
  • पहले थे 6 अब 5 और नए जुड़े
  • 2004 में बना था शास्त्री भाषा से जुड़ा नियम
क्षेत्रीय भाषाओं पर मोदी सरकार ने बड़ा फैसला लेते हुए पांच और भाषाओं को शास्त्रीय भाषा के रूप में मंजूरी दी है। मोदी सरकार ने मराठी, पाली, प्राकृत, असमिया और बंगाली को शास्त्रीय भाषाओं के रूप में स्वीकृति दे दी है। शास्त्रीय दर्जा प्रदान करने से बोलने वालों की भाषाई पहचान मजबूत होगी, तथा राष्ट्रीय और वैश्विक संस्कृति में उनकी भाषा के योगदान पर गर्व बढ़ेगा।

भारत में कौन-कौन सी शास्त्रीय भाषाएं

केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने सरकार के इस फैसले की जानकारी देते हुए कहा- "पीएम मोदी ने हमेशा भारतीय भाषाओं पर ध्यान केंद्रित किया है... आज 5 भाषाओं मराठी, पाली, प्राकृत, असमिया और बंगाली को शास्त्रीय भाषाओं के रूप में मंजूरी दी गई है... अब तक तमिल, संस्कृत, तेलुगु, कन्नड़, मलयालम और ओडिया अधिसूचित शास्त्रीय भाषाएं थीं... सरकार शास्त्रीय भाषाओं के संरक्षण और संवर्धन तथा इन भाषाओं की समृद्ध विरासत को संरक्षित करने के लिए कई कदम उठा रही है...।"
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