मायावती ने कर दी जाति जनगणना की वकालत, खुद को बताया 'लौह महिला'
Mayawati advocates Caste Census: मायावती ने जाति जनगणना की वकालत की है। बसपा सुप्रीमो ने इस दौरान ये कहा कि देश व समाज के विकास को सही दिशा देने के लिए जातीय जनगणना के महत्व से इनकार नहीं किया जा सकता है और इसके प्रति अपेक्षित गंभीरता दिखाने के लिए सरकार को जरूरी कदम शीघ्र उठाने चाहिए।

बसपा सुप्रीमो मायावती
Politics on Caste Census: बहुजन समाज पार्टी (बसपा) प्रमुख मायावती ने शनिवार को जाति जनगणना की वकालत की और आग्रह किया कि सरकार को इस संबंध में जल्द ही आवश्यक कदम उठाने चाहिए। मायावती ने यह भी कहा कि उत्तर प्रदेश की बड़ी आबादी ने देखा है कि कैसे 'लौह महिला' के नेतृत्व में पार्टी शब्दों से ज्यादा काम को महत्व देती है। मायावती ने शनिवार को बसपा संस्थापक कांशीराम की 91वीं जयंती पर उन्हें श्रद्धांजलि दी और कहा कि पार्टी उनके सपनों को पूरा करने के लिए दिन-रात जुटी हुई है।
मायावती ने जाति जनगणना की वकालत की
मायावती ने कहा, 'देश और उत्तर प्रदेश में बहुजन समाज की आबादी 80 प्रतिशत से ज्यादा है और संवैधानिक व कानूनी तौर पर उनके हित एवं कल्याण की गारंटी सुनिश्चित करने के लिए बाबा साहेब डॉ. भीमराव आंबेडकर ने संविधान में राष्ट्रीय जनगणना का प्रावधान किया, जिसका लंबित रहना सुशासन कतई नहीं है।' उन्होंने कहा, 'जनगणना का काम सीधे तौर पर देश निर्माण से जुड़ा है, लिहाजा सरकार को इस दायित्व के प्रति विशेष रूप से सतर्क रहना चाहिए। जनगणना नहीं कराने पर संसदीय समिति ने भी अपनी चिंता व्यक्त की है।'
मायावती ने कहा कि देश व समाज के विकास को सही दिशा देने के लिए जातीय जनगणना के महत्व से इनकार नहीं किया जा सकता है और इसके प्रति अपेक्षित गंभीरता दिखाने के लिए सरकार को जरूरी कदम शीघ्र उठाने चाहिए।
भाषा को लेकर हो रहे विवाद पर क्या बोलीं मायावती?
देश में धर्म, क्षेत्र, जाति, समुदाय व भाषा को लेकर हो रहे विवाद पर मायावती ने गंभीर चिंता जताई। उन्होंने कहा, 'देश व जनहित को प्रभावित करने वाले इस तरह के घातक विवादों की असली जड़ हर जगह और हर स्तर पर हावी हो रही संकीर्ण जातिवादी व सांप्रदायिक राजनीति है, जबकि जबरदस्त महंगाई, गरीबी, बेरोजगारी, अशिक्षा, पिछड़ापन आदि की राष्ट्रीय समस्याओं को पूरे तौर पर भुला दिया गया है।'
इससे पहले, मायावती ने सोशल मीडिया मंच 'एक्स' पर सिलसिलेवार पोस्ट में कहा, 'आज बसपा के संस्थापक कांशीराम जी की जयंती पर पूरे देश में पार्टी ने उन्हें श्रद्धांजलि दी और सामाजिक परिवर्तन व आर्थिक मुक्ति के उनके आंदोलन को मजबूत करने का संकल्प लिया।’’ उन्होंने कहा, 'बहुजन समाज को घोर गरीबी, बेरोजगारी, शोषण, उत्पीड़न, पिछड़ेपन, जातिवाद, सांप्रदायिक हिंसा और तनाव की कष्टदायक जिंदगी से मुक्ति दिलाने के लिए अपने बहुमूल्य वोट की ताकत को समझना और सत्ता की मास्टर चाबी हासिल करना जरूरी है। यही आज का संदेश है।'
बसपा सुप्रीमो ने खुद को बताया 'लौह महिला'
खुद को 'लौह महिला' बताते हुए बसपा प्रमुख ने कहा, 'उत्तर प्रदेश की विशाल आबादी ने देखा है कि कैसे 'लौह महिला' के नेतृत्व में बसपा बातों से ज्यादा काम करने में विश्वास करती है। इसने सत्ता में रहने के दौरान बहुजनों के सर्वांगीण विकास को सुनिश्चित किया, जबकि अन्य दलों द्वारा किए गए अधिकांश दावे निराधार और भ्रामक साबित हुए।'
कांशीराम का जन्म 15 मार्च 1934 को पंजाब के रूपनगर में हुआ था और उन्होंने पिछड़े वर्गों के लोगों के उत्थान और राजनीतिक लामबंदी के लिए काम किया। बसपा संस्थापक का नौ अक्टूबर 2006 को 71 वर्ष की आयु में निधन हो गया था।
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