मोरारजी देसाई राष्ट्रीय योग संस्थान में मनाया गया पहला विश्व ध्यान दिवस
मोरारजी देसाई राष्ट्रीय योग संस्थान में शनिवार को पहला विश्व ध्यान दिवस मनाया गया। कार्यक्रम में 600 से अधिक योग उत्साही लोगों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया।
मोरारजी देसाई राष्ट्रीय योग संस्थान में मनाया गया पहला विश्व ध्यान दिवस
मोरारजी देसाई राष्ट्रीय योग संस्थान (मो.दे.रा.यो.सं.) ने 21 दिसंबर को पहला विश्व ध्यान दिवस धूमधाम से मनाया, जिसमें कई व्याख्यानों और ध्यान सत्रों की श्रृंखला शामिल थी। मो.दे.रा.यो.सं. निदेशक डॉ. काशीनाथ समगंडी ने इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में शिरकत की और अपने सम्बोधन में बताया कि ध्यान और योग मन को नियंत्रित करने और अस्वस्थ जीवनशैली को सुधारने में मददगार हैं। गौरतलब है कि ट्रान्सेंडैंटल मेडिटेशन से लेकर प्रेक्षा ध्यान और राज योग ध्यान तक, कई विधियां उपलब्ध हैं, और सभी आयु वर्ग के लोग ध्यान का अभ्यास कर सकते हैं। अगले साल से, हमारा लक्ष्य इस दिन को बड़े पैमाने पर मनाने का है, ताकि आम जनता तक ध्यान को आसानी से पहुंचा जा सके।
दूसरे सत्र में, विशिष्ट अतिथि के.सी. जैन, निदेशक, अध्यात्म साधना केंद्र, ने ध्यान के महत्व पर प्रकाश डालते हुए बताया, “आत्मा हमारी सबसे बड़ा गुरु है। ध्यान के माध्यम से, व्यक्ति आंतरिक स्व के साथ गहरा संबंध बना सकता है और संवेदी धारणा को महत्वपूर्ण रूप से बढ़ा सकता है।”
जैन ने ध्यान पर शोध का हवाला देते हुए एक ऐसी छात्रा को दिखाया गया जो पुस्तक को बिना देखे ही पढ़ सकती थी, यह कौशल समर्पित ध्यान अभ्यास के माध्यम से प्राप्त हुआ। इस सत्र का समापन एक संक्षिप्त ध्यान अभ्यास के साथ हुआ, जिसमें सभी प्रतिभागियों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया।हार्टफुलनेस संस्थान के संजय उप्रेती ने आगे कहा, “सम भाव में रहना योग है, और ध्यान वह वाहन है जिसके माध्यम से व्यक्ति अपनी आध्यात्मिक यात्रा की पराकाष्ठा तक पहुंच सकता है। इस अभ्यास के माध्यम से व्यक्ति शांति प्राप्त करता है, अपनी प्रवृत्तियों को बदलता है, और ब्रह्मांड से ऊर्जा को आकर्षित करता है।”
समापन सत्र में ब्रह्माकुमारीज की वरिष्ठ राज योग शिक्षिका सिस्टर बी.के. सपना ने कहा कि प्रधानमंत्री की पहल ने अंतरराष्ट्रीय योग दिवस की तरह विश्व ध्यान दिवस के उत्सव का मार्ग प्रशस्त किया है। उन्होंने कहा, “यह हमारे लिए गर्व का क्षण है। आज की तनावपूर्ण दुनिया में, अपनी शुद्ध, शाश्वत और अविनाशी आत्मा को समझना वास्तविक ध्यान अभ्यास के लिए महत्वपूर्ण है। तभी हम वास्तव में ध्यान का अभ्यास कर सकते हैं।”
योग चिकित्सक डॉ. विनय भारती ने ध्यान की शक्ति पर प्रकाश डालते हुए कहा, “ध्यान स्वयं को जानने का एक माध्यम है। जब परिस्थितियाँ अनुकूल होती हैं, तो यह स्वाभाविक रूप से होता है।” डॉ. भारती ने प्रतिभागियों के लाभ के लिए एक ध्यान सत्र भी आयोजित किया।
इस कार्यक्रम में प्रतिभागियों को प्रेक्षा ध्यान, ओम ध्यान और राज योग ध्यान सहित कई तरह की ध्यान तकनीकों का अभ्यास करने का अवसर मिला, जिससे प्रतिभागियों को अपनी सुविधानुसार बेहतर ध्यान का चयन करने का अवसर मिला। इस अवसर पर संचार और प्रलेखन अधिकारी मो. तैयब आलम, कार्यक्रम अधिकारी आई.एन. आचार्य और अन्य संकाय सदस्य मौजूद थे। कार्यक्रम में 600 से अधिक योग उत्साही लोगों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया। गौरतलब है कि मुख्य कार्यक्रम से पहले, संस्थान ने 19-21 दिसंबर तक ध्यान पर एक विशेष 3-दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया, जिसमें प्रख्यात ध्यान विशेषज्ञों ने ध्यान की विभिन्न तकनीकों पर अपने विचार साझा किए।
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शिशुपाल कुमार author
पिछले 10 सालों से पत्रकारिता के क्षेत्र में काम करते हुए खोजी पत्रकारिता और डिजिटल मीडिया के क्षेत्र...और देखें
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