...तो Meerut का नाम बदल कर देंगे 'नाथूराम गोडसे नगर'- Hindu Mahasabha का ऐलान
नगरीय निकाय चुनाव के लिए मेरठ जिले के प्रभारी बनाए गए अभिषेक अग्रवाल ने बाद में मीडिया को बताया कि इस बार हिंदू महासभा अपनी ओर से मेरठ जिले के सभी वार्ड सहित मेयर पद प्रत्याशी और मेरठ जनपद के देहात व कस्बों में भी प्रत्याशियों को चुनाव लड़ाने का कार्य करेगी।
तस्वीर का इस्तेमाल सिर्फ प्रस्तुतिकरण के लिए किया गया है। (फाइल)
अखिल भारत हिंदू महासभा ने ऐलान किया है कि वह मेरठ नगर निगम का चुनाव लड़ेगी। अगर उसके उम्मीदवार बहुमत में आए और पार्टी का महापौर (मेयर) बना तो मेरठ का नाम बदल दिया जाएगा। वे लोग इसे परिवर्तित कर के नाथूराम गोडसे नगर कर देंगे। मंगलवार (22 नवंबर, 2022) को मेरठ के शारदा रोड में हिंदू महासभा के दफ्तर में संगठन के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष पंडित अशोक शर्मा ने यह घोषणा की। उन्होंने पत्रकारों को बताया कि साल के अंत में होने वाले निकाय चुनाव में पार्षद और महापौर पद के लिए उम्मीदवार उतारे जाएंगे।
बकौल शर्मा, “अगर हिंदू महासभा मेरठ में महापौर का पद जीतती है और पर्याप्त संख्या में उसके पार्षद आते हैं तो मेरठ का नाम बदलकर नाथूराम गोडसे नगर कर दिया जाएगा। साथ ही शहर और जिले के विभिन्न स्थानों के मुस्लिम नाम हिंदू महापुरुषों के नाम पर रखे जाएंगे।” उन्होंने हिंदू महासभा के चुनाव में उतरने की घोषणा करने के बाद पदाधिकारियों के नामों की भी घोषणा की। कहा कि वे मिलकर देशभक्त उम्मीदवारों की पहचान करेंगे जिन्हें आने वाले चुनावों में खड़ा किया जाएगा।
अग्रवाल के मुताबिक उम्मीदवारों को एक हलफनामा भरना होगा। महासभा ने चुनावी घोषणापत्र भी जारी किया। घोषणा पत्र में पहली प्राथमिकता भारत को “हिन्दू राष्ट्र” बनाना और दूसरी प्राथमिकता “गौ माता की देखभाल” बताई गई है। घोषणा पत्र के मुताबिक तीसरे नंबर पर किए गए वादे के मुताबिक, भारत में हो रहे धर्मांतरण जैसे मुख्य मुद्दों पर काम करना और बढ़ती इस्लामी तुष्टीकरण की राजनीति के खिलाफ कदम उठाना होगा, जिसे खत्म करने की जरूरत है।
हिंदू महासभा के नेता ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी पहले खुद को हिंदू पार्टी कहती थी, लेकिन आज उस पर दूसरे समुदायों के लोगों का भी दबदबा बढ़ता जा रहा है। उन्होंने कहा कि उसी तरह शिवसेना भी मुस्लिम तुष्टीकरण की राजनीति करने की ओर बढ़ रही है। उन्होंने कहा कि पूरे भारत में एकमात्र संगठन जो अपनी स्थापना से लेकर आज तक केवल और केवल हिंदू अस्तित्व के लिए जीया है, वह हिंदू महासभा है।
1915 में स्थापित हिंदू महासभा ने मुख्य रूप से ब्रिटिश राज से पहले और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के भीतर हिंदुओं के हितों की वकालत करने वाले एक समूह के रूप में काम किया। 1930 के दशक में यह विनायक दामोदर सावरकर के नेतृत्व में एक अलग पार्टी के रूप में उभरा, जिसने हिंदुत्व की विचारधारा विकसित की, जबकि उत्तर प्रदेश में दिसंबर में नगरीय निकाय के चुनाव होने की उम्मीद है। (पीटीआई-भाषा इनपुट्स के साथ)
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