मेघालय:रूझानों में एक बार फिर संगमा किंग,BJP को त्रिपुरा-नगालैंड जैसी जीत नहीं,जानें क्यों
Meghalaya Assembly Election 2023: भाजपा ने चुनाव के समय सरकार से अलग होकर अकेले चलने का जो दांव चला था, वह कामयाब होता नहीं दिख रहा है। और वह पूर्वोत्तर के दूसरे राज्यों की तरह कमाल नहीं दिखा पा रही है। और एक बार फिर मुख्यमंत्री कोनराड संगमा किंग बनकर उभर रहे हैं।
कोनराड संगमा ने भाजपा के लए खड़ी की मुश्किल
कौन हैं कोनराड संगमा
कोनराड संगमा NPP के नेता है और पिछली सरकार उन्हीं के नेतृत्व में बनी थी। जिसे भाजपा ने समर्थन दिया था। एनपीपी, भाजपा के अलावा इस गठबंधन में यूनाइटेड डेमोक्रेटिक पार्टी , पीपुल्स डेमोक्रेटिक फ्रंट और हिल्स स्टेट पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी शामिल थी। एनपीपी का गठन कोनराड संगमा के पिता और वरिष्ठ कांग्रेस नेता पिता पी ए संगमा ने किया था। उन्होंने जुलाई 2012 में एनसीपी से निकाले जाने के बाद NPP का गठन किया था। एक जमाने में पी ए संगमा कांग्रेस के बड़े नेता में शुमार थे। बाद में उन्होंने एनसीपी का दामन थाम लिया था। नेशनल पीपुल्स पार्टी , पूर्वोत्तर भारत की पहली क्षेत्रीय पार्टी है जिसे राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा प्राप्त है। पिछली बार 52 सीट पर एनपीपी ने चुनाव लड़ा था और उसे 20.6 फीसदी वोट के साथ 20 सीटों पर जीत हासिल हुई थी। और उन्होंने भाजपा और दूसरे क्षेत्रीय दलों के साथ मिलकर सरकार बनाई थी। लेकिन चुनाव में भाजपा ने सरकार से अलग होकर अपने दम पर चुनाव लड़ा है।
भाजपा के लिए मेघालय की राह आसान नहीं
मेघालय ऐसा राज्य है जहां पर भाजपा अभी भी पूर्वोत्तर के दूसरे राज्यों जैसा कमाल नहीं दिखा पाई है। उसमे उम्मीद थी कि इस बार वह 2018 के त्रिपुरा चुनावों जैसा प्रदर्शन करेगी। उन चुनावों में भाजपा ने लेफ्ट की 25 साल की सत्ता को उखाड़ फेका था। और अपने दम पर सरकार बनाई थी। 2023 के विधानसभा चुनावों के रूझानों में एक बार फिर भाजपा की त्रिपुरा और नगालैंड में सरकार बनती दिख रही है। लेकिन वह ऐसा ही कमाल मेघालय में नहीं कर पा रही है। इसकी सबसे अहम वजह यह है कि मेघालय की सत्ता की चाबी गारो और खासी इलाके से होकर गुजरती है। और वहां पर पार्टी सरकार बनाने लायक प्रदर्शन अभी तक नहीं कर पाई है।
भाजपा ने मेघालय में पहली बार1998 के चुनाव में खाता खोला था। पार्टी को 3 सीटों पर जीत मिली थी। लेकिन 2013 में भाजपा का एक बार फिर खाता नहीं खुला था। और 2018 में 2 सीट ही भाजपा जीत पाई थी। हालांकि उसे 10 फीसदी मिले थे, इसी वजह से उसे इस बार उम्मीद रही है कि वह पूर्वोत्तर के दूसरे राज्यों जैसा प्रदर्शन करेगी।
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