फ्रांसिस पोप के निधन पर भारत में 3 दिन का राजकीय शोक घोषित, 88 वर्ष की उम्र में हुआ निधन
अपने विनम्र स्वभाव और गरीबों के प्रति चिंता व करूणा का भाव रखने वाले तथा एक सहृदय पोप के रूप में विश्व पर अपनी अमिट छाप छोड़ने वाले कैथोलिक समुदाय के पहले लैटिन अमेरिकी पादरी, पोप फ्रांसिस का सोमवार को निधन हो गया। वह 88 वर्ष के थे।

पोप फ्रांसिस (Photo: Instagram/franciscus)
Pope Francis- गृह मंत्रालय ने पोप फ्रांसिस के निधन पर सम्मान के तौर पर तीन दिवसीय राजकीय शोक की घोषणा की है। पोप फ्रांसिस का आज, 21 अप्रैल, 2025 को निधन हो गया। सम्मान के तौर पर पूरे भारत में तीन दिवसीय राजकीय शोक मनाया जाएगा। मंगलवार, 22 अप्रैल, 2025 और बुधवार, 23 अप्रैल, 2025 को दो दिवसीय राजकीय शोक होगा। अंतिम संस्कार के दिन एक दिवसीय राजकीय शोक होगा। राजकीय शोक की अवधि के दौरान, पूरे भारत में उन सभी इमारतों पर राष्ट्रीय ध्वज आधा झुका रहेगा, जहां नियमित रूप से राष्ट्रीय ध्वज फहराया जाता है। इस दौरान कोई आधिकारिक मनोरंजन नहीं होगा।
88 वर्ष की उम्र में निधन
अपने विनम्र स्वभाव और गरीबों के प्रति चिंता व करूणा का भाव रखने वाले तथा एक सहृदय पोप के रूप में विश्व पर अपनी अमिट छाप छोड़ने वाले कैथोलिक समुदाय के पहले लैटिन अमेरिकी पादरी, पोप फ्रांसिस का सोमवार को निधन हो गया। वह 88 वर्ष के थे। फ्रांसिस के निधन के बाद अब सप्ताह भर चलने वाली वह प्रक्रिया शुरू हो गई, जिसमें लोग उनके अंतिम दर्शन कर सकेंगे। सबसे पहले, सेंट मार्टा चैपल में वेटिकन के अधिकारी और फिर सेंट पीटर्स में आम लोग उन्हें श्रद्धांजलि देंगे।
पूरे रोम में चर्च के टावर के घंटे बजने लगे
इसके बाद, कार्डिनल्स कॉलेज के डीन कार्डिनल जियोवनी बैटिस्टा रे द्वारा उनका अंत्येष्टि कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा और नए पोप को चुनने के लिए एक बैठक होगी। पोप के निधन की घोषणा के बाद, पूरे रोम में चर्च के टावर के घंटे बजने लगे। कार्डिनल केविन फेरेल ने फ्रांसिस के निधन की घोषणा डोमस सेंट मार्टा के चैपल से की, जहां फ्रांसिस रहते थे। कार्डिनल फेरेल वेटिकन के कैमरलेंगो हैं। कैमरलेंगो की पदवी उन कार्डिनल या उच्चस्तरीय पादरी को दी जाती है जो पोप के निधन या उनके इस्तीफे की घोषणा के लिए अधिकृत होते हैं।
कई रीति-रिवाजों में संशोधन किया था
फेरेल ने घोषणा की, रोम के बिशप, पोप फ्रांसिस आज सुबह 7.35 बजे (प्रभु)यीशु के घर लौट गए। उनका पूरा जीवन प्रभु यीशु और उनके चर्च की सेवा के लिए समर्पित रहा। उन्होंने कहा, उन्होंने (पोप ने) हमें निष्ठा, साहस और सार्वभौम प्रेम के ईसोपदेश के मूल्यों के साथ जीना सिखाया, विशेष रूप से सबसे गरीब और हाशिए पर मौजूद लोगों के लिए। फ्रांसिस के सबसे विश्वस्त सहयोगियों में शामिल फेरेल ने कहा कि प्रभु यीशु के सच्चे शिष्य के रूप में अपार कृतज्ञता के साथ हम पोप फ्रांसिस की आत्मा को ईश्वर के असीम, दयालु प्रेम को सौंपते हैं। पोप फ्रांसिस ने पिछले साल कई रीति-रिवाजों में संशोधन किया था। उन्होंने अंतिम संस्कार की रस्मों को सरल बनाया ताकि वेटिकन के बाहर दफनाने की अनुमति दी जा सके।
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