Manipur Violence: इंफाल में विदेश राज्य मंत्री आर के रंजन सिंह के घर को भीड़ ने फूंका
Manipur Violence: मणिपुर एक बार फिर अशांत है। हजारों की संख्या में भीड़ ने विदेश राज्य मंत्री आर के रंजन सिंह के घर को आग के हवाले कर दिया।
आर के रंजन सिंह, विदेश राज्य मंत्री
Manipur Violence: मणिपुर की राजधानी इंफाल में विदेश राज्य मंत्री आर के रंजन सिंह के मकान को भीड़ ने जला दिया। हजारों की संख्या में उपद्रवियों ने उनके घर में तोड़फोड़ की और बाद में घर को आग के हवाले कर दिया। हालांकि जिस समय यह वारदात हुई वो अपने घर पर नहीं थे। बता दें कि मेइती समाज को एसटी दर्जा दिए जाने के आदेश के बाद कूकी समाज सड़कों पर है। पिछले महीने हुई हिंसा में करीब 100 लोगों की मौत हुई थी। उसके बाद से रह रह कर मणिपुर सुलग रहा है। पिछले महीने ही गृहमंत्री अमित शाह ने इंफाल का दौरा किया था और हालात की समीक्षा की थी।
कौन हैं राजकुमार रंजन सिंह
राजकुमार रंजन सिंह का संबंध मणिपुर के राजकीय परिवार से रिश्ता रहा है। विभिन्न जनजातियों के बीच एकता के लिए काम करते रहे हैं। आर के रंजन के नाम से लोकप्रिय हैं। इनका जन्म 1 सितंबर, 1952 को मणिपुर के इंफाल पूर्वी जिले के कोंगबा माखा नंदीबम लेकाई गांव में हुआ था। धाना मंजुरी कॉलेज इम्फाल से स्नातक करने के बाद उन्होंने 1972 में गुवाहाटी विश्वविद्यालय से भूगोल में स्नातकोत्तर किया और बाद में मणिपुर में भू-उपयोग की समस्याओं पर पीएचडी की। मणिपुर के कॉलेजों में पढ़ाने के बाद उन्होंने पृथ्वी विज्ञान विभाग में सहायक प्रोफेसर के रूप में मणिपुर विश्वविद्यालय (एमयू) में दाखिला लिया था। उन्हें एमयू में रजिस्ट्रार नियुक्त किया गया और 2004 से 2008 तक सेवा की। 2013 में वह बीजेपी में शामिल हो गए और 2014 में चुनाव लड़े।
क्या है मामला
हाल ही में मणिपुर हाईकोर्ट ने मेइती समाज को एसटी स्टेट्स दिए जाने के संबंध में फैसला सुनाया था। इस फैसले का कूकी समाज के लोग विरोध कर रहे हैं। कूकी समाज का कहना है कि पहले से साधन संपन्न मेइती समाज को एसटी दर्जा देने से कूकी समाज के हित प्रभावित होंगे। लेकिन मेइती समाज का कहना है कि 1950 से पहले वो लोग एसटी लिस्ट में शामिल थे। उन्हें बाहर निकाल कर नाइंसाफी की गई। वो अपने हक की लड़ाई लड़ रहे हैं। बता दें कि मेइती समाज के लोग इंफाल की घाटियों में रहते हैं और संसाधनों पर कब्जा रहा है। जानकार बताते हैं कि कूकी समाज को डर है कि इस फैसले को अमल में लाए जाने के बाद मेइती लोग पहाड़ी इलाकों में बसना शुरू कर देंगे जिसकी वजह से उनके हित प्रभावित होंगे।
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