मोदी सरकार 3.0 में कैबिनेट मंत्रालयों पर पेच, मनपसंद मंत्रालय चाहते हैं नीतीश और नायडू, कैसे साधेगी बीजेपी?

मोदी सरकार 3.0 में सहयोगी दलों की भूमिका महत्वपूर्ण होगी। टीडीपी, जेडीयू, शिवसेना, लोक जनशक्ति पार्टी (राम विलास) की भूमिका महत्वपूर्ण होगी। इन चार पार्टियों को मिलाकर 40 सांसद हैं।

एनडीए बैठक में पीएम मोदी

Modi Govt Cabinet Formation: 18वीं लोकसभा के चुनाव में बहुमत के जादुई आंकड़े (272) से भारतीय जनता पार्टी के पीछे रहने और एनडीए को बहुमत मिलने के बाद सियासी हलचलें तेज हैं, और अब मोदी सरकार के गठन को लेकर सरगर्मियां चल रही हैं। 5 जून को प्रधानमंत्री आवास पर एनडीए की बैठक में सभी दलों ने सर्वसम्मति से नरेंद्र मोदी को अपना नेता चुन लिया। अब खबर है कि कैबिनेट बंटवारे पर बीजेपी का सहयोगी दलों जेडीयू और चंद्रबाबू नायडू की टीडीपी से पेच फंस सकता है। इसे लेकर भी बीजेपी में मंथन का दौर जारी है। बीजेपी के सामने मनचाहे मंत्रालयों को लेकर सहयोगियों के दबाव का रास्ता निकालने की चुनौती है।

मोदी सरकार 3.0 में सहयोगी दल अहम

मोदी सरकार 3.0 में सहयोगी दलों की भूमिका महत्वपूर्ण होगी। टीडीपी, जेडीयू, शिवसेना, लोक जनशक्ति पार्टी (राम विलास) की भूमिका महत्वपूर्ण होगी। इन चार पार्टियों को मिलाकर 40 सांसद हैं। टीडीपी और जेडीयू अपने लिए मनपसंद मंत्रालय चाहती हैं। हर चार सांसद पर एक मंत्री का फॉर्मूला तय है। इस लिहाज से टीडीपी (16) चार, जेडीयू (12) 3, शिवसेना (7) और चिराग पासवान (5) को दो-दो मंत्रालयों की उम्मीद है।

स्पीकर पद भी चाहती है टीडीपी

टीडीपी स्पीकर पद भी चाहती है, हालांकि बीजेपी इसके लिए तैयार नहीं है। ज्यादा दवाब देने पर डिप्टी स्पीकर पद टीडीपी को मिल सकता है। जेडीयू के पास पहले से ही राज्य सभा डिप्टी चेयरमैन का पद है। अभी तक मोदी के दो कार्यकाल में सहयोगी दलों को सांकेतिक प्रतिनिधित्व ही मिला है। यानी उनकी संख्या के अनुपात में मंत्री पद देने के बजाए केवल सांकेतिक नुमाइंदगी दी गई। जबकि जेडीयू ने 2019 में संख्या के हिसाब से नुमाइंदगी की मांग की थी और ऐसा न होने पर सरकार में शामिल नहीं हुई थी, हालांकि 2021 में आरसीपी मंत्री बने थे। बदली परिस्थितियों में बीजेपी को संख्या के हिसाब से ही मंत्री बनाने पड़ सकते हैं।

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