लेटरल एंट्री पर क्यों पीछे हटी मोदी सरकार? कांग्रेस ने कर दिया ये बड़ा दावा
Politics on Lateral Entry: 'लेटरल एंट्री' के मामले पर सियासी उठापटक का दौर जारी ही था कि सरकार ने फैसले पर यू-टर्न लेते हुए विज्ञापन वापस लेने का फैसला किया। जिसे लेकर कांग्रेस ने दावा किया कि है कि विपक्ष के विरोध के कारण मोदी सरकार 'लेटरल एंट्री' पर पीछे हटी है।
कांग्रेस का दावा- विपक्ष के विरोध के कारण पीछे हटी मोदी सरकार।
Lateral Entry Issue: कांग्रेस ने मंगलवार को दावा किया कि लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी और विपक्ष के अन्य नेताओं के विरोध के कारण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार ‘लेटरल एंट्री’ के मामले पर पीछे हटी और उसने संबंधित विज्ञापन वापस लेने का फैसला किया। पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने यह दावा भी किया कि 'भारतीय जनता पार्टी एवं राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ जब तक सत्ता में हैं’, तब तक वे आरक्षण छीनने के नए-नए हथकंडे अपनाते रहेंगे और इस बारे में सबको सावधान रहना होगा।
'सत्ता के अहंकार को हरा सकती है संविधान की ताकत'
केंद्रीय कार्मिक राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) की अध्यक्ष प्रीति सूदन को पत्र लिखकर विज्ञापन रद्द करने को कहा 'ताकि कमजोर वर्गों को सरकारी सेवाओं में उनका उचित प्रतिनिधित्व मिल सके।' खड़गे ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, 'संविधान जयते। हमारे दलित, आदिवासी, पिछड़े और कमज़ोर वर्गों के सामाजिक न्याय के लिए कांग्रेस पार्टी की लड़ाई ने आरक्षण छीनने के भाजपा के मंसूबों पर पानी फेरा है। लेटरल एंट्री पर मोदी सरकार की चिट्ठी ये दर्शाती है कि तानाशाही सत्ता के अहंकार को संविधान की ताकत ही हरा सकती है।'
'आरक्षण छीनने के नए हथकंडे अपनाती रहेगी भाजपा'
उन्होंने दावा किया, 'राहुल गांधी, कांग्रेस और ‘इंडिया’ गठबंधन के घटक दलों की मुहिम से सरकार एक क़दम पीछे हटी है, पर जब तक भाजपा-आरएसएस सत्ता में है, वो आरक्षण छीनने के नए-नए हथकंडे अपनाती रहेगी। हम सबको सावधान रहना होगा।' खड़गे ने कहा, 'बजट में मध्यम वर्ग पर किया गया दीर्घकालिक पूंजीगत लाभ/इंडेक्शेसन वाला प्रहार हो, या वक़्फ़ विधेयक को जेपीसी के हवाले करना हो, या फिर प्रसारण विधेयक को ठंडे बस्ते में डालना हो - जनता और विपक्ष की ताक़त देश को मोदी सरकार से बचा रही है।
'विपक्ष के नेताओं और अन्य लोगों की आलोचना का असर'
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने जितेंद्र सिंह द्वारा यूपीएससी प्रमुख को लिखे गए पत्र का हवाला देते हुए ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, 'एक नॉन-बायोलॉजिकल प्रधानमंत्री के अधीन काम करने वाले एक केंद्रीय मंत्री का एक संवैधानिक प्राधिकारी को बिना तारीख के एक पत्र। यह कैसा दयनीय शासन है।' उन्होंने कहा, 'फिर भी, यह (लेटरल एंट्री के विज्ञापन का निरस्त होना) स्पष्ट रूप से लोकसभा और राज्यसभा दोनों में विपक्ष के नेताओं और अन्य लोगों की आलोचना का प्रभाव है।'
‘लेटरल एंट्री’ सीधी भर्ती की प्रक्रिया है जिसके माध्यम से विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञों की केंद्र सरकार के मंत्रालयों एवं विभागों में कुछ निश्चित समय के लिए नियुक्ति की जाती है। ये भर्तियां सामान्यत: संयुक्त सचिव, निदेशक और उप सचिव के पदों पर की जाती हैं। केंद्र सरकार ने ‘लेटरल एंट्री’ के माध्यम से 45 विशेषज्ञों की विभिन्न केंद्रीय मंत्रालयों में संयुक्त सचिव, निदेशक और उपसचिव जैसे प्रमुख पदों पर नियुक्ति करने की घोषणा की थी।
आमतौर पर ऐसे पदों पर अखिल भारतीय सेवाओं-भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस), भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) और भारतीय वन सेवा (आईएफओएस) और अन्य ‘ग्रुप ए’ सेवाओं के अधिकारी तैनात किए जाते हैं।
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