PoK पर मोदी सरकार लेने जा रही है बड़ा फैसला, इसी सत्र में पेश हो सकता है संसद में बिल

Pakistan Occupied Kashmir: नेशनल कॉन्फ्रेंस (नेकां) और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) ने कहा है कि उन्हें कश्मीरी प्रवासियों और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) के विस्थापित लोगों को विधानसभा में आरक्षण देने से कोई परेशानी नहीं है, लेकिन जिस तरह से उनके लिए आरक्षण की व्यवस्था की जा रही है, उससे वे असहमत हैं।

Pakistan Occupied Kashmir को लेकर मोदी सरकार एक बड़ा कदम उठाने जा रही है। Jammu and Kashmir Assembly में पीओके और कश्मीरी पंडितों के लिए सीटें रिजर्व की जाएंगी। कहा जा रहा है कि मोदी सरकार संसद के मॉनसून सत्र में जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) बिल 2023 लाने पर विचार कर रही है।

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क्यों दिया जा रहा आरक्षण

इस बिल में कश्मीरी पंडितों के विस्थापितों के लिए दो सीटें और जम्मू-कश्मीर विधानसभा में नामांकन के आधार पर पीओके से विस्थापितों के लिए एक सीट रिजर्व की जाएगी। ये आरक्षण "उनके राजनीतिक अधिकारों के साथ-साथ उनके समग्र सामाजिक और आर्थिक विकास के संरक्षण के लिए" किया जा रहा है।

एलजी के पास अधिकार

इन सदस्यों को केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल द्वारा नामित किया जाएगा। गौरतलब है कि हालिया परिसीमन प्रक्रिया के बाद जम्मू-कश्मीर विधानसभा में सीटों की संख्या 107 से बढ़कर 114 हो गई है, जिसमें नौ सीटें अनुसूचित जनजाति (एसटी) के लिए आरक्षित हैं।

विपक्ष का विरोध

नेशनल कॉन्फ्रेंस (नेकां) और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) ने कहा है कि उन्हें कश्मीरी प्रवासियों और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) के विस्थापित लोगों को विधानसभा में आरक्षण देने से कोई परेशानी नहीं है, लेकिन जिस तरह से उनके लिए आरक्षण की व्यवस्था की जा रही है, उससे वे असहमत हैं। दोनों दलों ने कहा कि विधानसभा में आरक्षित सीटों के लिए सदस्यों को मनोनीत करने की शक्ति निर्वाचित सरकारके पास होनी चाहिए न कि उपराज्यपाल (एलजी) के पास।

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