FDI In Space: मोदी सरकार ने अंतरिक्ष में एफडीआई नियमों को बनाया और उदार, उपग्रहों के उपकरण में 100% विदेशी निवेश की अनुमति
FDI In Space: सरकार ने अंतरिक्ष क्षेत्र में विदेशी एवं निजी कंपनियों को आकर्षित करने के प्रयासों के तहत बुधवार को उपग्रहों के उपकरण बनाने में 100 प्रतिशत विदेशी निवेश की अनुमति देकर अंतरिक्ष क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) मानदंडों को आसान बना दिया।

सरकार ने अंतरिक्ष क्षेत्र में एफडीआई नियमों को उदार बनाया
FDI In Space: मोदी सरकार ने अंतरिक्ष के क्षेत्र में विकास के लिए एक बड़ा कदम उठाया है। सरकार ने स्पेस सेक्टर में एफडीआई के नियमों में ढील देते हुए बड़े निवेश का रास्ता खोल दिया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने अंतरिक्ष क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) नीति में संशोधन को मंजूरी दे दी। सरकार ने अंतरिक्ष क्षेत्र में विदेशी एवं निजी कंपनियों को आकर्षित करने के प्रयासों के तहत बुधवार को उपग्रहों के उपकरण बनाने में 100 प्रतिशत विदेशी निवेश की अनुमति देकर अंतरिक्ष क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) मानदंडों को आसान बना दिया।
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मोदी सरकार ने क्या-क्या बदलाव किए
आधिकारिक बयान के मुताबिक, अंतरिक्ष के उपग्रह उप-क्षेत्र को तीन अलग-अलग गतिविधियों में विभाजित किया गया है। इसके अलावा हरेक क्षेत्र के लिए विदेशी निवेश की सीमा भी अलग-अलग तय की गयी है। वर्तमान में अंतरिक्ष क्षेत्र में 100 प्रतिशत तक की एफडीआई की अनुमति है। यह अनुमति सरकार की मंजूरी से उपग्रह स्थापना और परिचालन के लिए मिली हुई है। इस नीति में किए गए बदलाव के तहत सरकार ने उपग्रह विनिर्माण और परिचालन, उपग्रह से मिलने वाले आंकड़ों जैसे क्षेत्रों में स्वत: मार्ग से 74 प्रतिशत तक एफडीआई की मंजूरी दी है। इन क्षेत्रों में इस सीमा से अधिक के निवेश के लिए सरकार से मंजूरी लेनी होगी।
क्या होगा फायदा
प्रक्षेपण वाहनों और संबंधित प्रणालियों एवं उप प्रणालियों, अंतरिक्ष यान को प्रक्षेपित करने और उसकी वापसी के लिए ‘स्पेसपोर्ट’ के निर्माण को लेकर स्वचालित मार्ग से 49 प्रतिशत तक एफडीआई की अनुमति दी गयी है। इससे अधिक एफडीआई के लिए सरकार की मंजूरी की आवश्यकता होगी। इसके अलावा, उपग्रहों और ग्राउंड एवं उपयोगकर्ता खंड के लिए उपकरणों और प्रणालियों एवं उप-प्रणालियों के निर्माण के लिए स्वचालित मार्ग के तहत 100 प्रतिशत तक विदेशी निवेश की अनुमति दी गयी है। बयान के मुताबिक, अंतरिक्ष क्षेत्र में निजी भागीदारी बढ़ने से नौकरियों के सृजन, आधुनिक प्रौद्योगिकी को अपनाने और क्षेत्र को आत्मनिर्भर बनाने में मदद मिलेगी।
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