मोदी कैबिनेट की मंजूरी के बाद वन नेशन-वन इलेक्शन पर जल्द बिल लाएगी सरकार, शीतकालीन सत्र में हो सकता है पेश
One Nation One Election: रामनाथ कोविंद के नेतृत्व वाली समिति की रिपोर्ट सुझाव दिए गए हैं कि देश में लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराने चाहिए। इसके बाद 100 दिन के भीतर एक साथ स्थानीय निकाय चुनाव कराने की सिफारिश की गयी।

एक राष्ट्र, एक चुनाव।
One Nation One Election: वन नेशन-वन इलेक्शन के प्रस्ताव को केंद्रीय कैबिनेट से मंजूरी के बाद मोदी सरकार इसे मौजूदा कार्यकाल में ही लागू करने की तैयारी कर रही है। ऐसी चर्चा है कि सरकार जल्द इससे जुड़ा बिल ला सकती है। अगर सबकुछ ठीक रहा तो नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार इस बिल को संसद के शीतकालीन सत्र में पेश कर सकती है।
बता दें, मोदी सरकार ने अपने दूसरे कार्यकाल के दौरान 'वन नेशन वन इलेक्शन' को लेकर एक कमेटी बनाई थी। इस कमेटी का अध्यक्षता पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को बनाया था। पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता वाली समिति ने लोकसभा चुनाव की घोषणा से पहले मार्च में रिपोर्ट सौंपी थी, जिसके बाद यह रिपोर्ट बुधवार को केंद्रीय मंत्रिमंडल के समक्ष पेश की गयी।
2029 से एक साथ चुनाव कराने की हो सकती है सिफारिश
सूत्रों ने बताया कि विधि आयोग सरकार के तीन स्तरों - लोकसभा, राज्य विधानसभाओं और नगर पालिकाओं तथा पंचायतों जैसे स्थानीय निकायों के लिए 2029 से एक साथ चुनाव कराने और त्रिशंकु सदन जैसे मामलों में एकता सरकार बनाने के प्रावधान की सिफारिश कर सकता है।
लोकसभा-विधानसभा चुनाव एक साथ कराने का सुझाव
बताया जा रहा है कि रामनाथ कोविंद के नेतृत्व वाली समिति की रिपोर्ट सुझाव दिए गए हैं कि देश में लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराने चाहिए। समिति ने लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के लिए एक साथ चुनाव कराने की सिफारिश की थी, जिसके बाद 100 दिन के भीतर एक साथ स्थानीय निकाय चुनाव कराने की सिफारिश की गयी। समिति ने सिफारिशों के क्रियान्वयन पर नजर रखने के लिए एक क्रियान्वयन समूह गठित करने का भी प्रस्ताव दिया था। उसने कहा था कि एक साथ चुनाव कराने से संसाधनों को बचाने, विकास और सामाजिक एकजुटता को बढ़ावा देने, लोकतंत्र की नीव को मजबूत करने और भारत की आकांक्षाओं को साकार करने में मदद मिलेगी। समिति ने भारत के निर्वाचन आयोग द्वारा राज्य निर्वाचन प्राधिकारियों से विचार-विमर्श कर एक साझा मतदाता सूची और मतदाता पहचान पत्र बनाने की भी सिफारिश की।
18 संवैधानिक संशोधनाें की सिफारिश
समिति ने 18 संवैधानिक संशोधनों की सिफारिश की, जिनमें से अधिकांश को राज्य विधानसभाओं द्वारा अनुसमर्थन की आवश्यकता नहीं होगी। हालांकि, इसके लिए कुछ संविधान संशोधन विधेयकों की आवश्यकता होगी जिन्हें संसद द्वारा पारित करने की जरूरत होगी। एक मतदाता सूची और एक मतदाता पहचान पत्र के संबंध में कुछ प्रस्तावित परिवर्तनों के लिए कम से कम आधे राज्यों द्वारा अनुसमर्थन की आवश्यकता होगी। इसके अलावा, विधि आयोग भी एक साथ चुनाव कराने पर अपनी रिपोर्ट जल्द ही पेश कर सकता है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी एक साथ चुनाव कराने के प्रबल समर्थक रहे हैं।
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