Watch Video : 1992 में जब मोदी ने आतंकियों को था ललकारा, संसद में दिखा फिर वही अंदाज

Narendra Modi speech: साल 2015 में सत्ता आने के बाद मोदी सरकार ने जम्मू-कश्मीर में शांति बहाली के लिए ठोस एवं निरंतर प्रयास किए। आतंकवादियों पर नकेस कसने के लिए सुरक्षाबलों को खुली छूट दी गई। सेना के ऑपरेशन ऑल आउट में आतंकवादी संगठनों के सभी बड़े कमांडर एवं आतंकी मारे गए।

लोकसभा में पीएम मोदी ने अपनी 1992 की स्पीच को याद किया।

Narendra Modi speech: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का पुराना अंदाज एक बार फिर संसद में देखने को मिला। राष्ट्रपति के अभिभाषण पर हुई चर्चा का बुधवार को लोकसभा में जवाब देते हुए उन्होंने 1992 की अपनी उस स्पीच का जिक्र किया जिसमें उन्होंने आतंकवादियों को खुली चुनौती दी थी। जम्मू-कश्मीर के हालात पर विपक्ष के सदस्यों ने अपनी बात रखी थी। इसी चर्चा का जवाब देते हुए प्रधानमंत्री ने श्रीनगर के लाल चौक पर तिरंगा फहराने की घटना का जिक्र किया और तबके और आज के जम्मू कश्मीर के हालात का अंतर बताया। पीएम ने कहा कि अब जम्मू-कश्मीर शांति का माहौल है और लोग वहां सैकड़ों की संख्या में पर्यटन के लिए जा सकते हैं।

अलगाववादी दूर-दूर तक नजर नहीं आ रहे

उन्होंने कहा, 'जम्मू कश्मीर में शांति आ गई है, वहां सैकड़ों की संख्या में लोग जा सकते हैं। पर्यटन की दुनिया में कई दशकों बाद जम्मू कश्मीर ने रिकॉर्ड तोड़े हैं। जम्मू कश्मीर में आज लोकतंत्र का उत्सव मनाया जा रहा है। हर घर तिरंगा अभियान के सफल कार्यक्रम होते हैं। कुछ लोग थे जो यह कहते थे कि तिरंगे की वजह से उन्हें शांति बिगड़ने का खतरा लगता था। वक्त देखिए अब वो भी तिरंगा यात्रा में शरीक हो गए। श्रीनगर के अंदर दशकों बाद सिनेमाघर हाउस फुल चल रहे हैं और अलगाववादी दूर-दूर तक नजर नहीं आ रहे हैं।

1992 की एकता यात्रा में क्या कहा था'आतंकवादियों ने लाल चौक पर पोस्टर लगाए हैं...दीवारों पर लिखा है..जिसने अपनी मां का दूध पिया हो..वो श्रीनगर के लाल चौक पर आए। यहां आकर भारत का तिरंगा झंडा फहराए। अगर वह लौटकर जिंदा चला गया तो आतंकवादी उसे इनाम देंगे। आतंकवादी कान खोलकर सुन लें..26 जनवरी तो परसों है...चंद घंटे बाकी हैं। लाल चौक पर फैसला हो जाएगा किसने अपनी मां का दूध पिया है।'

लोकसभा में 1992 के वक्त को याद कियायहां जम्मू कश्मीर की भी चर्चा हुई। आप अभी-अभी जम्मू-कश्मीर घूमकर आए। आपने देखा होगा कि आप कितने आन-बान और शान के साथ जम्मू-कश्मीर घूम सकते हो। आदरणीय अध्यक्ष जी ..पिछली शताब्दी के उत्तरार्ध में मैं भी जम्मू कश्मीर में यात्रा लेकर गया था और लाल चौक पर तिरंगा फहराने का संकल्प लेकर चला था। तब आतंकवादियों ने पोस्टर लगाए थे। कहा था देखते हैं किसने अपनी मां का दूध पिया है जो लाल चौक पर आकर तिरंगा फहराता है और उस दिन 24 जनवरी थी। मैंने जम्मू के अंदर भरी सभा में कहा था। तब मैंने कहा था आतंकवादी कान खोनकर सुन लें...26 जनवरी को ...ठीक 11 बजे मैं लाल चौक पहुंचूंगा...बिना सुरक्षा और बुलेटप्रूफ जैकेट के आऊंगा...फैसला लाल चौक पर होगा किसने अपनी मां का दूध पिया है।

बदल गया है जम्मू-कश्मीरसाल 2015 में सत्ता आने के बाद मोदी सरकार ने जम्मू-कश्मीर में शांति बहाली के लिए ठोस एवं निरंतर प्रयास किए। आतंकवादियों पर नकेस कसने के लिए सुरक्षाबलों को खुली छूट दी गई। सेना के ऑपरेशन ऑल आउट में आतंकवादी संगठनों के सभी बड़े कमांडर एवं आतंकी मारे गए। सुरक्षाबलों ने आतंकवादियों की कमर तोड़ दी। साथ ही कश्मीरी युवकों को बरगलाकर उन्हें दहशतर्गी के रास्ते पर धकेलने एवं पत्थर फेंकने के लिए उन्हें उकसाने वालों अलगाववादियों पर नकेल कसा। आज सभी अलगाववादी सलाखों के पीछे हैं। अनुच्छेद 370 की आड़ में आतंकवाद को प्रश्रय एवं संरक्षण मिलता था।

घाटी में अब अमन और शांतिमोदी सरकार ने पांच अगस्त 2019 को इस अनुच्छेद को भी खत्म कर दिया। जम्मू कश्मीर को विकास की मुख्य धारा से जोड़ने के लिए विकास की नई परियोजनाएं चलाई गईं। स्थानीय युवकों को सरकारी नौकरी एवं रोजगार से जोड़ा गया। सरकार के इन कदमों से घाटी में शांति एवं अमन चैन का माहौल बना है। देश और दुनिया से भारी संख्या में पर्यटक कश्मीर घूमने आने लगे हैं। पर्यटन ने यहां कई वर्षों का रिकॉर्ड तोड़ दिया है।

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