मोहम्मद फैजल की सांसदी पर खतरा बरकरार, सुप्रीम कोर्ट की लटकी तलवार
Lakshdweep MP Mohammed Faizal:लक्षद्वीप के सांसद मोहम्मद फैजल की अयोग्यता मामले में और चुनावी खर्च को लेकर केरल हाईकोर्ट की चिंता को सुप्रीम कोर्ट ने गैरजरूरी माना है।
सुप्रीम कोर्ट
- केरल हाईकोर्ट की कुछ टिप्पणियों पर सुप्रीम कोर्ट हैरान
- सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कुछ टिप्पणियों का अर्थ नहीं
- लक्षद्वीप एमपी फैजल पर थी सुनवाई
क्या कहा था केरल उच्च न्यायालय ने?
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केरल हाईकोर्ट के जज बेचू कुरियन थॉमस ने 25 जनवरी के अपने आदेश में कहा था कि‘महंगी चुनावी प्रक्रिया को देखते हुए अगर सांसद को बचे हुए कार्यकाल तक पद पर बने रहने दिया जाए तो ये सामाजिक हित में होगा। अगले डेढ़ साल में मौजूदा लोकसभा का कार्यकाल खत्म हो रहा है, ऐसे में उपचुनाव को टाला जा सकता है। चुनाव में होने वाली भारी खर्चे और राजनीति को अपराधमुक्त करने के बीच एक संतुलन बनाना जरूरी है।’
शिकायतकर्ता की चोट को मामूली मानने पर नाखुशी जताई
सुप्रीम कोर्ट ने मोहम्मद फैजल के खिलाफ हत्या की कोशिश का मुकदमा दर्ज कराने वाले शिकायतकर्ता को आई 16 चोटों को भी गंभीरता से लिया है। इन चोटों का इलाज करने वाले डॉक्टर ने अपने बयान में कहा था कि अगर समय से इलाज न मिलता तो शिकायतकर्ता की जान बचाना मुश्किल होता। इस मामले में शिकायकर्ता को जिस पर मोहम्मद फैजल ने जानलेवा हमला किया था, उसे एयरलिफ्ट करके अस्पताल पहुंचना पड़ा था। सुप्रीम कोर्ट ने केरल हाईकोर्ट द्वारा शिकायतकर्ता को आई चोटों को मामूली बताने पर भी नाखुशी जताई। चोटों को मामूली मानकर ही केरल उच्च न्यायालय ने मोहम्मद फैजल की दोषसिद्धि पर रोक लगाई है।
गवाहों के बयान पेश करे लक्षद्वीप प्रशासन
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने लक्षद्वीप प्रशासन को निर्देश दिया कि हत्या की कोशिश के मुकदमे से जुड़े सभी गवाहों के बयान अगली सुनवाई में पेश किए जाएं। मोहम्मद फैजल को हत्या के प्रयास के मामले में ही कवारत्ती की सेशन कोर्ट ने सजा सुनाई थी। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले से जुड़े तीन गवाहों के बयान( PW1, PW3,PW5) को अहम माना है। इस मामले में अगली सुनवाई 24 अप्रैल 2023 को होनी है।
क्यों दोषी करार दिए गए थे लक्षद्वीप सांसद?
2009 में दर्ज हुए हत्या के एक प्रयास के मामले में एनसीपी के नेता और लक्षद्वीप के सांसद मोहम्मद फैजल और अन्य तीन के दोषी करार देते हुए स्थानीय अदालत ने 10 साल की सजा सुनाई थी। जिसके बाद जनप्रतिनिधित्व कानून के तहत संसद सदस्यता रद्द कर दी गई। हालांकि 25 जनवरी को केरल हाईकोर्ट की सिंगल बेंच ने गवाहों के बयान और शिकायकर्ता की मामूली चोटों को आधार मानते हुए सेशन कोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी।
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टीवी न्यूज रिपोर्टिंग में 10 साल पत्रकारिता का अनुभव है। फिलहाल सुप्रीम कोर्ट से लेकर कानूनी दांव पेंच से जुड़ी हर खबर आपको इस जगह मिलेगी। साथ ही चुना...और देखें
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