मोहन भागवत का बड़ा बयान- संविधान की रचना करने वाले महान नेताओं के कारण धर्मनिरपेक्ष है भारत

राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि भारत की पांच हजार साल पुरानी संस्कृति धर्मनिरपेक्ष है। लोगों से एकजुट रहकर दुनिया के सामने मानव व्यवहार का सर्वश्रेष्ठ उदाहरण पेश करने को कहा।

आरएसएस चीफ मोहन भागवत

नई दिल्ली: राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि भारत की पांच हजार साल पुरानी संस्कृति धर्मनिरपेक्ष है और उन्होंने लोगों से एकजुट रहकर दुनिया के सामने मानव व्यवहार का सर्वश्रेष्ठ उदाहरण पेश करने का आह्वान किया। बुधवार को एक पुस्तक विमोचन कार्यक्रम को संबोधित करते हुए भागवत ने लोगों से अपनी मातृभूमि के लिए भक्ति, प्रेम और समर्पण का भाव रखने की अपील की। उन्होंने कहा कि हम अपनी मातृभूमि को हमारी राष्ट्रीय एकता का एक जरूरी हिस्सा मानते हैं।

कुछ वर्ष पहले 'घर वापसी' विवाद के दौरान पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के साथ अपनी मुलाकात का संदर्भ देते हुए भागवत ने कहा कि उन्होंने (प्रणब ने) कहा था कि भारत का संविधान धर्मनिरपेक्ष है। वह कुछ देर के लिए चुप रहे और उसके बाद कहा कि हम हमारे संविधान की वजह से ही धर्मनिरपेक्ष नहीं हैं बल्कि संविधान की रचना करने वाले महान नेताओं के कारण भी धर्मनिरपेक्ष हैं क्योंकि वे धर्मनिरपेक्ष थे।

भागवत ने पूर्व राष्ट्रपति की बातों को याद करते हुए कहा कि वह फिर क्षण भर के लिए रुके और उसके बाद कहा कि हम तभी से धर्मनिरपेक्ष नहीं हैं। हमारी पांच हजार साल पुरानी संस्कृति ही ऐसी है। संघ प्रमुख ने जोर देकर कहा कि भारत पांच हजार वर्षों से एक धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र है।

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