Moradabad 1980 Riot: मुरादाबाद 1980 दंगे की रिपोर्ट को किया जाएगा सार्वजनिक, योगी कैबिनेट का फैसला

1980 Moradabad Riots Update: उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने फैसला किया है दंगे की जांच के लिए बनी जस्टिस सक्सेना आयोग की रिपोर्ट को विधानसभा में पेश किया जाएगा।

प्रतीकात्मक फोटो

मुख्य बातें
  1. 3 अगस्त 1980 को मुरादाबाद के ईदगाह में हिंसा हुई
  2. जस्टिस सक्सेना आयोग ने मुरादाबाद दंगों की जांच की थी
  3. 43 साल में किसी सरकार ने दंगें की रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं की

उत्तर प्रदेश के मुख्मंत्री योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) वो काम करने जा रहे हैं वो उनसे पहले के 15 मुख्यमंत्री ने करने की हिम्मत नहीं दिखाई। योगी आदित्यनाथ 43 साल पहले हुए मुरादाबाद दंगे (1980 Moradabad Riots) की जांच रिपोर्ट को सार्वजनिक करने वाले हैं। कहा जा रहा हैकि ये रिपोर्ट इतनी विस्फोटक है कि इसे कोई भी मुख्यमंत्री सार्वजनिक करने की हिम्मत नहीं जुटा पाया। 1980 में जिस वक्त मुरादाबाद में दंगे हुए उस वक्त मुख्यमंत्री वीपी सिंह थे और केंद्र में इंदिरा गांधी की सरकार थी।

तत्कालीन मुख्यमंत्री वीपी सिंह ने जांच के जस्टिस सक्सेना को जिम्मा सौंपा, जस्टिस सक्सेना ने लगभग तीन साल के अंदर ही, 20 नवंबर 1983 को फाइनल रिपोर्ट जमा कर दी।

दंगा कैसे भड़का

13 अगस्त 1980 को मुरादाबाद में हुए इस दंगे में 83 लोगों की मौत हो गई थी, 112 लोग घायल हो गए थे।दरअसल उस वक्त ईद की नमाज के दौरान पथराव और हिंसा हुई जिसके बाद दंगा भड़क गया अलग अलग रिपोर्टस के मुताबिक13 अगस्त 1980 को मुरादाबाद की ईदगाह में ईद की नमाज के लिए 50 हजार से ज्यादा लोगों की भीड़ थी। भीड़ इतनी ज्यादा थी कि लोग सड़कों तक पहुंच गए। कहा जाता है कि नमाज के दौरान वहां एक सुअर घुसा और अफरातफरी मच गई। रिपोर्ट्स के मुताबिक लोगों ने जानवर के ईदगाह में घुसने पर वहां मौजूद पुलिसकर्मियों से सवाल पूछा तो उन्होंने साफ कह दिया कि जानवरों से सुरक्षा करना उनका काम नहीं है। इसके ठीक बाद भीड़ हिंसक हुई और हो गई और पुलिसवालों पर पत्थर बरसाने शुरु कर दिए।

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