मोरबी हादसे के पीड़ित परिवार ने किया सुप्रीम कोर्ट का रूख, कहा- गुजरात सरकार की जांच पर भरोसा नहीं

Morbi bridge accident : गुजरात के मोरबी हादसे के पीड़ित परिवारों ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। उनका कहना है कि उन्हें गुजरात सरकार की जांच पर भरोसा नहीं है। सीबीआई या सुप्रीम कोर्ट के रिटायर जज की कमिटी इस घटना की जांच करे।

सुप्रीम कोर्ट पहुंचे मोरबी ब्रिज हादसे के परिवार

Morbi bridge accident : गुजरात के मोरबी जिले में पुल टूटने से हुए हादसे में जान गंवाने वाले मृतकों के परिवार में पहली बार सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिका में हादसे की जांच सीबीआई या सुप्रीम कोर्ट के रिटायर जज की अध्यक्षता वाली जांच कमेटी कराने की मांग की गई है। अहमदाबाद के रहने वाले दिलीपभाई चावड़ा ने ये याचिका दाखिल की है जिनके भाई और पत्नी की बहन की जान इस दुःखद हादसे में चली गई।

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याचिकाकर्ता ने दलील दी है कि दिसंबर के पहले हफ्ते में गुजरात में विधानसभा चुनाव हैं, इसलिए उन्हें इस बात की संभावना कम लगती है कि जांच निष्पक्ष होगी। याचिका में मृतकों के परिवारवालों को मुआवजे के नाम पर सिर्फ 2 लाख देने का मुद्दा भी उठाया गया है। दलील दी गई है यही गुजरात सरकार खिलाड़ियों को 5 करोड़ तक की इनामी राशि दे चुकी है, इसलिए मृतकों के परिवार वालों को सम्मानजनक राशि मुआवजे के तौर पर दी जाए, ताकि वो आगे का जीवन जी सके।

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टाइम्स नाउ नवभारत के पास इस याचिका की कॉपी मौजूद है जिसके जरिए मोरबी के पुल के रखरखाव के लिए ओरेवा कंपनी को दिए गए ठेके पर भी कई सवाल खड़े किए गए हैं। न्यूज रिपोर्ट के हवाले से कहा गया है कि न ही ओरेवा कंपनी को इस तरह के काम का अनुभव था और कंपनी ने पुल की मरम्मत में भ्रष्टाचार किया। जबकि कंपनी के चेयरमैन जयसुख पटेल ने हादसे से पहले 24 अक्टूबर को ये दावा किया था कि मरम्मत के बाद ये पुल अगले 10 साल तक इस्तेमाल के लायक रहेगा। याचिका में गुजरात पुलिस द्वारा बिना नाम की एफआईआर दर्ज करने पर सवाल खड़े किए गए हैं। कहा गया है कि ये जांच को भटकाने और दोषी लोगों को बचाने का एक तरीका है।

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