मोदी को 43 साल पहले मोरबी से मिली थी नई पहचान,फिर वैसा ही मंजर,सख्त कार्रवाई लगाएगी मरहम
Morbi Cable Bridge Accident: 43 साल पहले 11 अगस्त 1979 को मोरबी में बाढ़ ने भारी तबाही मचाई थी। उस दिन भारी बारिश के कारण मच्छु नदी उफान पर थी। और उस पर बना बांध, दोपहर में टूट गया था। इस हादसे में कम से कम 1800 जानें गईं थी। जबकि अधिकतम आंकड़ा 25 हजार तक होने की आशंका जताई गई थी।
मुख्य बातें
- आरएसएस ने नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में मोरबी में राहत कार्य का काम किया था।
- उस वक्त सरकारी तंत्र राहत कार्य में फेल हो रहा था, और आरएसएस के काम से गुजरात में उसकी पैठ बढ़ी।
- साल 2017 के चुनाव में नरेंद्र मोदी ने इंदिरा गांधी के बहाने कांग्रेस पर निशाना साधा था।
Morbi Cable Bridge Accident:गुजरात के मोरबी में मच्छू नदी का केबल ब्रिज गिरने से मरने वालों की संख्या, 141 तक पहुंच चुकी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अब मोरबी जाने वाले हैं। और वह राहत कार्यों का जायजा लेने के साथ दूसरी जरूरी पहलुओं की भी समीक्षा करेंगे। मोरबी का हादसा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए बड़ी चुनौती लेकर आया है। क्योंकि एक तो यह हादसा उनके गृह राज्य में हुआ है, दूसरा हादसे की सबसे बड़ी वजह नियमों की अनदेखी है। यानी कंपनी और अधिकारियों की लापरवाही के कारण 141 लोगों को अकाल मौत का सामना करना पड़ा। ऐसे में दोषी लोगों पर सख्त कार्रवाई की उम्मीद पीड़ित परिवार के लोगों से लेकर देश के दूसरे लोग भी कर रहे हैं। संबंधित खबरें
प्रधानमंत्री नरेंद्र का मोरबी से खास नाता भी है। यह वहीं शहर है जिसने आज से 43 साल पहले नरेंद्र मोदी को एक नई पहचान दिलाई थी। उस समय भी एक त्रासदी हुई थी। जो कि केबल पुल हादसे से भी कहीं ज्यादा भयावह थी। और उस मौके पर राष्ट्रीय स्वयंस संघ के प्रचारक के रूप में नरेंद्र मोदी ने जो काम किया, उससे उनको सार्वजनिक जीवन में बड़ी पहचान मिली।संबंधित खबरें
1979 में क्या हुआ थासंबंधित खबरें
हादसे के समय आरएसएस के पूर्णकालिक प्रचारक नरेंद्र मोदी, वरिष्ठ नेता नानाजी देशमुख के साथ चेन्नई में थे। खबर मिलने के बाद 29 साल के मोदी गुजरात पहुंचे और आरएसएस ने उनके नेतृत्व में मोरबी में राहत कार्य का काम शुरू किया। जिस तरह राहत काम मोदी के नेतृत्व में आरएसएस द्वारा किया गया। उससे राज्य में आरएसएस की स्वीकार्यता भी बढ़ी और पहली बार नरेंद्र मोदी को सार्वजनिक तौर पर नई पहचान बनी। और उस दौरान आरएसएस द्वारा किए गए काम का मोदी ऑर्काइव्स में उल्लेख किया गया है। इसके लिए देश के प्रतिष्ठित अखबारों में भी जगह मिली।संबंधित खबरें
1979 में टाइम्स ऑफ इंडिया अखबार में छपी रिपोर्ट
2017 में इंदिरा गांधी पर मोदी ने उठाए थे सवालसंबंधित खबरें
मोरबी का हादसा गुजरात और नरेंद्र मोदी के लिए इतना अहम था, कि उसके 28 साल बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साल 2017 में एक चुनावी रैली में इंदिरा गांधी के बहाने राहुल गांधी पर निशाना साधा था। उन्होंने मोरबी में चुनावी रैली के दौरान, एक मैगजीन चित्रलेखा का उल्लेख करते हुए कहा था कि मच्छू बांध टूटने के बाद राहत कार्य के दौरान राहुल गांधी की दादी इंदिराबेन मुंह पर रूमाल डाले दुर्गंध और गंदगी से बच रही थीं। जबकि, संघ के कार्यकर्ता कीचड़ व गंदगी में घुस कर सेवाभाव से काम कर रहे थे। जो कि मानवता की महक थी।संबंधित खबरें
गुजरात चुनाव सिर पर भाजपा की बढ़ी मुश्किलसंबंधित खबरें
मोरबी केबल पुल हादसा, ऐसे समय हुआ है जब गुजरात में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। हादसे के बाद सियासत भी तेज हो गई है। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल को हटाने की मांग कर डाली है। ऐसे में देखना होगा कि भाजपा चुनाव के समय इस नई चुनौती से कैसे निपटती है। और कितनी जल्द दोषियों को सजा दिलाकर गुजरात सरकार एक सख्त संदेश देने में कामयाब होती है।संबंधित खबरें
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प्रशांत श्रीवास्तव author
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