दुनिया में सबसे ज्यादा 'बालिका वधू' भारत में, 8 राज्यों में बुरा हाल, सीधे होता है ये नुकसान

Child Marriage in India: भारत में दुनिया के एक तिहाई बालिका वधू हैं। ऐसे में बाल विवाह को खत्म करना अभी भी चुनौती बना हुआ है। इसमें भी देश के 8 राज्य ऐसे हैं, जहां पर बाल विवाह के सबसे ज्यादा मामले सामने आते हैं। भारत में 20-24 साल की उम्र की 23.3 फीसदी लड़कियां ऐसी हैं, जिनका विवाह 18 साल से कम उम्र में हो जाता है।

प्रतीकात्मक तस्वीर: भारत में बाल विवाह

मुख्य बातें
  • भारत में पिछले 17 साल में बाल विवाह के मामले तेजी से घटे हैं।
  • 15-19 साल में 53 फीसदी लड़कियां मां बन गई ।
  • UNFPA-UNICEF भारत सहित 12 देशों में चला रखा है विशेष कार्यक्रम

Children Day and Child Marriage in India: देश भर में बच्चों के सुनहरे भविष्य के लिए 14 नवंबर को बाल दिवस मनाया जाता है। लेकिन एक हकीकत यह भी है कि भारत में हर साल करीब 15 लाख (UNICEF REPORT-2016) बच्चियों का बाल विवाह हो जाता है। यानी जब उन्हें पढ़ना चाहिए, अपने करियर पर फोकस करना चाहिए, उस दौरान वह विवाह के बंधन में बंध जाती है। भारत में दुनिया के एक तिहाई बालिका वधू हैं। ऐसे में बाल विवाह को खत्म करना अभी भी चुनौती बना हुआ है। इसमें भी देश के 8 राज्य ऐसे हैं, जहां पर बाल विवाह के सबसे ज्यादा मामले सामने आते हैं। इसमें पश्चिम बंगाल, बिहार और त्रिपुरा टॉप-3 में हैं। वहीं धर्म के आधार पर देखा जाय तो सबसे ज्यादा बाल विवाह मुस्लिम समुदाय में होते हैं। उसके बाद हिंदू समुदाय के लोगों में बाल विवाह किए जाते हैं। भारत में लड़कियों के लिए विवाह की न्यूनतम उम्र 18 साल और लड़कियों के लिए 21 साल तय है। ऐसे में तय न्यूनतम उम्र सीमा से कम उम्र में विवाह बाल विवाह कहलाता है।

संयुक्त राष्ट्र संघ के संगठन यूनीसेफ द्वारा नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे-5 (NFHS-5)के आधार पर तैयार की गई रिपोर्ट के अनुसार, भारत में 20-24 साल की उम्र की 23.3 फीसदी लड़कियां ऐसी हैं, जिनका विवाह 18 साल से कम उम्र में हो जाता है। वहीं 25-29 साल के 17.7 फीसदी लड़के ऐसे हैं, जिनका विवाह 21 साल से पहले कर दिया जाता है।

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