मां हीराबेन का पुत्र नरेंद्र को अंतिम सबक,ऐसे जीना जीवन

Narendra Modi Mother Heeraben last Lesson: पीएम नरेंद्र मोदी ने ट्वीट करते हुए लिखा है कि मैं जब उनसे 100वें जन्मदिन पर मिला तो उन्होंने एक बात कही थी, जो हमेशा याद रहती है। इसके अलावा मोदी का असर उनके जीवन पर हमेशा रहा है।

narendra modi and mother lesson

मां हीराबेन ने नरेंद्र मोदी का दिया ये सबक

Narendra Modi Mother Heeraben last Lesson:प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मां हीराबेन का अंतिम संस्कार हो गया है। प्रधानमंत्री वापस रवाना भी हो गए हैं। इस बीच सुबह 6 बजे उन्होंने एक ट्वीट किया । जिसमें उन्होंने अपनी मां के उस सबक को बताया है, जो उन्हें बीते जून में मां हीरा बेन के जन्मदिन के मौके पर मिला था। शायद यह सबक पीएम मोदी के लिए अपनी मां की आखिरी सबक था। लेकिन उस सबक में ही जीवन का निहितार्थ है।

ये था सबक

पीएम नरेंद्र मोदी ने ट्वीट करते हुए लिखा है कि मैं जब उनसे 100वें जन्मदिन पर मिला तो उन्होंने एक बात कही थी, जो हमेशा याद रहती है। काम करो बुद्धि से और जीवन जियो शुद्धि से।

मोदी के इस ट्वीट से साफ है कि उनकी मां हीराबेन जीवन को किस तरह देखती थी। इस सबक में साफ है कि इंसान को हमेशा बुद्धि का इस्तेमाल करना चाहिए और जीवन सच्चरित्र होना चाहिए। क्योंकि ऐसा होने से इंसान शुद्धि से जीवन जी सकता है।

सुबह 4 बजे उठना और खुद सारे काम

नरेंद्र मोदी अक्सर यह कहते रहे हैं कि उनकी मां इस उम्र में भी अपना सारा काम खुद करती थीं। हीरा बेन अनाज पीसने से लेकर चावल-दाल छानने तक का सारा काम खुद करती थी। हीरा बेन अपने ससुराल में सबसे बड़ी बहू थीं। ससुराल की पूरी जिम्मेदारी उनके कंधों पर थी।

गांव की डॉक्टर थीं

हीरा बेन को गांव की डॉक्टर भी थी। ऐसे में लोग उन्हें देसी मां कहा करते थे। मोदी लिखते हैं कि भले ही वह कभी स्कूल नहीं गई, लेकिन वह हमारे गांव की डॉक्टर थी। कड़ी मेहनत और देसी नुस्खों के दम पर ही उन्होंने अपनी उम्र के 100 साल पूरे किए।

छत से टपकते पानी तक का इस्तेमाल कर लेतीं थी

डेढ़ कमरे के घर की छत को दुरुस्त करने के लिए वो खुद छत की मरम्मत करती थीं। लेकिन जब इतनी कोशिशों के बाद भी छत का टपकना बंद नहीं होता था वो उस जगह पर बर्तन रख देती थीं और उस पानी का इस्तेमाल घर के कार्यों के लिए करती थीं।

सफाई का बेहद ध्यान

पीएम मोदी ने अपनी ब्लॉग में लिखा था कि वह बिस्तर पर धूल का एक कण भी बर्दाश्त नहीं करती थी। हल्की सी सिलवट का मतलब था कि चादर को झाड़ा जाएगा और फिर से बिछाया जाएगा। वह हमेशा इस बात का ध्यान रखती थीं कि घर में साफ-सफाई एक दम दुरूस्त हो। मोदी ने यह भी लिखा था कि मैं जब भी उनसे मिलने गांधीनगर जाता हूं तो वह मुझे अपने हाथों से मिठाई खिलाती हैं।

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प्रशांत श्रीवास्तव author

करीब 17 साल से पत्रकारिता जगत से जुड़ा हुआ हूं। और इस दौरान मीडिया की सभी विधाओं यानी टेलीविजन, प्रिंट, मैगजीन, डिजिटल और बिजनेस पत्रकारिता में काम कर...और देखें

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