MBBS अब Hindi Medium में: सरकार ने 'सिस्टम' कर दिया तैयार, HM शाह देंगे सौगात; जानें- क्या मिलेगी सहूलियत?

MBBS in Hindi Medium: वैसे, यह कार्यक्रम ऐसे समय पर प्रस्तावित है, जब दो दक्षिण भारतीय सूबों के सीएम ने हिंदी भाषी राज्यों और अन्य क्षेत्रीय भाषाओं में प्रमुख संस्थानों में शिक्षा के माध्यम के तौर पर हिंदी को नियोजित करने के एक कथित कदम (आधिकारिक भाषा के लिए बनी संसदीय कमेटी, जिसके अध्यक्ष अमित शाह हैं) के खिलाफ अपनी आवाज उठाई थी।

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तस्वीर साभार : टाइम्स नाउ ब्यूरो
MBBS in Hindi Medium: बैचलर ऑफ मेडिसिन एंड बैचलर ऑफ सर्जरी (एमबीबीएस) की पढ़ाई अब आप हिंदी माध्यम से कर सकेंगे। ऐसा इसलिए, क्योंकि इसके सिलेबस की किताबें हिंदी में आने वाली हैं। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह 16 अक्टूबर, 2022 को मध्य प्रदेश के भोपाल में एमबीबीएस के फर्स्ट ईयर पाठ्यक्रम की हिंदी किताबों को लॉन्च करेंगे।
अंग्रेजी अखबार 'दि हिंदू' की रिपोर्ट के मुताबिक, फिलहाल हिंदी माध्यम का विकल्प सिर्फ म.प्र में मिलेगा और वहां यह चीज होने के साथ यह भारत का पहला ऐसा राज्य बन जाएगा, जहां हिंदी में मेडिकल शिक्षा मुहैया कराई जाएगी।
राज्य के मेडिकल एजुकेशन मंत्री विश्वास सारंग ने मेडिकल बायोकेमिस्ट्री, मेडिकल फिजियोलॉजी, एनाटॉमी की किताबों के हिंदी वर्जन को लेकर बताया कि इन्हें पिछले आठ से नौ महीनों में 97 डॉक्टरों की कमेटी ने मिलकर तैयार किया है।
मंत्री की ओर से यह भी बताया गया कि हर किसी ने शुरुआत में इस फैसले का स्वागत नहीं किया था। कुछ एक्सपर्ट्स ने विरोध जताते हुए कहा था कि यह संभव नहीं है, जबकि कुछ अन्य का मानना था कि बच्चों को प्रतियोगी लाभ नहीं मिल पाएगा।
वैसे, यह कार्यक्रम ऐसे समय पर प्रस्तावित है, जब दो दक्षिण भारतीय सूबों के सीएम ने हिंदी भाषी राज्यों और अन्य क्षेत्रीय भाषाओं में प्रमुख संस्थानों में शिक्षा के माध्यम के तौर पर हिंदी को नियोजित करने के एक कथित कदम (आधिकारिक भाषा के लिए बनी संसदीय कमेटी, जिसके अध्यक्ष अमित शाह हैं) के खिलाफ अपनी आवाज उठाई थी।
हालांकि, सीएम शिवराज सिंह चौहान का मानना है कि इस पहल से लोगों का सोचना का तरीका बदलेगा। वे यह भी समझेंगे कोई हिंदी माध्यम में पढ़ाई करने के बाद भी जीवन में आगे बढ़ सकता है। साथ ही वह अपनी मातृभाषा को लेकर गर्व भी महसूस करेगा।
वैसे, सीएम कई मौकों पर पहले सार्वजनिक तौर पर उच्च शिक्षा में हिंदी की वकालत करते नजर आए हैं। यही नहीं, अगस्त में भोपाल पहुंचे शाह ने भी कहा था कि अंग्रेजी भाषा के प्रति भारत के आकर्षण ने देश की 95% प्रतिभाओं को इसकी प्रगति में योगदान करने से रोक दिया है।
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अभिषेक गुप्ता author

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