Ujjain: जिस प्राचीन झील का स्कंद पुराण में जिक्र, वो बन गई थी गंदा नाला, Mahakal Corridor ने दिया 'नया जीवन'

Shri Mahakal Lok as Mahakal Corridor in Ujjain: मध्य प्रदेश में उज्जैन एक प्राचीन और पवित्र शहर है। प्राचीन हिंदू ग्रंथों में महाकालेश्वर मंदिर के पास ‘महाकाल वन’, ‘84 महादेव’, ‘नव गृह’ और ‘सप्त सरोवर’ का उल्लेख मिलता है, जिनमें रुद्रसागर भी है। वहीं, स्कंद पुराण में इस झील का उल्लेख मिलता है जोकि महाकालेश्वर मंदिर से सटी हुई है।

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देश के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक महाकालेश्वर मंदिर भी है। वहां देश-विदेश से बड़ी संख्या में श्रद्धालु जाते हैं। गलियारे के लिए दो भव्य प्रवेश द्वार-नंदी द्वार और पिनाकी द्वार बनाए गए हैं। (सोर्स: @MP_MyGov)

तस्वीर साभार : टाइम्स नाउ ब्यूरो
Shri Mahakal Lok as Mahakal Corridor in Ujjain: मध्य प्रदेश (MP) के उज्जैन (Ujjain) में श्री महाकाल लोक (Shri Mahakal Lok)/महाकाल कॉरिडोर (Mahakal Corridor) ने न सिर्फ मंदिर परिसर और अलग स्वरूप और पहचान दी है बल्कि, प्राचीन रुद्रसागर झील (Rudrasagar Jheel) को भी नया जीवन दिया है। ऐसा इसलिए, क्योंकि यह झील गंदे नाले का रूप ले चुकी थी। पर इस विकास परियोजना (महाकाल गलियारा परियोजना) के तहत क्षिप्रा से जोड़ दिया गया है।
दरअसल, झील में कई कॉलोनियों की सीवर लाइन थी। सात ही ऊंची-ऊंची जलकुंभी उग गई थी। जलधारा इससे प्रभावित होती थी, जबकि झील से दुर्गंध आती थी और वह पवित्र नगरी उज्जैन की छवि को खराब कर रही थी। अधिकारियों के अनुसार, बारीकी से तैयार की गई योजना और प्रकृति-केंद्रित शहरी नीतियों के जरिए इस झील का कायाकल्प किया गया है।
रुद्रसागर झील का पुनरुद्धार महत्वाकांक्षी महाकाल गलियारा परियोजना का हिस्सा है। उज्जैन स्मार्ट सिटी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी आशीष कुमार पाठक ने समाचार एजेंसी पीटीआई-भाषा को बताया, ‘‘हमने जब साल 2017 में इस परियोजना को शुरू किया, तो कई चुनौतियां थीं। चूंकि. यह एक धार्मिक परियोजना थी इसलिए हमें सभी हितधारकों को साथ रखना था। एक बड़ी चुनौती रुद्रसागर झील भी थी जो लगभग गंदे नाले में तब्दील हो गई थी। हमने एक उचित सीवर नेटवर्क तैयार किया और इसे इसमें गिरने वाले गंदे पानी से मुक्त किया।’’
बकौल पाठक, ‘‘इसमें (रुद्रसागर) पानी के बारहमासी प्रवाह को बनाए रखने के लिए झील को क्षिप्रा नदी से जोड़ा गया है। एक तरफ नया महाकाल गलियारा है और दूसरी तरफ झील के किनारे को विकसित करने से, न केवल प्राचीन मंदिर में आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या में वृद्धि होगी बल्कि उज्जैन में पर्यटकों की संख्या में भी इजाफा होगा।’’
परियोजना की शुरुआत से ही इससे जुड़े एक वरिष्ठ अधिकारी ने पीटीआई से कहा, ‘‘रुद्रसागर झील में बड़ा रुद्रसागर और छोटा रुद्रसागर शामिल हैं। झील का पुनरुद्धार परियोजना के दूसरे चरण के तहत किया जा रहा है, जो पहले से ही जारी है। पहले चरण का उद्घाटन 11 अक्टूबर को होना है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘ हम बड़ा रुद्रसागर का पहले ही कायाकल्प कर चुके हैं और जल्द ही छोटा रुद्रसागर के पुनरुद्धार का काम शुरू होगा।’’
मध्य प्रदेश में उज्जैन एक प्राचीन और पवित्र शहर है। प्राचीन हिंदू ग्रंथों में महाकालेश्वर मंदिर के पास ‘महाकाल वन’, ‘84 महादेव’, ‘नव गृह’ और ‘सप्त सरोवर’ का उल्लेख मिलता है, जिनमें रुद्रसागर भी है। वहीं, स्कंद पुराण में इस झील का उल्लेख मिलता है जोकि महाकालेश्वर मंदिर से सटी हुई है।
900 मीटर से अधिक लंबा ‘महाकाल लोक’ गलियारा पुरानी रुद्र सागर झील के चारों और फैला है। देश के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक महाकालेश्वर मंदिर से संबंधित गलियारे के लिए दो भव्य प्रवेश द्वार- नंदी द्वार और पिनाकी द्वार बनाए गए हैं। यह गलियारा मंदिर के प्रवेश द्वार तक जाता है और रास्ते में मनोरम दृश्य पेश करता है।
महाकाल मंदिर के नवनिर्मित गलियारे में 108 स्तंभ बनाए गए हैं, 910 मीटर का ये पूरा महाकाल मंदिर इन स्तंभों पर टिका होगा। महाकवि कालिदास के महाकाव्य मेघदूत में महाकाल वन की परिकल्पना को जिस सुंदर ढंग से प्रस्तुत किया गया है, सैकड़ों वर्षों के बाद उसे साकार रूप दे दिया गया है। भोपाल से लगभग 200 किलोमीटर दूर उज्जैन की यह विकास परियोजा 856 करोड़ रुपए की है।
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अभिषेक गुप्ता author

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