Mulayam Singh Yadav Death:मुलायम को रह गई इस बात की कसक,अखिलेश को दी थी बड़ी नसीहत
Mulayam Singh Yadav Death: मुलायम सिंह यादव ने अपने 55 साल के राजनीतिक जीवन, सभी प्रमुख ऊंचाइयों को छुआ। वह 7 बार सांसद और 8 बार विधायक रहे। लेकिन इसके बावजूद उनके मन में प्रधानमंत्री नहीं बन पाने की कसक रह गई । असल में उनके राजनीतिक करियर में ऐसे मौके दो बार आए थे, लेकिन दिलचस्प राजनीतिक घटनाक्रम की वजह से उनकी इच्छा अधूरी रह गई।
मुख्य बातें
- मुलायम सिंह यादव का प्रधानमंत्री बनने की रेस में नाम पहली बार साल 1996 में आया था।
- लेकिन बाद में एच.डी.देवगौड़ा के नाम पर सहमति बनी और मुलायम सिंह के हाथ से मौका छूट गया।
- 2017 में यूपी में विधान सभा में हार के बाद मुलायम ने अखिलेश यादव को आड़े हाथ लिया था।
1996 में मिला था पहली बार मौका
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मुलायम सिंह यादव का प्रधानमंत्री (Prime Minister) बनने की रेस में नाम पहली बार साल 1996 में आया था। उस दौरान लोकसभा चुनाव में देश में त्रिशंकु जनादेश आया था। कांग्रेस को केवल 141 सीटें मिली थीं। जबकि भारतीय जनता पार्टी के खाते में 161 सीटें आई थीं। ऐसे में अटल बिहारी वाजपेयी को सरकार बनाने का निमंत्रण मिला। लेकिन बहुमत नहीं होने से बाजपेयी सरकार 13 दिनों में ही गिर गई। ऐसे में दूसरे दलों ने सरकार बनाने की कवायद शुरू की। कांग्रेस बहुमत से 130 से ज्यादा सीटें कम पाने के कारण, सरकार का नेतृत्व करने को तैयार नहीं थी। ऐसे में साल 1989 में सरकार बना चुके वी.पी.सिंह पर सबकी नजर थी। लेकिन उन्होंने इंकार कर दिया।
इसके बाद वाम दलों के नेता और बंगाल के मुख्यमंत्री ज्योति बसु के नाम पर सहमति बनती नजर आई ङै। लेकिन पोलित ब्यूरो ने उन्हें प्रधानमंत्री बनाने से इंकार कर दिया। इसके बाद मुलायम सिंह यादव का नाम रेस में आया। और जिस पर सहमति भी बनती नजर आ रही थी। लेकिन लालू प्रसाद यादव, शरद यादव और वी.पी.सिंह ने उनका विरोध कर दिया। जिससे मुलायम सिंह यादव के हाथ से पीएम बनने का मौका फिसल गया।
इसके बाद 1997 में जब देवगौड़ा सरकार गिर गई थे तो फिर मुलायम सिंह यादव का नाम पीएम के लिए चर्चा में आया था। लेकिन इस बार लालू प्रसाद यादव, चंद्र बाबू नायडू ने अड़ंगा लगा दिया। जिसके बाद इंद्र कुमराल गुजराल को प्रधानमंत्री बनने का मौका मिला।
अखिलेश यादव को मुलायम ने दी थी बड़ी नसीहत
साल 2017 में जब उत्तर प्रदेश में विधान सभा चुनाव में समाजवादी पार्टी की बुरी हार हुई। उसके बाद मुलायम सिंह यादव ने अपने बेटे अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) के खिलाफ बड़ा बयान दे दिया था। उन्होंने मैनपुरी में एक कार्यक्रम में कहा था कि 2012 में अखिलेश यादव को मुख्यमंत्री बनाना उनकी सबसे बड़ी भूल थी। उन्होंने अखिलेश यादव के बारे में कहा था कि उन्होंने कांग्रेस के साथ गठबंधन करके पार्टी की हार तय कर ली थी। मुख्यमंत्री मुझे बनना चाहिए था। अगर मैं मुख्यमंत्री होता तो 2017 के चुनाव में बहुमत मिल जाता।
इसके पहले साल 2016 में उन्होंने सपा में जारी कलह पर, अखिलेश यादव को नसीहत देते हुए कहा था कि बड़े पद पर बैठने वाले को अहंकार नहीं होना चाहिए। उन्हें विनम्र होना चाहिए, आलोचना सुननी चाहिए। जब सम्मान बड़ा हो जाता है तो मनमानी नहीं की जाती है।
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प्रशांत श्रीवास्तव author
करीब 17 साल से पत्रकारिता जगत से जुड़ा हुआ हूं। और इस दौरान मीडिया की सभी विधाओं यानी टेलीविजन, प्रिंट, मैगजीन, डिजिटल और बिजनेस पत्रकारिता में काम कर...और देखें
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